भारतीय अर्थव्यवस्था
मुद्रा योजना के तहत ज़मानत मुक्त ऋण
- 19 Jun 2019
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (Micro, Small and Medium Enterprises-MSMEs) पर गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने यह सुझाव दिया है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना,स्वंय सहायक समूहों और MSMEs के तहत दिये जाने वाले ज़मानत मुक्त (Collateral-Free) ऋणों की अधिकतम सीमा को 20 लाख रुपए तक बढ़ा दिया जाना चाहिये। ज्ञातव्य है कि वर्तमान में इन योजनाओं के तहत 10 लाख रुपए तक के जमानत मुक्त (Collateral-Free) ऋण प्रदान किये जा रहें हैं।
मुख्य बिंदु:
- यदि केंद्रीय बैंक विशेषज्ञों के इस सुझाव को मंज़ूरी प्रदान करता है तो बैंकिंग नियामकों (Banking Regulator) को 1 जुलाई, 2010 के अपने परिपत्र (Circular) में संशोधन करना होगा जो ज़मानत मुक्त ऋणों की सीमा को 10 लाख रुपए तक निर्धारित करता है।
- उपरोक्त सुझाव उस रिपोर्ट का एक हिस्सा है जिसे RBI द्वारा गठित आठ सदस्यीय समिति (भारत में MSMEs के ढाँचे की समीक्षा करने के लिये गठित समिति) द्वारा तैयार किया गया है।
- समिति द्वारा यह रिपोर्ट SEBI के पूर्व अध्यक्ष यू. के. सिन्हा के नेतृत्व में तैयार की गई है। समिति ने MSMEs की आर्थिक व वित्तीय स्थिरता के लिये कई सारे दीर्घकालीन सुझाव प्रस्तुत किये हैं।
- समिति के सुझाव ऐसे समय में आए हैं जब सरकार MSMEs की परिभाषा को बदलने पर विचार कर रही है।
- MSMEs के संदर्भ में वर्ष 2006 की परिभाषा के अनुसार,
- विनिर्माण इकाई के लिये
- 25 लाख रुपए से कम निवेश वाली इकाइयाँ सूक्ष्म उद्योग कहलाती हैं,
- 25 लाख से 5 करोड़ रुपए तक के निवेश वाली इकाइयाँ लघु उद्योग कहलाती हैं, और
- 5 करोड़ से 10 करोड़ रुपए के निवेश वाली इकाइयाँ मध्यम उद्योग कहलाती हैं।
- सेवा इकाई के लिये
- 10 लाख रुपए से कम निवेश वाली इकाइयाँ सूक्ष्म उद्योग कहलाती हैं,
- 10 लाख से 2 करोड़ रुपए तक के निवेश वाली इकाइयाँ लघु उद्योग कहलाती हैं, और
- 2 करोड़ से 5 करोड़ रुपए तक के निवेश वाली इकाइयाँ मध्यम उद्योग कहलाती हैं।
- विनिर्माण इकाई के लिये
- परिभाषा में परिवर्तन करने का प्रारूप कैबिनेट द्वारा मंज़ूर कर दिया गया है, परंतु इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
- नई परिभाषा के अनुसार,
- उद्योग निर्धारण के लिये निवेश के स्थान पर कुल सालाना बिक्री को आधार माना जाएगा।
- विनिर्माण इकाई और सेवा इकाई में कोई अंतर नहीं होगा।
- 5 करोड़ रुपए की कुल बिक्री वाली इकाइयाँ सूक्ष्म उद्योग होंगी।
- 75 करोड़ रुपए की कुल बिक्री वाली इकाइयाँ लघु उद्योग होंगी, और
- 250 करोड़ रुपए की कुल बिक्री वाली इकाइयाँ मध्यम उद्योग होंगी।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना :
- इस योजना की शुरुआत अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। इसके तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम इकाइयों के उद्योगों को ज़मानत मुक्त ऋण प्रदान किया जाता है।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत तीन प्रकार के ऋणों की व्यवस्था है:
- शिशु - 50,000 रुपए तक के ऋण
- किशोर - 50,001 से 5 लाख रुपए तक के ऋण
- तरुण - 500,001 से 10 लाख रुपए तक के ऋण
- आँकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत वर्ष 2018-19 में लगभग 60 मिलियन ऋण प्रदान किये गये थे जिनका मौद्रिक मूल्य 3 खरब (Trillion) रुपए से भी अधिक था।
- यह एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि इस योजना की 75 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएँ हैं।