विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 जनवरी, 2020
- 09 Jan 2020
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विक्रम साराभाई बाल नवोन्मेष केंद्र
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने राज्य में विक्रम साराभाई बाल नवोन्मेष केंद्र (VSCIC) की स्थापना की घोषणा की है। इस केंद्र की स्थापना का मुख्य उद्देश्य राज्य के बच्चों के मध्य नवोन्मेष की भावना जागृत करना है। इसके तहत राज्य के बच्चों के नवोन्मेष को पहचानने, उसका विकास करने और उसके बढ़ावा देने का कार्य किया जाएगा। इस केंद्र की शुरुआत भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम से की जा रही है। उनका जन्म 12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। विक्रम साराभाई को शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार (वर्ष 1962) पद्म भूषण (वर्ष 1966) तथा पद्म विभूषण (वर्ष 1972) से सम्मानित किया जा चुका है।
बिगली (Bigly)
अपने चुनावी भाषणों के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बिगली (Bigly) शब्द का बहुतायत में प्रयोग किया था, वर्तमान में इसका प्रयोग राष्ट्रपति के उपहास में प्रयोग किया जा रहा है। किंतु BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह सच में एक शब्द है और इसका अर्थ है “ज़्यादा ताकत के साथ”।
आर्मी चीफ जनरल बाजवा
पाकिस्तानी संसद के निचले सदन ने पाकिस्तानी सेना के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। विदित हो कि हाल ही में पाकिस्तान ने सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों तथा ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 से बढ़ाकर 64 वर्ष करने के लिये तीन विधेयक पेश किये गए थे, जिन्हें भी सदन की मंज़ूरी दे दी गई है।
प्रवासी भारतीय दिवस
09 जनवरी, 2020 को देशभर में 16वाँ प्रवासी भारतीय दिवस मना रहा है। दुनिया भर में बसे भारतीय प्रवासियों से नाता जोड़ने के लिये प्रवासी भारतीय दिवस की शुरुआत वर्ष 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी। ज्ञातव्य है कि 9 जनवरी, वर्ष 1915 को ही महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे थे, इसीलिये प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है “
जसबिंदर बिलान
भारतीय मूल की लेखिका जसबिंदर बिलान को उनके पहले उपन्यास ‘आशा एंड द स्प्रिट बर्ड’ के लिये ‘यूके चिल्ड्रेन बुक पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। इस उपन्यास में हिमालय पर्वत के परिप्रेक्ष्य में लेखिका ने अपने बचपन की जीवनगाथा प्रस्तुत की है। उन्हें इस पुस्तक के लिये पुरस्कार के रूप में पाँच हजार पौंड की रकम दी जाएगी। इस पुरस्कार के लिये 144 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं जिनमें से जसबिंदर बिलान की पुस्तक को पुरस्कार के लिये चुना गया है।