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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ISA की दूसरी असेंबली

  • 31 Oct 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौता, STAR C, इंफोपीडिया 

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की कार्य पद्धति, जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दे, ऊर्जा संसाधनों से संबंधित मुद्दे  

चर्चा में क्यों?

30-31 अक्तूबर, 2019 को नई दिल्ली में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की दूसरी असेंबली का आयोजन किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • असेंबली ISA की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई है जो गठबंधन के विभिन्‍न प्रशासनिक, वित्‍तीय और कार्यक्रमों से संबंधित मुद्दों पर निर्णय लेती है।
  • भारत इस असेंबली की अध्यक्षता जबकि फ्राँस इसका सह-अध्यक्षता की।
  • इस गठबंधन हेतु 121 संभावित देशों में अभी तक 81 देशों ने इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्‍ताक्षर किए हैं जबकि इनमें 58 देशों ने इसकी पुष्टि (Ratified) भी कर दी है।
  • ISA को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के उद्देश्यों और सतत् विकास लक्ष्य 2030 को प्राप्त करने हेतु महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। ISA का उद्देश्य सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के मार्ग में आने वाली चुनौतियों का सामूहिक रूप से निराकरण करना है।
  • ISA की पहली असेंबली वर्ष 2018 में आयोजित की गई थी जिसमे वैश्विक स्‍तर पर सौर ऊर्जा के उत्‍पादन को बढ़ाने की बात कही गई थी। इसके लिये STAR C कार्यक्रम और इंफोपीडिया (Infopedia) जैसी कई महत्त्वपूर्ण गतिविधियों की शुरुआत की थी।
    • STAR C एक सौर प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग संसाधन केंद्र परियोजना (Solar Technology Application Resource Centre project) है।
    • इसके अतिरिक्त इंफोपीडिया एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो सौर ऊर्जा पर सूचना, सर्वोत्तम कार्यक्रमों, गतिविधियों और ज्ञान के प्रसार के लिये समर्पित है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सौर ऊर्जा की अधिक उपलब्धता वाले देशों का एक संधि आधारित अंतर-सरकारी संगठन (Treaty- based International Intergovernmental Organization) है।
  • अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत भारत और फ्राँस ने 30 नवंबर, 2015 को पेरिस जलवायु सम्‍मेलन के दौरान की थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, कर्क और मकर रेखा के मध्य, आंशिक या पूर्ण रूप से अवस्थित 121 सौर ऊर्जा की संभावना वाले देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है।
  • इसका मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा) में है।
  • इसके प्रमुख उद्देश्यों में वैश्विक स्तर पर 1000 गीगावाट से अधिक का सौर ऊर्जा उत्पादन और वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश के लिये लगभग 1000 बिलियन डॉलर की राशि को जुटाना शामिल है।

स्रोत: pib

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