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मधुमेह के रोगियों के लिये एक टीबी टीका

  • 27 Jun 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

एक वैज्ञानिक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि BCG (Baccilus Calmette-Guirin) नामक सैकड़ों वर्ष पुराना तपेदिक टीका, मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा को कम कर सकता है। यह अध्ययन एनपीजे वैक्सीन (npj vaccines) नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

अध्ययन के महत्त्वपूर्ण बिंदु  

  • अध्ययन में एडवांस टाइप-1 मधुमेह हाइपरग्लाइसीमिया (hyperglycemia) से ग्रसित तीन रोगियों को बीसीजी का वैक्सीन दिया गया और इससे उनके रक्त शर्करा में दीर्घकालिक कमी पाई गई। तीन साल बाद एक बार फिर 6 रोगियों का इसी विधि से इलाज किया गया।
  • जब यू.एस. में मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के इम्यूनोलॉजिस्ट डेनिस एल. फॉस्टमैन के नेतृत्व में जाँचकर्त्ताओं ने इन रोगियों का पाँच साल बाद परीक्षण किया तो उन्हें HbA1c नामक मार्कर में उच्च रक्त शर्करा में निरंतर गिरावट पाई गई।
  • इसके अलावा, रोगियों में किसी को भी हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) या खतरनाक रूप से रक्त शर्करा का स्तर कम नहीं पाया गया, जैसा कि सामान्य रूप से इंसुलिन लेने वाले मरीजों में जीवन को जोखिम में डालने वाले दुष्प्रभाव उत्पन्न होने की संभावना रहती है।
  • यह  अध्ययन बड़े पैमाने पर नैदानिक परीक्षणों में दोहराए जाने पर टाइप-1 मधुमेह के लिये एक सुरक्षित और सस्ता उपचार का वादा करता है।
  • भले ही बीसीजी टीका बचपन में टीबी के खिलाफ बहुत अच्छी तरह से काम नहीं करता है लेकिन यह कुष्ठ रोगियों, बच्चों को सेप्सिस और लीशमैनियासिस (Leishmaniasis) के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है। यह मूत्राशय कैंसर (Bladder Cancer) के लिये पहली स्वीकृत इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) भी है।
  • चरण-1 में परीक्षण के दौरान फॉस्टमैन और उनके सहयोगियों ने तीन रोगियों को बीसीजी टीका लगाया और पाया कि रोगियों ने अग्नाशयी इंसुलिन अधिक उत्पादित किया।
  • इसके अलावा उन्होंने अनेक प्रकार के रेगुलेटरी टी सेल्स (regulatory T cells-tregs) नामक प्रतिरक्षा कोशिका भी प्राप्त की जो ऑटोइम्यून (Autoimmune) रोगों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करती है।
  • टाइप -1 मधुमेह, एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इंसुलिन का स्राव करने वाली अग्नाशयी कोशिकाएँ अपनी ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा नष्ट हो जाती हैं।
  • लेकिन, हालाँकि बीसीजी चरण-1 के परीक्षण में पैनक्रियाज़ को पुन: उत्पन्न किया गया था, टीम ने अपने मरीजों के HbA1C स्तरों में थोड़ा सुधार पाया।
  • यही कारण है कि उन्होंने परीक्षण जारी रखा और  उम्मीद है कि वैक्सीन लंबे समय तक रक्त शर्करा को नियंत्रित करेगी।
  • एनपीजे वैक्सीन अध्ययन से पता चलता है कि टीका पाँच से आठ साल की अवधि के लिये रक्त शर्करा को कम कर सकता है।
  • चूहों पर यह प्रयोग कर शोधकर्त्ताओं ने यह प्रदर्शित किया कि वैक्सीन ने किस प्रकार शरीर में ऑक्सीडेटिव फॉस्फोरिलेशन (Oxidative Phosphorylation) नामक एक प्रक्रिया, जिसे एरोबिक ग्लाइकोलिसिस (aerobic glycolysis) कहा जाता है, से ग्लूकोज़ को उपापचयित किया था। इसके अलावा BCG ने भी Tregs की संख्या में वृद्धि की।
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