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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वकीलों के सत्यापन के खिलाफ याचिका

  • 24 Nov 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2015 के सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरीफिकेशन) नियमों (Certificate and Place of Practice (Verification) Rules) को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संबंध में अपने आदेश को आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। इन याचिकाओं के अंतर्गत फर्ज़ी वकीलों पर शिकंजा कसने के लिये बड़े पैमाने पर वकीलों की सत्यता की जाँच किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

प्रमुख बिंदु
  • भारतीय दंड परिषद (Bar Council of India - BCI) द्वारा प्रस्तुत याचिका में यह कहा गया है कि वकीलों के सत्यापन के संबंध में कार्यवाही अभी भी जारी है, साथ ही इस संबंध में विभिन्न राज्यों की बार परिषदों द्वारा रिपोर्ट भी पेश की गई है। 
  • बी.सी.आई. ने अदालत को बताया कि 15 लाख से अधिक नामांकित वकीलों में से तकरीबन छह लाख वकीलों ने अपने सत्यापन फॉर्म जमा किये हैं।
  • द हिंदू समाचार पत्र द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, बी.सी.आई. ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व  न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय सत्यापन समिति भी गठित की गई है। 
  • हालाँकि, न्यायालय द्वारा सत्यापन प्रक्रिया के कारण राज्य बार कौंसिल के चुनावों में व्यवधान पड़ने के संबंध में चिंता व्यक्त की गई है।
  • उक्त याचिकाओं में इस बात का आरोप लगाया गया है कि 13 जनवरी, 2015 को सर्वोच्च अधिवक्ताओं द्वारा जारी सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरीफिकेशन) रूल्स, 2015 नामक संकल्प न केवल असंवैधानिक था बल्कि वह अधिवक्ता अधिनियम का भी उल्लंघन करता है।
सर्वोच्च न्यायालय
  • भारत का सर्वोच्च न्यायालय देश का एक शीर्ष निकाय है। इसकी स्थापना 26 जनवरी, 1950 में की गई थी। वस्तुतः यह संविधान के रक्षक के तौर पर काम करता है। 
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 तथा 147 संघीय न्यायपालिका से संबंधित हैं। 
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति
  • संविधान के अंतर्गत 30 न्यायधीशों एवं 1 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान निहित किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश की सलाह से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 
योग्यताएँ 
  • व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिये।
  • कम से कम पाँच साल के लिये उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा हो अथवा दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पाँच वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो; अथवा
  • किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो; अथवा
  • वह व्यक्ति जो राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता हो।
  • सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिये किसी भी प्रदेश के उच्च न्यायालय में पाँच वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है। 
कार्यकाल
  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होती है। 
  • न्यायाधीशों को केवल (महाभियोग) दुर्व्यवहार या असमर्थता के सिद्ध होने पर संसद के दोनों सदनों द्वारा दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करके ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
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