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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

‘मस्तिष्क के आकार’ से जुड़ा है व्हेल का ‘व्यवहार’

  • 18 Oct 2017
  • 7 min read

संदर्भ

हाल ही में 90 केटासियंस प्रजातियों पर किये गए एक अध्ययन में यह पाया गया कि जिन जीवों के मस्तिष्क बड़े होते हैं, उनकी सामाजिक संरचना और व्यवहारों में अत्यधिक जटिलता होती है। इस श्रेणी में ‘किलर व्हेल’ और ‘स्पर्म व्हेल’ जैसी प्रजातियों को शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘व्हेल’ और ‘डॉलफिन’ (जो केटासियंस प्रजातियाँ हैं) विश्व के सबसे बुद्धिमान जीवों में से एक हैं। यदि मस्तिष्क के आकार के संदर्भ में ये पृथ्वी पर पहले स्थान पर हैं, क्योंकि इनके मस्तिष्क का आकार मानव के मस्तिष्क के आकार से 6 गुना बड़ा होता है।
  • ये प्रजातियाँ अत्यंत चंचल होती हैं, वे एक-दूसरे से सीखती हैं और उनमें संवाद भी होता है। 
  • शोधकर्त्ताओं ने केटासियंस प्रजातियों के मस्तिस्क के आकारों, उनकी सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक व्यवहारों का एक व्यापक डाटा बेस भी तैयार किया है।
  • इस डाटाबेस के अनुसार, जिन प्रजातियों का मस्तिष्क उनके शरीर के आकार की तुलना में बड़ा होता है, उनके समूह में बड़ी व्हेल जैसे-‘डॉलफिन’, ‘किलर व्हेल’ (killer whale), इसी के समान दिखने वाली ‘फाल्स किलर व्हेल’(false killer whale)  और ‘पायलट व्हेल’(pilot whale) शामिल थीं।
  • किलर व्हेल सांस्कृतिक खाद्य को प्राथमिकता देती हैं, इनमें माताएँ होती हैं जो समूह के अन्य सदस्यों का नेतृत्व करती हैं तथा उन्हें सामूहिक रूप से  शिकार करना भी सिखाती हैं।
  • अंतर-प्रजातीय खाद्य वरीयताओं के संदर्भ में कुछ निश्चित किलर व्हेल (जिन्हें ओर्कास भी कहा जाता है) सैल्मन (salmon-यह एक प्रकार की मछली है) को वरीयता देती हैं जबकि अन्य किलर व्हेल अपनी सामूहिक संस्कृति के आधार पर सीलों (seal), अन्य व्हेल अथवा शार्क को वरीयता देती हैं।
  • अन्य बड़े मस्तिष्क वाले केटासियंस भी विवेकी व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं।

क्या है ‘स्पर्म व्हेल’?

  • स्पर्म व्हेल दाँतेदार व्हेल और डॉलफिन (odontocetes) के उपसमूह से हैं और यह समुद्र में आसानी से पहचानी जा सकने वाली व्हेल में से एक हैं।
  • इनका सिर विशाल होता है जो कि इनके पूरे शरीर की लंबाई का एक-तिहाई होता है। ये जीव जगत के सबसे भारी मस्तिष्क वाले जीवों में से एक है।
  • स्पर्म व्हेल विश्व के सबसे अधिक गहरे गोते लगाने वाले स्तनपाइयों में से एक है। यह मुख्यतः 400 मीटर तक की छलांग लगाती है, परंतु ये 2-3 किलोमीटर तक गहरे पानी में भी जा सकती हैं। 
  • स्पर्म व्हेल का एकमात्र प्राकृतिक शिकारी ओर्का (orca) है।
  • इनके लंबे और संकीर्ण जबड़े में 40-52 दांत होते हैं जो कि घने और कोन के आकार में होते हैं। इसके दांतों की लंबाई 20 सेंटीमीटर होती है  जबकि प्रत्येक दाँत का भार 1 किलोग्राम होता है। इसके पर अपेक्षाकृत छोटे और ठूंठदार(stubby) होते हैं।
  • माता स्पर्म व्हेल जब शिकार के लिये गहराई में गोते लगाती हैं तो उस दौरान अपने समूह के अन्य सदस्यों का उपयोग अपने बच्चों की देखभाल के लिये करती है। ये अनोखी मुखर स्पर्म व्हेल कभी-कभी संवाद के लिये भिन्न माध्यम का भी प्रयोग करती हैं जो कि उनके रहने के स्थान पर निर्भर करता है। 

इन्हें ‘स्पर्म व्हेल’ क्यों कहा जाता है?

  • वाणिज्यिक व्हेलिंग के दौरान स्पर्म व्हेल का यह नाम रखा गया था। उनके इस नाम के पीछे आधार यह था कि जब उनके सिर को काटा गया तो  इसमें से एक दुधिया सफेद रंग का पदार्थ निकला| अतः यह माना गया कि इनका बड़ा चौकोर आकार का सिर शुक्राणुओं का एक बड़ा भंडारगृह है। इसके अतिरिक्त स्पर्म व्हेल में एक आंत्र स्राव भी पाया गया था जिसे ‘एम्बरग्रीस’(ambergris) कहा गया। इस आंत्र स्राव का उपयोग इत्र उद्योग में एक स्थिरकारी (fixative) के रूप में किया जाता था।

‘स्पर्म व्हेल’ कहाँ पाई जाती हैं?

  • स्पर्म व्हेल उच्च आर्कटिक को छोड़कर विश्व के अधिकांश महासागरों में पाई जाती हैं। ये गहरे जल को प्राथमिकता देती हैं। इन्हें भोजन की पर्याप्तता वाले स्थानों में बड़ी संख्या में देखा जा सकता है।
  •  इसके अतिरिक्त ये उन समुद्रो में भी पाई जाती हैं, जहाँ का तापमान इनके अनुकूल होता है। विगत वर्षों में यह प्रजाति वाणिज्यिक व्हेलिंग से प्रभावित हुई है और इनकी संख्या में भारी कमी आई है। आज भी जापान में इनका शिकार किया जाता है।
  • मानवीय हस्तक्षेप, वाणिज्यिक व्हेलिंग, रासायनिक और ध्वनि प्रदूषण तथा मछली के जालों में फँसने से ये वृहद् स्तर पर प्रभवित होती हैं।
  • प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा वर्ष 2008 में इन्हें  ‘संवेदनशील’ प्रजाति की श्रेणी में रखा गया है।
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