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डेली न्यूज़

भारतीय इतिहास

सर चेट्टूर शंकरन नायर

  • 06 Jul 2021
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार, लॉर्ड कर्ज़न, भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस  

मेन्स के लिये:

सर चेट्टूर शंकरन नायर का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान 

चर्चा में क्यों? 

शीघ्र ही सर चेट्टूर शंकरन नायर (Sir Chettur Sankaran Nair) के जीवन पर आधारित  एक बायोपिक का निर्माण किया जाएगा।

  • यह वर्ष 2019 में रघु पलत और पुष्पा पलत द्वारा लिखित पुस्तक 'द केस दैट शुक द एम्पायर' (The case that shook the Empire ) पर आधारित होगी।

Sir-Chettur-Sankaran-Nair

प्रमुख बिंदु: 

संक्षिप्त परिचय: 

  • इनका जन्म वर्ष 1857 में मालाबार क्षेत्र में पालक्काड़ ज़िले के मनकारा गांँव में हुआ।
  • इन्हें  सामाजिक सुधारों के समर्थक और भारत के आत्मनिर्णय में दृढ़ विश्वास हेतु जाना जाता है।
  • वे मद्रास उच्च न्यायालय में एक प्रशंसित वकील और न्यायाधीश थे।

उपलब्धियांँ:

  • INC के अध्यक्ष: ये वर्ष 1885 में गठित भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस  (Indian National Congress- INC) के शुरुआती निर्माताओं  में से एक थे।
    • वर्ष 1885 में  कॉन्ग्रेस पार्टी के इतिहास में वे सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने और इस पद को संभालने वाले एकमात्र मलयाली थे।
  • रैले विश्वविद्यालय आयोग के सदस्य: वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्ज़न (Lord Curzon) ने उन्हें रैले विश्वविद्यालय आयोग का सदस्य नियुक्त किया।
  • नाइटहुड: वर्ष 1904 में  ब्रिटेन की महारानी  द्वारा इन्हें कम्पैनियन ऑफ द इंडियन एम्पायर (Companion of The Indian Empire) के रूप में नियुक्त किया गया था तथा वर्ष 1912 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि दी गई थी।
  • मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीश: उन्हें वर्ष 1908 में मद्रास उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • वायसराय परिषद का हिस्सा: वर्ष 1915 में वे वायसराय की परिषद का हिस्सा बने, जिसे शिक्षा विभाग का प्रभारी बनाया गया था।

स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका:

  • एक उत्कट स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भारत के स्वशासन के अधिकार में इनका दृढ़  विश्वास था।
  • मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार: वर्ष 1919 में वायसराय की कार्यकारी परिषद में शामिल होकर उन्होंने मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों (Montagu-Chelmsford reforms) में प्रावधानों के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • इससे  प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली की शुरुआत हुई और प्रशासन में भारतीयों की भागीदारी में वृद्धि हुई।
  • वायसराय की परिषद से इस्तीफा: जलियाँवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल, 1919) के पश्चात् सर चेट्टूर शंकरन नायर ने विरोध स्वरूप वायसराय की परिषद से इस्तीफा दे दिया था।
    • उनके इस्तीफे ने ब्रिटिश सरकार को झकझोर कर रख दिया था और इस इस्तीफे के तुरंत बाद पंजाब में प्रेस सेंसरशिप हटा दी गई तथा मार्शल लॉ समाप्त कर दिया गया।
    • इसके अलावा पंजाब में गड़बड़ी की जाँच के लिये लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था।
  • गांधीवादी पद्धति के आलोचक: अपनी पुस्तक 'गांधी एंड एनार्की' में उन्होंने गांधी जी के तरीकों, विशेष रूप से अहिंसा, सविनय अवज्ञा और असहयोग आदि की व्यापक आलोचना की थी।
    • उनका मानना ​​था कि ये सभी तरीके अंततः दंगों और रक्तपात को ही जन्म देंगे।

माइकल ओ'डायर के खिलाफ कानूनी लड़ाई:

  • मानहानि का मुकदमा: सर चेट्टूर शंकरन नायर ने पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ'डायर को अपनी पुस्तक 'गांधी एंड एनार्की' में जलियाँवाला बाग हत्याकांड में हुए अत्याचारों के लिये उत्तरदायी ठहराया था।
    • इसके लिये उन्हें माइकल ओ'डायर द्वारा इंग्लैंड में दायर मानहानि के मुकदमे का भी सामना करना पड़ा था।
  • मुकदमे का प्रभाव: यद्यपि सर शंकरन नायर यह मामला हार गए थे, किंतु मुकदमे का भारत में ब्रिटिश साम्राज्य पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
    • ऐसे समय में जब राष्ट्रवादी आंदोलन ज़ोर पकड़ रहा था, तो तमाम भारतीयों ने इस मामले के तहत दिये गए निर्णय को ब्रिटिश सरकार के स्पष्ट पूर्वाग्रह और अपने लोगों के विरुद्ध अत्याचार करने वालों को बचाने के एक प्रयास के रूप में देखा।
    • यह निर्णय इस लिहाज़ से काफी महत्त्वपूर्ण था कि इसने स्वशासन के लिये लड़ने हेतु राष्ट्रवादियों के दृढ़ संकल्प को मज़बूत किया।

समाज सुधार:

  • मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके प्रसिद्ध निर्णय सामाजिक सुधारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
  • बुडासना बनाम फातिमा (वर्ष 1914) वाद में उन्होंने महत्त्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि जो लोग हिंदू धर्म में परिवर्तित हो गए हैं उन्हें बहिष्कृत नहीं माना जा सकता है।
  • कुछ अन्य मामलों में उन्होंने अंतर्जातीय और अंतर-धार्मिक विवाहों को भी मान्यता दी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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