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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 को मंज़ूरी

  • 05 Jul 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2018 (DNA Technology (Use and Application) Regulation Bill, 2018) को मंज़ूरी दे दी है जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डीएनए के नमूने एकत्र करने, "डीएनए प्रोफाइल" बनाने और अपराधों की फोरेंसिक जाँच के लिये विशेष डेटाबेस तैयार करने की अनुमति देता है।

विधेयक का उद्देश्य 

इस विधेयक का उद्देश्य अपराधों की जाँच दर में बढ़ोतरी के साथ देश की न्यायिक प्रणाली को समर्थन देने एवं उसे सुदृढ़ बनाने के लिये डीएनए आधारित फोरेंसिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग को विस्तारित करना है।

प्रमुख बिंदु 

  • डीएनए परीक्षण प्रयोगशालाओं के अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन के प्रावधान के जरिये विधेयक में इस प्रौद्योगिकी का देश में विस्तारित उपयोग सुनिश्चित किया गया है। 
  • विधेयक में इस बात का भी भरोसा दिलाया गया है कि डीएनए परीक्षण परिणाम भरोसेमंद हों और नागरिकों के गोपनीयता अधिकारों के लिहाज़ से डाटा का दुरुपयोग न हो सके।
  • विधेयक के प्रावधान एक तरफ गुमशुदा व्यक्तियों तथा देश के विभिन्न हिस्सों में पाए जाने वाले अज्ञात शवों के परस्पर मिलान करने में सक्षम बनाएंगे, दूसरी तरफ बड़ी आपदाओं के शिकार हुए व्यक्तियों की पहचान करने में भी सहायता प्रदान करेंगे।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित होने के बाद विधेयक को 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के आगामी मानसून सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।

विधेयक का विरोध 

  • कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ताओं ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा है कि जिस तरीके से डीएनए की जानकारी एकत्र की जानी है और उन्हें फोरेंसिक प्रयोगशालाओं द्वारा संग्रहीत किया जाना है उससे गोपनीयता के उल्लंघन की आशंका हो सकती है।
  • एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, विधेयक में कई अनुसूची ऐसे जोड़े गए हैं जो डाटा के दुरुपयोग को रोकने में सक्षम हैं|
  • बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अनुसार, डाटाबेस केवल आपराधिक जाँच से संबंधित जानकारी संग्रहीत करेंगे और संदिग्धों के डीएनए विवरण हटा दिये जाएंगे|
  • विधेयक में एक डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड बनाने का प्रावधान है जो अंतिम प्राधिकरण होगा और राज्य स्तरीय डीएनए डाटाबेस के निर्माण को अधिकृत करेगा तथा डीएनए-प्रौद्योगिकियों के संग्रहण और विश्लेषण के तरीकों को स्वीकृति प्रदान करेगा।

पृष्ठभूमि

  • फोरेंसिक डीएनए प्रोफाइलिंग का ऐसे अपराधों के समाधान में स्पष्ट महत्त्व है जिनमें मानव शरीर (जैसे हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी या गंभीर रूप से घायल) को प्रभावित करने वाले एवं संपत्ति (चोरी, सेंधमारी एवं डकैती सहित) की हानि से संबंधित मामले से जुड़े अपराधों का समाधान किया जाता है।
  • 2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार, देश में ऐसे अपराधों की कुल संख्या प्रतिवर्ष तीन लाख से अधिक है। इनमें से केवल एक छोटे हिस्से का ही वर्तमान में डीएनए परीक्षण किया जाता है।
  • उम्मीद है कि अपराधों के ऐसे वर्गों में इस प्रौद्योगिकी के विस्तारित उपयोग से न केवल न्यायिक प्रक्रिया में तेज़ी आएगी, बल्कि सज़ा दिलाने की दर भी बढ़ेगी, जो वर्तमान में केवल 30 प्रतिशत (2016 के एनसीआरबी आँकड़े) है।
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