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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारतीय आईटी कंपनी टीसीएस द्वारा शेयर पुनर्खरीद की घोषणा

  • 17 Feb 2017
  • 7 min read

सन्दर्भ :

अमेरिकी सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाता कॉग्निजेंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस की ओर से अपने शेयरधारकों को पुनर्खरीद और लाभांश के जरिये 3.4 अरब डॉलर देने की घोषणा के महज एक हफ्ते बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) शेयर पुनर्खरीद की ओर अग्रसर हो गई है । टीसीएस ने 16 फरवरी 2017 को घोषणा की है, कि कंपनी के निदेशक मंडल की सोमवार को होने वाली बैठक में शेयर पुनर्खरीद पर विचार किया जाएगा ।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 

  • विदित हो कि टीसीएस आईटी सेवा, परामर्श तथा व्यवसाय समाधान उपलब्ध कराने वाला एक संगठन है|
  • टीसीएस, आईटी, बीपीओ, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंजीनियरिंग अश्योरेंस सेवाओं की परामर्श आधारित एकीकृत पोर्टफोलियो पेश करता है। 
  • इसे ग्लोबल नेटवर्क डेलिवरी मॉडल टीएम के जरिए प्रदान किया जाता है, जिसे सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में एक उत्कृष्टता मापदंड के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • टीसीएस, जो कि भारत के सबसे विशाल औद्योगिक घराने टाटा समूह का एक हिस्सा है, इसके श्रेष्ठ प्रशिक्षित परामर्शदाताओं की संख्या 3,71,000 से भी अधिक है औऱ वे दुनिया के 45 देशों में विस्तरित हैं। 
  • उल्लेखनीय है, कि कंपनी का समेकित राजस्व 31 मार्च, 2016  को (वित्त वर्ष 2015-16 के लिए) 16.5 बिलियन यूएस डॉलर रहा |
  • ध्यातव्य है, कि भारत में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज व बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर टीसीएस कंपनी सूचीबद्ध है।

प्रमुख बिंदु :

  • स्टॉक एक्सचेंज को दी सूचना में टीसीएस ने जानकारी दी है कि कंपनी के निदेशक 20 फरवरी को होने वाली बैठक में शेयर पुनर्खरीद प्रस्ताव पर विचार करेंगे। 
  • विदित हो कि यदि पुनर्खरीद को मंजूरी मिलती है तो 2004 में कंपनी के सूचीबद्घ होने के बाद पहली बार वह शेयरों की पुनर्खरीद करेगी। 
  • बाजार ने इस खबर के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और इस बात की संभावना जताई जा रही है कि अन्य आईटी कंपनियाँ जैसे  इन्फोसिस और विप्रो इत्यादि भी पुनर्खरीद कर सकती हैं | 
  • भारतीय आईटी कंपनियों मुख्यतः टीसीएस और इन्फोसिस के पास भारी मात्रा में नकदी है, जिसे लेकर बड़े और छोटे निवेशक अक्सर सवाल उठाते रहे हैं कि कंपनी अतिरिक्त नकदी को शेयरधारकों को क्यों नहीं वापस कर रही है । 
  • टीसीएस के साथ ही इन्फोसिस, विप्रो, टेक महिंद्रा और एचसीएल टेक्नोलॉजीस के शेयर 1.4 से 3 फीसदी बढ़त पर बंद हुए । 
  • दरअसल, अधिकाँश कम्पनियाँ सालाना आधार पर इसकी चर्चा करती हैं कि कंपनी की अर्जित नकदी का किस तरह से बेहतर उपयोग किया जाए । शेयर पुनर्खरीद और विशेष लाभांश जैसे विकल्प भी खुले हुए हैं ।
  • आंकड़ों से पता चलता है कि इन्फोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजीस और टेक महिंद्रा ने पिछले दो वर्षों में 1.1 अरब डॉलर मूल्य के 11 अधिग्रहण किए हैं । 
  • विप्रो ने दो साल में 1.2 अरब डॉलर के 5 अधिग्रहण किए जबकि टीसीएस ने एक भी अधिग्रहण नहीं किया। 
  • विप्रो पाँच बड़ी आईटी कंपनियों में पहली कंपनी है, जिसने पिछले साल 2,500 करोड़ रुपये से शेयरों की पुनर्खरीद की थी और 31 दिसंबर 2016 तक उसके पास 32,000 करोड़ रुपये की नकदी और बैंक में जमा/निवेश थे। 
  • विप्रो ने पिछले साल 2,500 करोड़ रुपये की शेयर पुनर्खरीद की थी और अब भी यह 40 से 45 फीसदी लाभांश वितरण अनुपात की नीति पर कायम हैं |
  • खुद टीसीएस के पास दिसंबर के अंत तक 43,169 करोड़ रपये की नकदी और निवेश पड़ा था |
  • टीसीएस के पुनर्खरीद प्रस्ताव का ब्योरा सोमवार को आएगा लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि कंपनी करीब 8,400 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद कर सकती है जबकि उसके पास करीब 38,000 करोड़ रुपये की नकदी है।
  • एचडीएफसी का मानना है कि पुनर्खरीद के जरिये पूंजी के आवंटन की अच्छी गुंजाइश है क्योंकि शेयर का मूल्यांकन भी ऐतिहासिक निचले स्तर पर है।
  • आमतौर पर लाभांश भुगतान की तुलना में पुनर्खरीद को तरजीह दी जाती रही है क्योंकि इसमें कर की कम देनदारी बनती है। 
  • लाभांश वितरण की प्रभावी कर दर 20 फीसदी है लेकिन साल में 10 लाख रुपये से अधिक के लाभांश आय पर अतिरिक्त 10 फीसदी का कर देना पड़ता है। 
  • इन्फोसिस कंपनी के पूंजी आवंटन की एक स्पष्ट नीति है, जिसकी नियमित तौर पर समीक्षा की जाती है। पिछले तीन साल के दौरान इसने दो बार लाभांश भुगतान में इजाफा किया है। 
  • बोर्ड और प्रबंधन निरंतर नीति की समीक्षा करते हैं और सही समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा।

निष्कर्ष :

कंपनियों की ओर से शेयर पुनर्खरीद की पहल ऐसे समय में की जा रही है जब कारोबार वृद्घि की रफ्तार धीमी है। दुनिया के सबसे बड़े आईटी बाजार अमेरिका में ग्राहकों की ओर से भारतीय आईटी कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे इनकी बिक्री पर भी दबाव बना हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का भी असर भारतीय आईटी कंपनियों पर पडऩे की आशंका है। कंपनी ने यह घोषणा ऐसे समय की है जब भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों से उनके पास जमा भारी नकद राशि के उपयोग को लेकर उनके शेयरधारक सवाल उठा रहे थे । घरेलू आईटी कंपनियाँ भारी-भरकम अधिग्रहण पर भी सतर्कता बरत रही हैं और क्लाउड एवं डिजिटल जैसी नई तकनीकों को अपनाने में थोड़ी सुस्ती दिखा रही हैं। इससे भी उनके विकास पर असर पड़ा है ।

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