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शासन व्यवस्था

भारत में उच्च मृत्यु संख्या के लिये ट्रांसफैट जिम्मेदार

  • 22 May 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस-फैटी एसिड को खत्म करने के लिये रिप्लेस (Review, Promote, Legislate, Assess, Create, Enforce)  नामक एक गाइड जारी की है। यह हृदय रोग संबंधी खतरे के उन्मूलन हेतु प्रथम वैश्विक पहल है।

प्रमुख बिंदु 

  • भारत में गैर-संक्रमणीय बीमारियों के भार को देखते हुए यह अभियान बेहद महत्त्वपूर्ण है।
  • रिप्लेस कार्यक्रम द्वारा सरकार को औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांसफैट का राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति से त्वरित, पूर्ण और सतत् उन्मूलन करने में सहायता प्राप्त होगी।
  • डब्ल्यूएचओ का कहना है कि लोग अपनी ऊर्जा का 1% से भी कम ट्रांसफैट से प्राप्त करते हैं।
  • कृत्रिम ट्रांसफैट बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।
  • एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष दुनिया भर में लगभग 540,000 लोग ट्रांसफैट के कारण मारे जाते हैं।
  • भारत में साल भर में 60,000 से अधिक लोगों की ट्रांसफैट के कारण मृत्यु हो जाती है। हालाँकि, वर्तमान में भारत में इसके उपभोग के संबंध में सीमित डाटा ही उपलब्ध है।
  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत सहित प्रत्येक देश में ट्रांसफैट के उन्मूलन हेतु इसके स्वीकार्य स्तर को वसा, तेल एवं अन्य सभी खाद्य पदार्थों में  2% से कम कर देना चाहिये।
  • कनाडा और अर्जेंटीना जैसे देशों ने ट्रांसफैट को नियंत्रित करने के लिये राष्ट्रीय उद्योगों को तकनीकी सहायता और वित्त पोषण प्रदान किया है, ताकि वे स्वस्थ तेलों द्वारा ट्रांसफैट को प्रतिस्थापित कर सकें।
  • सोयाबीन, सूरजमुखी, कुसुम और कैनोला के तेल का मिश्रण करने से जीवन और धन दोनों बच पाएंगे। साथ ही, भारत में बने तेल की खपत के अनुपात में भी वृद्धि होगी।
  • डब्ल्यूएचओ का मानना है कि यदि भारत में डब्ल्यूएचओ-अनुशंसित ‘रिप्लेस’ लागू नहीं किया गया तो यहाँ ऐसी लाखों मौतें होंगी, जिन्हें रोका जा सकता था।
  • सरकार को ट्रांसफैट को खाद्य आपूर्ति से बाहर करने हेतु कड़े प्रयास करने होंगे। लेकिन साथ ही परिवारों को भी सूरजमुखी, कैनोला, सोयाबीन और ऑलिव आदि के स्वास्थ्यवर्धक तेलों का चुनाव करना चाहिये। 
  • साथ ही सब्जियों, फलों, कम तले हुए खाद्य पदार्थों का चयन किया जाना चाहिये।
  • ‘रिप्लेस’ में राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति से ट्रांसफैट के उन्मूलन के उपाय बताए गए हैं। इसके अंतर्गत ऐसे नियमों और कानूनों के उदाहरण दिये गए हैं, जिन्हें स्थानीय आधार पर शामिल किया जा सकता है।
  • साथ ही ऐसे देशों के भी उदाहरण भी दिये गए हैं जो पहले ही अपनी राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से ट्रांसफैट का उन्मूलन कर चुके हैं।
  • भारत सरकार द्वारा अपनी राष्ट्रीय खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से ट्रांसफैट से पूर्ण उन्मूलन हेतु अभी कोई निर्णय लिया गया है।
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