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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट

  • 23 Nov 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट, कार्बन कैप्चर, IPCC

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण (United Nations Environment) द्वारा जारी प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट (Production Gap Report) जीवाश्म ईंधन अप्रसार (Non-Proliferation) की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण नेतृत्व वाले अनुसंधान गठबंधन ने प्रोडक्शन गैप पर 20 नवंबर, 2019 को अपनी पहली रिपोर्ट जारी की।
  • इस रिपोर्ट में पेरिस समझौते (Paris Agreement) के तहत वैश्विक तापन के 1.5 तथा 2°C तक के लक्ष्यों और जीवाश्म ईंधन उत्पादन के प्रयोग के मध्य के अंतर को मापा गया है।
  • प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट ने जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change- IPCC) की निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं को रेखांकित किया है-
  1. जलवायु प्रतिबद्धताओं और नियोजित उत्पादन के बीच असंतुलन
  2. कार्बन कैप्चर और स्टोरेज जैसे समाधानों को लेकर अनिश्चितता
  3. जीवाश्म ईंधन उत्पादन समस्या की सामूहिक कार्रवाई प्रकृति
  • पिछले वर्ष प्रकाशित IPCC की ग्लोबल वार्मिंग 1.5°C रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक वार्मिंग के 1.5°C से नीचे रहने के लिये वर्ष 2030 तक कोयले से संचालित 66% विद्युत संयंत्रों को बंद करना होगा। इसके अतिरिक्त IPCC ने कहा कि वर्ष 2050 तक विद्युत उत्पादन में प्राकृतिक गैस का उपयोग दसवें हिस्से से कम होगा।
  • प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट के अनुसार विश्व के देश वर्ष 2030 तक अत्यधिक कोयला उत्पादन की राह पर अग्रसर हैं। विभिन्न देशों द्वारा उत्पादित कुल कोयला वैश्विक स्तर पर तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°C से नीचे रखने की तुलना में 150 प्रतिशत अधिक तथा तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने के लक्ष्य की तुलना में 280 प्रतिशत अधिक होगा।
  • वैश्विक स्तर पर तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°C से नीचे रखने के लिये वर्ष 2030 में तेल का उत्पादन 16 प्रतिशत निर्धारित किया गया है जबकि तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने के लिये तेल उत्पादन को 59 प्रतिशत तक निर्धारित किया गया था। गैस के लिये, ओवरशूट के आंकड़े 2°C के लिये 14 प्रतिशत और 1.5°C के लिये 70 प्रतिशत थे।
  • IPCC ने जीवाश्म ईंधन के स्थान पर नवीनीकरण ऊर्जा के साथ-साथ अन्य स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन के प्रयास किये जाने की आवश्यकता को इंगित किया है।
  • IPCC की योजना वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन तथा इसके बाद शेष शताब्दी के लिये शुद्ध नकारात्मक उत्सर्जन प्रक्षेपवक्र (Net Negative Emissions Trajectory) लक्ष्य पर आगे बढ़ना है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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