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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

विशेष प्रयोजन अधिग्रहण कंपनियांँ (SPACs)

  • 22 Apr 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एसपीएसी, कंपनी लॉ कमेटी 2022, आईपीओ, शेल कंपनियांँ, एस्क्रो अकाउंट, सेबी।

मेन्स के लिये:

एसपीएसी का महत्त्व तथा संबधित चिंताओं को दूर करने के उपाय। 

चर्चा में क्यों? 

कंपनी कानून समिति 2022 (Company Law Committee 2022) की हालिया सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार देश में भारतीय कंपनियों की संभावित लिस्टिंग में सहायता हेतु विशेष प्रयोजन अधिग्रहण कंपनियों (Special Purpose Acquisition Companies (SPACs) के लिये एक नियामक ढांँचा स्थापित करने पर विचार कर रही है। 

  • भारत में व्यापार करने में आसानी प्रदान करने हेतु सिफारिशें करने के लिये वर्ष 2019 में कंपनी लॉ कमेटी का गठन किया गया था। 

प्रमुख बिंदु

SPACs के बारे में:  

  • एक विशेष प्रयोजन अधिग्रहण कंपनी (SPAC) इनिशियल पब्लिक ऑफ के माध्यम से निवेश हेतु पूंजी जुटाने के एकमात्र उद्देश्य के लिये बनाया गया एक निगम है।
    • उनके आईपीओ के समय SPAC के पास कोई मौजूदा व्यवसाय संचालन या अधिग्रहण के लिये कोई निर्धारित लक्ष्य नहीं होता है।
  • इस तरह की व्यावसायिक संरचना निवेशकों को फंड हेतु धन का उपयोग करने की अनुमति देती है जिसका उपयोग आईपीओ के बाद पहचाने जाने वाले एक या अधिक अनिर्दिष्ट व्यवसायों हेतु किया जाता है।
    • इसलिये इस प्रकार की शेल फर्म संरचना को लोकप्रिय मीडिया में अक्सर "ब्लैंक-चेक कंपनी" कहा जाता है।
  • एक बार जब जनता से पैसा जुटा लिया जाता है तो इसे एस्क्रो खाते में रखा जाता है जिसे अधिग्रहण करते समय एक्सेस किया जा सकता है। 
    • यदि आईपीओ के दो साल के भीतर अधिग्रहण नहीं किया जाता है, तो SPAC को हटा दिया जाता है और पैसा निवेशकों को वापस कर दिया जाता है।

कंपनी कानून समिति 2022 की सिफारिशें:

  • यह कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एसपीएसी को मान्यता देने हेतु एक सक्षम ढांँचा प्रस्तुत करने की सिफारिश करती है और उद्यमियों को घरेलू व वैश्विक एक्सचेंजों पर भारत में शामिल एक एसपीएसी को सूचीबद्ध करने की अनुमति प्रदान करती है।
  • विशेष प्रयोजन अधिग्रहण कंपनियों (SPACs) को अधिनियम की मौज़ूदा योजना के साथ संरेखित करने के लिये समिति ने यह भी सिफारिश की है कि उन शेयरधारकों को एक निकास विकल्प प्रदान किया जाना चाहिये, जो लक्षित कंपनी की पसंद से सहमत नहीं हैं।
  • इसके अलावा यह SPACs के लिये अपने आवेदन में कंपनियों को बंद करने से संबंधित प्रावधानों को उपयुक्त रूप से संशोधित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है, क्योंकि उनका अपना कोई परिचालन व्यवसाय नहीं है।

SPACs का महत्त्व:

  • लागत कुशल: 
    • एक कंपनी महीनों के भीतर सार्वजनिक कंपनी हो सकती है यदि उसका विलय हो जाता है या एक SPAC द्वारा अधिग्रहित कर ली जाती है।
    • SPACs विशेष रूप से निवेशकों को विशिष्ट भारतीय व्यवसायों के लिये अद्वितीय अवसर पेश करते हैं जो इस प्रक्रिया से जुड़ी विशाल लागतों को वहन किये बिना विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने का इरादा रखते हैं।
      • उदाहरण के लिये अगस्त 2021 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निगमित SPAC के माध्यम से NASDAQ (एक अमेरिकी स्टॉक मार्केट) पर एक भारतीय अक्षय ऊर्जा कंपनी, रिन्यू पावर प्राइवेट लिमिटेड की हालिया लिस्टिंग SPAC की लोकप्रियता की बात करती है।
  • ज़ोखिम को कम कर सुरक्षा सुनिश्चित करना:
    • SPACs के माध्यम से सूचीबद्ध करना उल्लेखनीय माना जाता है क्योंकि पूरी प्रक्रिया न्यूनतम ज़ोखिम और सुनिश्चित निश्चितता के साथ एक निश्चित समझौते के अनुसार होती है।
  • असहमत शेयरधारकों को सुरक्षा प्रदान करना:
    • यह असंतुष्ट SPAC शेयरधारकों के हितों की भी रक्षा करती है क्योंकि प्रस्तावित अधिग्रहण के खिलाफ वोट देने वालों को SPAC प्रमोटरों को अपने शेयर बेचकर बाहर निकलने की अनुमति है।
  • निवेशकों के लिये आकर्षक:
    • अनिवार्य रूप से शेल कंपनियाँ होने के बावजूद ये निवेशकों के लिये आकर्षक हैं क्योंकि ब्लैंक-चेक कंपनियाँ लोगों द्वारा प्रायोजित होती हैं।
  • देशों और उपभोक्ता आधारों के लिये एक्सपोज़र का अवसर:
    • कुछ व्यवसायों के लिये SPACs उन देशों और उपभोक्ता आधारों के साथ संपर्क हेतु  अवसर भी प्रदान करते हैं जहाँ ऐसे विशिष्ट उत्पादों की मांग है तथा ऐसी कंपनियों को उच्च मूल्यांकन प्राप्त करने अनुमति है।

शेल कंपनियाँ: 

  • शेल कंपनी एक ऐसी फर्म होती है जिसका अर्थव्यवस्था में कोई संचालन नहीं होता है, लेकिन यह अर्थव्यवस्था में औपचारिक रूप से पंजीकृत, निगमित या कानूनी रूप से संगठित होती  है।
  •  इन्हें कभी-कभी अवैध रूप से जैसे कि कानून प्रवर्तन या जनता से व्यावसायिक स्वामित्व को छिपाने के लिये उपयोग किया जाता है| 

इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग(IPO):  

  • प्राथमिक बाज़ार में जनता को प्रतिभूतियों की बिक्री को इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहा जाता है।
    • प्राथमिक बाज़ार पहली बार जारी की जा रही नई प्रतिभूतियों से संबंधित है। इसे न्यू इश्यू मार्केट के नाम से भी जाना जाता है।
    • इसे शेयर बाज़ार या स्टॉक एक्सचेंज के नाम से भी जाना जाता है। जो द्वितीयक बाज़ार से अलग है, जहाँ  मौजूदा प्रतिभूतियों को खरीदा और बेचा जाता है।
  • इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग तब प्रस्तुत की जाती है जब एक गैर-सूचीबद्ध कंपनी या तो प्रतिभूतियों को पहली बार या अपनी मौजूदा प्रतिभूतियों की बिक्री का प्रस्ताव या दोनों को पहली बार शेयर बाज़ार में बिक्री के लिये जारी करती है।
    • गैर-सूचीबद्ध कंपनियाँ वे हैं  जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध नहीं होती हैं।

एस्क्रो खाता (Escrow Account): 

  • यह एक कानूनी अवधारणा है जो एक ऐसे वित्तीय उपकरण को संदर्भित करती है जिसके तहत लेन-देन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिये संपत्ति या एस्क्रो मनी को दो अन्य पार्टियों की ओर से एक तीसरे पक्ष को उपलब्ध कराया जाता है।
  • तृतीय-पक्ष निधि को तब तक अपने पास रखता है जब तक कि दोनों पक्ष अपनी संविदात्मक शर्तों को पूरा नहीं कर लेते।

SPAC से संबंधित चिंताएँ:

  •  खुदरा निवेशकों के लिये रिटर्न सीमित हो सकता है:
    • एसपीएसी के लिये निवेशक फर्मों में उछाल और फिर लक्षित कंपनियों की तलाश ने निवेशित फर्मों के पक्ष में पैमानों को झुका दिया है। इसमें सैद्धांतिक रूप से विलय के बाद खुदरा (व्यक्तिगत) निवेशकों के लिये रिटर्न सीमित करने की क्षमता है। 
  •  प्रत्येक SPAC लक्ष्य आकर्षित करने में सक्षम नहीं है:
    • क्योंकि एसपीएसी को लिस्टिंग के बाद एक लक्षित इकाई की तलाश शुरू करने की आवश्यकता होती है और समग्र लेन-देन एक निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर पूरा करने  की उम्मीद की जाती है, ऐसे में कई एसपीएसी आकर्षक लक्षित व्यवसायों की तलाश करते नज़र आते हैं।
  • सौदे के परिणामस्वरूप जल्दबाज़ी में निर्णय लिया जा सकता है:
    • समयबद्ध खोज - एसपीएसी दो साल के लिये मौजूद है, एक आकर्षक सौदे के परिणामस्वरूप जल्दबाज़ी में निर्णय हो सकते हैं, जिससे असंतुष्ट शेयरधारकों को बाहर निकलने हेतु प्रेरित किया जा सकता है और निवेशकों का समग्र लाभ कम हो सकता है। 
  • निराशाजनक परिणाम जांँच शुरू कर सकते हैं:
    • कई मामलों में निराशाजनक परिणामों के फलस्वरूप शेयरधारकों द्वारा यूएस में एसपीएसी प्रायोजकों के खिलाफ क्लास एक्शन सूट और जांँच शुरू करने का निर्णय लिया गया।
  • अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने निवेशकों के लिये अधिक खुलासे की आवश्यकता पर ध्यान दिया है और धोखाधड़ी तथा हितों के टकराव के खिलाफ अधिक सुरक्षा का आह्वान किया गया है।

आगे की राह

  • भारत को SPAC का लाभ उठाना चाहिये :
    • भारत, SPACs का संचालन सतर्कता, आशावाद और अधिक नियामक निरीक्षण के साथ किया जा रहा है, यहांँ तक कि SPACs द्वारा किये गए बेहतर प्रदर्शन के उदाहरण धीरे-धीरे धरातल पर दिखने लगे हैं।
    • उन्हें नियंत्रित करने वाले नियामक ढांँचे को मज़बूत करने और जोखिम को कम करने के लिये ऐसी कंपनियों को वैधानिक मान्यता प्रदान करना तथा निवेशकों के हितों की रक्षा के उपाय करना आवश्यक है।
  • SPAC वैश्विक एक्सचेंजों कीअनुमति:
    • यह आवश्यक है कि भारत में निगमित SPAC को न केवल घरेलू स्टॉक एक्सचेंजों पर बल्कि वैश्विक एक्सचेंजों पर भी सूचीबद्ध होने की अनुमति दी जानी चाहिये, ताकि लक्षित कंपनियाँ SPACs की लहर को पार कर अपनी पूरी क्षमता हासिल करने में सक्षम बन सकें।
  • SPAC से संबंधित मुद्दों का विश्लेषण:
    • कंपनी अधिनियम के अंतर्गत  SPACs को मान्यता देना एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन अभी भी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के परामर्श से बाज़ार प्रथाओं के आधार पर SPACs से संबंधित मुद्दों के अधिक उत्कृष्टता के साथ विश्लेषण करने की आवश्यकता  है।
      • इसके अतिरिक्त कंपनी अधिनियम की धारा 23(3) और धारा 23(4) के लागू होने के बाद ही भारतीय निगमित SPACs की विदेशी सूची प्राप्त की जा सकती है। जो कुछ वर्गों की कंपनियों को अनुमत विदेशी क्षेत्राधिकार के स्टॉक एक्सचेंजों पर अपनी प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाता है।

 स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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