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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

परिवहन और विपणन सहायता योजना

  • 11 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये :

परिवहन और विपणन सहायता योजना, एपीडा, कृषि निर्यात नीति 2018, किसान कनेक्ट एप

मेन्स के लिये :

परिवहन और विपणन सहायता योजना का संक्षिप्त परिचय एवं संशोधित विशेषताएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने निर्दिष्ट कृषि उत्पादों के लिये परिवहन और विपणन सहायता (TMA) योजना को संशोधित किया है।

  • यह 1 अप्रैल, 2021 या उसके बाद 31 मार्च, 2022 तक प्रभावी रहेगी।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:

    • इसे वर्ष 2019 में यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ देशों में वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
      • सरकार ने वर्ष 2018 में एक कृषि निर्यात नीति को मंज़ूरी दी जिसका उद्देश्य वर्ष 2022 तक शिपमेंट को दोगुना करके 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने है।
      • APEDA (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) भारतीय कृषि एवं खाद्य उत्पादों की निर्यात क्षमता के विस्तार की दिशा में काम करता है।
    • TMA के तहत सरकार भाड़ा शुल्क के एक निश्चित हिस्से की प्रतिपूर्ति करती है और कृषि उपज के विपणन के लिये सहायता प्रदान करती है।
      • समय-समय पर निर्दिष्ट अनुमत देशों को पात्र कृषि उत्पादों के निर्यात के लिये अधिसूचित दरों पर सहायता उपलब्ध होगी।
    • संशोधित योजना में अन्य कृषि उत्पादों के साथ डेयरी उत्पादों को भी इसके दायरे में शामिल किया गया है और सहायता की दरों में वृद्धि की गई है।
      • सहायता की दरों में समुद्र द्वारा निर्यात के लिये 50% और हवाई मार्ग हेतु 100% की वृद्धि की गई है।
    • TMA की प्रतिपूर्ति डीजीएफटी (विदेश व्यापार महानिदेशालय) के क्षेत्रीय अधिकारियों के माध्यम से की जाएगी।
  • उद्देश्य:

    • कृषि उपज की माल ढुलाई और विपणन के अंतर्राष्ट्रीय घटक के लिये सहायता प्रदान करना।
    • ट्रांस-शिपमेंट के कारण निर्दिष्ट कृषि उत्पादों के निर्यात के परिवहन की उच्च लागत को कम करना।
    • निर्दिष्ट विदेशी बाज़ारों में भारतीय कृषि उत्पादों के लिये ब्रांड पहचान को बढ़ावा देना।

कृषि निर्यात नीति, 2018

  • कृषि निर्यात नीति का दृष्टिकोण भारत को कृषि में वैश्विक महाशक्ति बनाने तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिये उपयुक्त नीतिगत माध्यमों के ज़रिये भारतीय कृषि की निर्यात क्षमता का दोहन करना है।
  • नीति को इस उद्देश्य के साथ अनुमोदित किया गया था,
    • निर्यात टोकरी (Export Basket) में विविधता लाकर, पहुँच और उच्च मूल्य एवं मूल्य वर्द्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा देना जिसमें खराब होने वाली वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
    • नवीन, स्वदेशी, जैविक, नृजातीय, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना।
    • बाज़ार तक पहुँच को बढ़ावा देना, बाधाओं तथा स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी मुद्दों से निपटने के लिये एक संस्थागत तंत्र प्रदान करना।
    • किसानों को विदेशी बाज़ार में निर्यात के अवसरों का लाभ प्राप्त करने हेतु सक्षम बनाना।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA)

  • कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) एक गैर-व्यापारिक, वैधानिक निकाय है जिसे भारत की संसद द्वारा कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम के तहत दिसंबर 1985 में पारितकिया गया था।
  • यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। प्राधिकरण का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • इसे निर्यात प्रोत्साहन और अनुसूचित उत्पादों जैसे- फल, सब्जियाँ, मांस उत्पाद, डेयरी उत्पाद, मादक और गैर-मादक पेय आदि के विकास की ज़िम्मेदारी के साथ अनिवार्य किया गया है।
  • इसे चीनी के आयात की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी भी सौंपी गई है।
  • वर्ष 2017 में APEDA ने एक मोबाइल एप- "किसान कनेक्ट"(Farmer Connect) लॉन्च किया जिसका उद्देश्य किसानों को उनके खेत के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करने के लिये ऑन-लाइन प्रक्रिया लागू करना तथा राज्य सरकार द्वाराअधिकृत अनुमोदन और अधिकृत प्रयोगशालाओं द्वारा लैब नमूनाकरण पर नज़र रखना है।

स्रोत: पीआईबी

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