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सामाजिक न्याय

अभिनव (नई) दवाओं हेतु बहुराष्ट्रीय कंपनियों को बढ़ावा

  • 05 Jan 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में सरकार ने विदेशी कंपनियों द्वारा विकसित की अभिनव (नई) दवाओं को पाँच साल के लिये मूल्य नियंत्रण से मुक्त कर दिया, जिससे भारतीय मरीजों को उन दवाओं तक पहुँच की सुविधा मिल सकेगी जो कि वर्तमान में केवल विदेशों में उपलब्ध है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • देश में दवाओं के वाणिज्यिक विपणन के लिये ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO) के संशोधन के तहत रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने नई दवाओं के उत्पादकों को छूट दी है। यह छूट भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 39 के तहत पेटेंट की तारीख से पाँच साल तक की अवधि के लिये होगी।
  • इनमें ऐसी दवाएँ शामिल हैं जिनका उपयोग दुर्लभ चिकित्सा स्थितियों में इलाज के लिये किया जाता है।
  • ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क की सह-संयोजक मालिनी आइसोला ने कहा कि निकट भविष्य में विदेशी कंपनियों को इससे लाभ मिलेगा और सरकार द्वारा नीतिगत रूप से लोगों के जीवन के लिये आवश्यक बेहद महँगी दवाइयों तक पहुँच को कठिन बना देगा।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की परवाह किये बिना महँगी दवाओं को मूल्य नियंत्रण के तहत रखने से सरकार को रोकेगा।
  • सरकार का कहना है कि इस कदम से भारतीय मरीजों की विदेशी दवाओं तक पहुँच सुनिश्चित होगी। हालाँकि सरकार द्वारा दी जा रही यह छूट गैर-सरकारी संगठनों (NGO) की आलोचना के दायरे में आ गई है। ये NGO दावा करते हैं कि आपात स्थिति के दौरान मूल्य सीमा तय नहीं की जा सकती है।
  • ऐसी आशंका है कि डीपीसीओ (DPCO) की अनुसूची -1 के रूप में जानी जाने वाली आवश्यक दवाओं की एक राष्ट्रीय सूची के माध्यम से दवाओं की कीमतों को विनियमित करने के चलते गंभीर बीमारियों में उपयोग होने वाली कुछ दवाएँ पहुँच से बाहर हो सकती हैं, जबकि कोई भी दवा जो अनुसूची- I में शामिल है, स्वतः मूल्य नियंत्रण योग्य है। डीपीसीओ (DPCO) ने पहले से पेटेंट की गई दवाओं को छूट दी है जिन्हें "स्वदेशी" रूप से पाँच साल की अवधि के लिये विकसित किया जाना है।
  • अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने अप्रैल में घोषणा की थी कि वह अमेरिकी डेयरी उद्योग और अमेरिकी चिकित्सा उपकरण उद्योग द्वारा भारत के GSP (Generalized System of Preferences) लाभों की समीक्षा का अनुरोध करने के बाद भारत की प्राथमिकताओं की सामान्यीकृत प्रणाली (Generalized System of Preferences - GSP) की समीक्षा कर रहा था।
  • एडवांस मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन (Advance Medical Technology Association) ने USTR (United State Trade Representative) को भारत में जीएसपी लाभों को निलंबित करने की मांग करते हुए लिखा है कि इसके सदस्यों को कोरोनरी स्टेट और घुटने के प्रत्यारोपण पर ‘ड्रैकोनियन’ से संबंधित भारतीय मूल्य नियंत्रण को लेकर चिंतित थे, क्योंकि इसके कारण कीमतों में क्रमशः 85% और 70% गिरावट आई थी।

USTR क्या है?


यूनाइटेड स्टेट ट्रेड रिप्रेजेन्टेटिव (United State trade Representative)

  • अमेरिकी व्यापार नीति किसानों, निर्माताओं, श्रमिकों, उपभोक्ताओं और व्यवसायियों के लिये नए अवसरों और उच्च जीवन स्तर बनाने के लिए दुनिया भर में बाजार खोलने की दिशा में काम करती है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका अन्य देशों के साथ कई व्यापार समझौतों के लिये एक महत्त्वपूर्ण पार्टी है, जो दुनिया के कई देशों और क्षेत्रों के साथ नए व्यापार समझौतों के लिये वार्ता में भाग लेता है।

NPPA (National Pharmaceutical Pricing Authority) क्या है?

  • नेशनल फ़ार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) एक सरकारी नियामक एजेंसी है जो भारत में फार्मास्यूटिकल दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करती है। इसका गठन 29 अगस्त 1997 को किया गया था।

GSP (Generalized System of Preferences) क्या है?

  • GSP एक वरीयता प्राप्त टैरिफ प्रणाली है जिसे विकसित देशों में विकासशील देशों द्वारा विस्तारित किया जाता है।

स्रोत - लाइवमिंट,NPPA की आधिकारिक वेबसाइट

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