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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

अनरेटेड ऋण और बैंक NPA

  • 12 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

NPA, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड

मेन्स के लिये:

अनरेटेड ऋण और उससे संबंधित NPA को कम करने के उपाय

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी हालिया आँकड़ों से पता चलता है कि देश में अनरेटेड ऋणों (Unrated Loans) की श्रेणी में NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) वर्ष 2015 के 6 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018 के अंत तक 24 प्रतिशत हो गया है।

  • ध्यातव्य है कि यह आँकड़ा उन ऋणों के बढ़ते जोखिम को इंगित करता है जो क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेट नहीं किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि विगत 4 वर्षों में बैंकों के कुल ऋणों में अनरेटेड ऋणों का अनुपात लगभग 40 प्रतिशत के आस-पास बना हुआ है, जबकि इस श्रेणी में NPA तेज़ी से बढ़ता जा रहा है।
  • केंद्रीय बैंक ने देश के अन्य बैंकों के लिये 5 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण वाले उधारकर्त्ताओं की रिपोर्ट सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ़ इनफार्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट (Central Repository of Information on Large Credits-CRILC) के साथ करने को अनिवार्य किया है।
  • RBI के अध्ययन में सामने आया है कि बड़े उधारकर्त्ताओं की कुल संख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा और इसी श्रेणी में कुल जोखिम का 40 प्रतिशत हिस्सा अनरेटेड उधारकर्त्ताओं का है।
  • 150 करोड़ रुपए और इससे अधिक की कुल कार्यशील पूंजी रखने वाले उधारकर्त्ताओं को बड़े उधारकर्त्ता कहा जाता है।

अनरेटेड ऋण और उससे संबंधित NPA को कैसे कम किया जा सकता है?

  • ऋण जोखिम के संबंध में क्रेडिट रेटिंग को नियमित करके। ध्यातव्य है कि आरबीआई ने अनरेटेड ऋण पर जोखिम के भार को बढ़ाया है।
  • बैंकों को रेटेड जोखिमों पर भी विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने अपने जोखिमों में BB श्रेणी की क्रेडिट रेटिंग (और उसके नीचे) के ऋण खातों में काफी तनाव अनुभव किया है।
  • हालाँकि RBI की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट ने सभी बैंकों के सकल NPA अनुपात का मार्च 2019 के 9.3 प्रतिशत से घटकर मार्च 2020 तक 9.0 प्रतिशत पर आने का अनुमान लगाया है।
    • इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कुछ मामलों के समाधान के कारण वसूली की गति में तेज़ी आई है।

सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ़ इनफार्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट

(Central Repository of Information on Large Credits-CRILC)

  • वर्ष 2014 में RBI द्वारा सभी उधारकर्त्ताओं के ऋण जोखिम पर डेटा एकत्र करने, संग्रहीत करने और प्रकाशित करने के लिये इसका गठन किया गया है।
  • विदित है कि बैंकों को अपने बड़े उधारकर्त्ताओं के बारे में CRILC को जानकारी देनी होती है।
  • यह अन्य संस्थानों के साथ जानकारी साझा कर वित्तीय संस्थानों और बैंकों को उनके गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) का आकलन करने में मदद करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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