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शासन व्यवस्था

पहली बार जल संरक्षण शुल्क की शुरुआत

  • 14 Dec 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?


राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal- NGT) के विभिन्न दिशा-निर्देशों का पालन करने और भूमिगत जल निकालने के संबंध में वर्तमान दिशा-निर्देशों में मौज़ूद विभिन्न कमियों को दूर करने के लिये जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन केंद्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority- CGWA) ने 12 दिसंबर, 2018 को भूमिगत जल निकालने के संदर्भ में संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित किये।

  • ये दिशा-निर्देश 01 जून, 2019 से प्रभावी होंगे।

उद्देश्य

  • संशोधित दिशा-निर्देशों का उद्देश्य देश में एक अधिक मज़बूत भूमिगत जल नियामक तंत्र सुनिश्चित करना है।

विशेषता

  • संशोधित दिशा-निर्देशों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता जल संरक्षण शुल्क (Water Conservation Fee- WCF) की अवधारणा शुरू करना है।
  • इस शुल्क का क्षेत्र की श्रेणी, उद्योग के प्रकार और भूमिगत जल निकालने की मात्रा के अनुसार अलग-अलग भुगतान करना होगा।
  • जल संरक्षण शुल्क की उच्च दरों से उन इलाकों में नए उद्योगों को स्थापित करने से रोकने में मदद मिलेगी जहाँ ज़मीन से अत्यधिक मात्रा में पानी निकाला जा चुका है। साथ ही यह उद्योगों द्वारा बड़ी मात्रा में भूमिगत जल निकालने के एक निवारक के रूप में काम करेगा।
  • इस शुल्क से उद्योगों को पानी के इस्तेमाल के संबंध में उपाय करने और पैक किये हुए पीने के पानी की इकाइयों की वृद्धि को हतोत्साहित किया जा सकेगा।
  • संशोधित दिशा-निर्देशों की अन्य प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं-

• उद्योगों से निकलने वाले जल (जिनका पुनर्चक्रण हो चुका हो) और शोधित सीवेज जल का इस्तेमाल।
• प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान करना।
• डिजिटल प्रवाह मीटरों की पीजो मीटर और डिजिटल जल स्तर रिकॉर्डरों (टेलीमीटरी के साथ अथवा उसके बिना जो भूमिगत जल निकालने की मात्रा पर निर्भर करता है) की अनिवार्यता।
• उद्योगों द्वारा पानी का लेखा अनिवार्य करना, कुछ विशेष उद्योगों को छोड़कर।
• छत पर वर्षा का पानी एकत्र करने को अनिवार्य बनाना।
• प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों/परियोजना परिसरों में भूमिगत जल को दूषित होने से रोकने के लिये अपनाए जाने वाले उपायों को प्रोत्साहित करना।

संशोधित दिशा-निर्देश

  • अधिसूचना के अनुसार, भूमि से जल निकालने वाले उद्योग जिसमें खनन के माध्यम से जल-निष्कासन करने वाली इकाइयों सहित पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के लिये भूजल का उपयोग करने वाले उद्योग शामिल हैं, को सरकार से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (No-Objection Certificate- NOC) प्राप्त करने के लिये आवेदन करने की आवश्यकता होगी।
  • निजी परिवार जो 1 इंच से अधिक व्यास की डिलीवरी पाइप का उपयोग करके भूजल प्राप्त करते हैं, उन्हें भी WCF का भुगतान करना होगा।
  • कृषि क्षेत्र (देश में भूजल का सबसे बड़ा उपभोक्ता) को इस शुल्क से मुक्त रखा गया है।
  • सरकार के पास भूजल ब्लॉक की एक सूची होती है, जिसे मूल्यांकन ब्लॉक कहा जाता है। भूजल निकासी के आधार पर इस सूची को 'सुरक्षित,' 'अर्ध-महत्त्वपूर्ण', 'महत्त्वपूर्ण' और 'अत्यधिक शोषित' (safe, semi-critical, critical and over-exploited) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • एक 'सुरक्षित' ब्लॉक में एक दिन में 20 घन मीटर (एक घन मीटर=1,000 लीटर) तक जल निकासी के लिये कंपनी को प्रति घन मीटर पर 3 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। लेकिन एक दिन में 5,000 क्यूबिक मीटर या उससे अधिक जल निकालने पर उसे 'अत्यधिक शोषित' ब्लॉक में शामिल किया जाएगा जिससे प्रति घन मीटर पर जल निकासी पर 100 रुपए से अधिक का दैनिक शुल्क वसूला जाएगा।
  • आवासीय परियोजनाओं के लिये WCF की सीमा 1 से 2 रुपए प्रति घन मीटर है। सभी औद्योगिक और आवासीय निकायों को WCF के अलावा NOC के लिये भी आवेदन करने की आवश्यकता होगी।
  • ऐसे उपयोगकर्त्ता जो पानी निकालने के लिये बिजली का उपयोग नहीं करते हैं, को भी NOC प्राप्त करने और WCF का भुगतान करने की आवश्यकता से छूट दी गई है।
  • सशस्त्र सेनाओं, रक्षा और अर्धसैनिक बलों के प्रतिष्ठानों तथा सरकारी जलापूर्ति एजेंसियों के लिये रणनीतिक और सामरिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को भी छूट (उच्च जरूरतों के साथ) दी गई है।

भारत में भूमिगत जल का उपयोग

  • भारत दुनिया में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपयोगकर्त्ता है जो हर वर्ष 253 BCM (Billion Cubic Meters) भूमिगत जल निकालता है। यह दुनिया में ज़मीन से निकाले जाने वाले पानी का करीब 25 प्रतिशत है।
  • केंद्रीय भू-जल बोर्ड (CGWB) ने देशभर में 6,584 इकाइयों का मूल्यांकन कर उनका वर्गीकरण किया है, जिसमें से 1,034 इकाइयों को 'अधिक शोषित' के रूप में, 253 को 'गंभीर', 681 को 'अर्द्ध-गंभीर' और 4,520 'सुरक्षित' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। शेष 96 इकाइयों को मूल्यांकन के आधार पर 'लवणीय' (Saline) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority- CGWA)

  • केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (CGWA) का गठन पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उपधारा (3) के तहत देश में भूजल विकास एवं प्रबंधन के विनियमन और नियंत्रण के उद्देश्‍य से की गई थी । 
  • भूजल संसाधनों के दीर्घावधिक संपोषण (sustenance) को सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से प्राधिकरण भूजल विकास के विनियमन संबंधी विभिन्‍न गतिविधियॉं चला रहा है।

स्रोत : पी.आई.बी एवं द हिंदू

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