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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

दूरसंचार नेटवर्क क्षमता में वृद्धि की आवश्यकता

  • 01 Apr 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

‘राइट ऑफ वे’ पॉलिसी, 2016

मेन्स के लिये:

भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की चुनौतियाँ, दूरसंचार क्षेत्र पर COVID-19 के प्रभाव  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोरोनावायरस की रोकथाम हेतु लागू 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान देश में इंटरनेट डेटा ट्रैफिक में अत्यधिक वृद्धि को देखते हुए ‘टॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन’ ने देश के दूरसंचार नेटवर्क क्षमता में शीघ्र ही वृद्धि किये जाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है।  

मुख्य बिंदु:

  • टॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (Tower and Infrastructure Providers Association- TAIPA) के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से लॉकडाउन और अधिकतर लोगों के घर से काम करने के कारण देश में डाटा ट्रैफिक में कम-से-कम 30% की वृद्धि हुई है।
  • इस दौरान देश के कुछ शहरों जैसे-बंगलूरु और हैदराबाद में सेल्युलर नेटवर्क डेटा ट्रैफिक में 70% तक की वृद्धि देखने को मिली है। 

टॉवर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन

(Tower and Infrastructure Providers Association- TAIPA): 

  • TAIPA ‘भारतीय संस्था पंजीकरण अधिनियम’ (Indian Society registration act), 1860 के तहत पंजीकृत एक उद्योग प्रतिनिधि निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 2011 में की गई थी।
  • यह संस्था टेलीकॉम क्षेत्र के विकास के लिये नीति निर्माताओं, नियामकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य हितधारकों के बीच समन्वय तथा विचार-विमर्श को बढ़ावा देने का कार्य करती है।  
  • TAIPA के अनुसार, देश में इंटरनेट डेटा की मांग को पूरा करने और दूरसंचार सेवाओं की 24x7 आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण और मज़बूत बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है।
  • ध्यातव्य है कि कोरोनावायरस के प्रसार पर नियंत्रण के लिये 24 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा देश में अगले 21 दिनों के लिये संपूर्ण लॉकडाउन लागू किये जाने की घोषणा की गई थी।  
  • इस दौरान कुछ अति आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी गतिविधियों (उद्योग, यातायात आदि) पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • लॉकडाउन के दौरान अधिकतर कंपनियों ने इंटरनेट के माध्यम से घर पर रहकर काम करने का विकल्प अपनाया, जिसके कारण पिछले कुछ दिनों में सेल्युलर नेटवर्क डेटा ट्रैफिक में अत्यधिक वृद्धि हुई है। 
  • साथ ही स्कूलों और कॉलेजों द्वारा लॉकडाउन के दौरान ई-लर्निंग जैसी पहल की शुरुआत के कारण दूरसंचार क्षेत्र पर दबाव बढ़ा है।     

टेलीकॉम क्षेत्र के कमज़ोर बुनियादी ढाँचे के कारण:

  • TAIPA महानिदेशक के अनुसार, देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से मात्र 16 ने ही बड़े पैमाने पर ‘राइट ऑफ वे’ पॉलिसी, 2016 के अनुरूप अपनी नीतियाँ बनाई हैं।

भारतीय तार मार्ग के अधिकार नियम

(Indian Telegraph Right of Way Rules, 2016): 

  • भारत सरकार द्वारा ये नियम ‘भारतीय तार अधिनियम (Indian Telegraph Act),1885’ के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मोबाइल टावर और भूमिगत अवसंरचना (ऑप्टिकल फाइबर) को विनियमित करने के लिये बनाए गए थे।
  • इन नियमों के तहत मोबाइल टावर लगाने, ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने का लाइसेंस और अनुमति देने तथा समयबद्ध तरीके से विवादों को निपटाने की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।    
  • भारतीय तार मार्ग के अधिकार नियम को नवंबर 2016 में लागू किया गया था।  
  • हाल के वर्षों में टेलीकॉम क्षेत्र में सक्रिय बहुत सी कंपनियाँ घाटे में रही हैं और बकाया समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue-AGR) के विवाद के कारण टेलीकॉम क्षेत्र की कंपनियाँ भारी दबाव में रहीं हैं। 
  • पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी विकास, सस्ती टेलीकॉम सुविधाओं (स्मार्टफोन, डेटा शुल्क) की उपलब्धता  और विभिन्न सरकारी तथा गैर-सरकारी सेवाओं के ऑनलाइन होने से इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।      

समाधान:  

  • TAIPA द्वारा ‘दूरसंचार विभाग’ (Department of Telecommunication- DoT) के सचिव और राज्य सचिवों को लिखे पत्र में बढ़े इंटरनेट ट्रैफिक के दबाव से निपटने के लिये देश के दूरसंचार नेटवर्क क्षमता में शीघ्र ही वृद्धि किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।  
  • TAIPA के अनुसार, देश के दूरसंचार नेटवर्क क्षमता को बढ़ाने के लिये वर्तमान अवसंरचना के उन्नयन के साथ ही नए उपकरणों की मात्रा में भी वृद्धि करनी होगी।
  • इसके तहत नेटवर्क टॉवर, सेल ऑन वील्स (Cell on Wheels) और ऑप्टिकल फाइबर केबल तंत्र के विकास पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।   

स्रोत: द हिंदू

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