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भारतीय राजव्यवस्था

सर्वोच्च न्यायालय ने वन्नियार कोटा रद्द किया

  • 04 Apr 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तमिलनाडु में वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय, संविधान की नौवीं अनुसूची।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय के लिये 10.5 प्रतिशत आंतरिक आरक्षण को रद्द कर दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा?

  • सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय को 10.5% आंतरिक आरक्षण समानता, गैर-भेदभाव और तमिलनाडु में 115 अन्य अति पिछड़े समुदायों (MBCs) तथा विमुक्त समुदायों (DNCs) के समान अवसर के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
  • राज्य में अति पिछड़ा वर्ग (MBC) के कुल 20% के कोटे के भीतर एक समुदाय को 10.5 फीसदी आरक्षण का आवंटन और इस श्रेणी में अन्य 115 अन्य समुदायों को केवल 9.5% कोटा देने का कोई विशिष्ट एवं पर्याप्त आधार नहीं है।
  • इसके अलावा न्यायालय ने कहा कि इस दावे का समर्थन करने के लिये वर्ष 2021 के अधिनियम से पहले कोई मूल्यांकन या विश्लेषण नहीं किया गया था कि वन्नियाकुला क्षत्रिय अन्य MBCs और DNCs की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक पिछड़े थे।
  • न्यायालय ने रेखांकित किया कि जाति आंतरिक आरक्षण के लिये शुरुआती बिंदु हो सकती है, लेकिन यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह निर्णय की तर्कसंगतता को सही ठहराए।
  • हालाँकि न्यायालय ने वर्ष 2021 के अधिनियम और इसके आरक्षण के प्रतिशत को असंवैधानिक ठहराया, लेकिन इसने राज्य की विधायी क्षमता को चिह्नित पिछड़े वर्गों के भीतर उप-वर्गीकरण एवं इस प्रतिशत को विभाजित करने के लिये कानून बनाने हेतु एक सक्षम प्राधिकरण के रूप में मान्यता दी है।

वन्नियाकुला क्षत्रिय आरक्षण क्या है?

  • संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत संरक्षण प्राप्त वर्ष 1994 के अधिनियम के तहत तमिलनाडु में 69% आरक्षण लागू है।
    • 69% में से ईसाई और मुसलमानों सहित पिछड़े वर्गों को 30% MBCs को 20%; अनुसूचित जाति को 18% और अनुसूचित जनजाति के लिये 1% आरक्षण की व्यवस्था है।
  • यह आरक्षण राज्य में अति पिछड़ा वर्ग और विमुक्त समुदाय अधिनियम, 2021 के तहत प्रदान किया गया था।
  • इसमें वन्नियाकुला क्षत्रिय (वन्नियार, वनिया, वन्निया गौंडर, गौंडर या कंदर, पडायाची, पल्ली और अग्निकुल क्षत्रिय सहित) समुदाय को शामिल किया गया था।
  • वर्ष 1983 में दूसरे तमिलनाडु पिछड़ा आयोग ने माना कि वन्नियाकुला क्षत्रियों की आबादी राज्य की कुल आबादी का 13.01% है।
  • इसलिये 13.01% की आबादी वाले समुदाय को 10.5% आरक्षण के प्रावधान को अनुपातहीन नहीं कहा जा सकता है।

भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची:

  • नौवीं अनुसूची को भारतीय संविधान में पहले संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
  • इसे 10 मई, 1951 को जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा भूमि सुधार कानूनों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर न्यायालय में चुनौती दिये जाने से बचाने के लिये पेश किया गया था।
  • इसे नए अनुच्छेद 31B द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया था।
    • अनुच्छेद 31B का एक पूर्वव्यापी (Retrospective) संचालन भी है, अर्थात् न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित होने के बाद भी यदि किसी कानून को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाता है तो वह उस तारीख से संवैधानिक रूप से वैध माना जाएगा।
  • जबकि अनुसूची के तहत संरक्षित अधिकांश कानून कृषि/भूमि के मुद्दों से संबंधित हैं, इसके साथ ही सूची में अन्य विषय भी शामिल हैं।
  • हालाँकि अनुच्छेद 31B न्यायिक समीक्षा से परे है, जबकि बाद में शीर्ष अदालत द्वारा कहा गया कि नौवीं अनुसूची के तहत कानून भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आएंगे यदि वे मौलिक अधिकारों या संविधान के मूल ढाँचे का उल्लंघन करते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची को भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान पेश किया गया था? (2019)

(a) जवाहर लाल नेहरू
(b) लाल बहादुर शास्त्री
(c) इंदिरा गांधी
(d) मोरारजी देसाई

उत्तर: (a)

स्रोत: द हिंदू

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