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भारतीय राजव्यवस्था

संसद सदस्यों द्वारा प्रश्न स्वीकार करने के नियम

  • 04 Dec 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक संसद सदस्य द्वारा उठाए गए प्रश्न को "राष्ट्रीय हित को देखते हुए" अस्वीकार कर दिया गया था।

  • इसके अलावा पिछले कुछ सत्रों में संसद सदस्यों द्वारा प्रायः यह आरोप लगाया जाता रहा है कि उनके प्रश्नों को अस्वीकार कर दिया गया है

प्रमुख बिंदुसमिति 

  • प्रश्न पूछने का अधिकार:
    • दोनों सदनों में निर्वाचित सदस्यों को तारांकित प्रश्नों, अतारांकित प्रश्नों, अल्प सूचना प्रश्नों और निजी सदस्य के प्रश्नों के रूप में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है।
      • प्रत्येक बैठक का पहला घंटा आमतौर पर दोनों सदनों में प्रश्न पूछने और उत्तर देने के लिये समर्पित होता है तथा इसे 'प्रश्नकाल' कहा जाता है।
    • राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष के पास यह तय करने का अधिकार है कि कोई प्रश्न या भाग सदन के मानदंडों के तहत स्वीकार्य है या नहीं और वह किसी भी प्रश्न या प्रश्न के किसी भाग को अस्वीकार कर सकता है।
  • प्रश्न स्वीकार करने के नियम:
    • राज्यसभा में:
      • राज्यसभा में प्रश्नों की स्वीकार्यता राज्यों की परिषद में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 47-50 द्वारा शासित होती है।
      • विभिन्न मानदंडों के बीच प्रश्न "केवल एक मुद्दे पर इंगित, विशिष्ट और सीमित होना चाहिये"।
    • लोकसभा:
      • लोकसभा में प्रश्नों के लिये नोटिस प्राप्त होने के बाद मतपत्र द्वारा प्राथमिकता निर्धारित की जाती है।
      • लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 41-44 के तहत स्वीकार्यता के लिये प्रश्नों की जाँच की जाती है।
      • लोकसभा में जिन प्रश्नों को स्वीकार नहीं किया जाता है उनमें शामिल हैं: 
        • वे जो दोहराए जाते हैं या जिनका उत्तर पहले दिया जा चुका है; 
        • ऐसे मामले जो किसी न्यायालय या संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन निर्णय के लिये लंबित हैं।
  • प्रश्नों की श्रेणी:
    • तारांकित प्रश्न (तारांकन द्वारा प्रतिष्ठित): 
      • तारांकित प्रश्नों का उत्तर मौखिक दिया जाता है तथा इसके बाद पूरक प्रश्न पूछे जाते हैं।
    • अतारांकित प्रश्न: 
      • अतारांकित प्रश्नों के मामले में लिखित रिपोर्ट आवश्यक होती है, इसलिये इनके बाद पूरक प्रश्न नहीं पूछे जा सकते हैं।
    • अल्प सूचना के प्रश्न: 
      • ये ऐसे प्रश्न होते हैं जिन्हें कम-से-कम 10 दिन का पूर्व नोटिस देकर पूछा जाता है। इनका उत्तर भी मौखिक दिया जाता है। 
    • निजी सदस्यों से पूछा जाने वाला प्रश्न: 
      • ऐसे प्रश्न उन सदस्यों से पूछे जाते हैं, जो मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं होते, किंतु किसी विधेयक, संकल्प या सदन के किसी विशेष कार्य के लिये उत्तरदायी होते है।

आगे की राह 

  • संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत संसद में प्रश्न पूछना सदन के सदस्य का संवैधानिक अधिकार है। इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो संसद में प्रश्नकाल एक अलग स्तर पर होता है।
  • एक प्रकार से प्रत्येक प्रश्नकाल इस अर्थ में प्रचालन में प्रत्यक्ष प्रकार के लोकतंत्र की अभिव्यक्ति है कि लोगों का प्रतिनिधित्व शासन के मामलों पर सरकार से सीधे सवाल करना है और सरकार सदन में सवालों के जवाब देने के लिये बाध्य है।
  • संबंधित अधिकारियों को भी एक सही कारण बताना चाहिये कि किसी प्रश्न को अस्वीकार क्यों किया जाना चाहिए। सदन के विशेषाधिकार के कारण RTI के माध्यम से भी इस कारण तक नहीं पहुँचा जा सकता है और इसे अदालत में भी ले जाना मुश्किल है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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