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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 17 अप्रैल, 2018

  • 17 Apr 2018
  • 7 min read

'टॉक टू बुक्स’

गूगल ने अपने यूजर्स के लिये एक नई सेवा 'टॉक टू बुक्स' शुरू की है। इसकी सहायता से दुनिया भर की किताबें पढ़ी जा सकती हैं। टॉक टू बुक्स पूरी तरह वाक्यों की मदद से किताबों को एक्सप्लोर करने का एक बेहतरीन तरीका है।

  • इसके लिये यूज़र्स को केवल एक वाक्य लिखना होगा। इसके लिये टॉपिक या लेखक की जरूरत नहीं होगी।
  • ‘टॉक टू बुक्स’ पुस्तकें तलाशने का एक नया तरीका प्रदान करता है। यदि यूज़र एक वाक्य या एक प्रश्न पूछता है तो यह उस वाक्य को किताबों में खोजता है।
  • यह एक तरह से किताबों से बात करने जैसा है। यह आपको सवालों का जवाब देगा और बताएगा कि किन किताबों में आपका जवाब मिलेगा। 

बकरवाल समुदाय

कठुआ रेप केस के बाद से जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों में रहने वाला बकरवाल समुदाय चर्चा का विषय बना हुआ है। गुर्जर समाज के एक बड़े और रसूखदार तबके को 'बकरवाल' कहा जाता है। यह नाम कश्मीरी बोलने वाले विद्वानों द्वारा दिया गया है। 

  • बकरवाल समुदाय के लोग भेड़-बकरी चराने का काम करते है। गुर्जर और बकरवालों को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है। 

► कुछ गुर्जर और बकरवाल पूरी तरह से खानाबदोश (फुली नोमाद) होते हैं. ये लोग सिर्फ जंगलों में गुज़र-बसर करते हैं। इनके पास अपना कोई ठिकाना नहीं होता है।
► दूसरी श्रेणी में आंशिक खानाबदोश आते हैं। ये वे लोग हैं जिनके पास कहीं एक जगह रहने का ठिकाना है और ये आस-पास के जंगलों में कुछ समय के लिये चले जाते हैं और कुछ समय बिताकर वापस अपने डेरे पर आ जाते हैं।
► तीसरी श्रेणी में शरणार्थी ख़ानाबदोश (माइग्रेटरी नोमाद) को शामिल किया जाता है जिनके पास पहाड़ी इलाकों में धोक (रहने का ठिकाना) मौजूद हैं और यहाँ मैदानी इलाकों में भी रहने का ठिकाना है।

  • वर्तमान में गुर्जर और बकरवाल देश के 12 राज्यों में रह रहे हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में भी इनकी अच्छी खासी संख्या है। 
  • इनकी एक विशिष्ट भाषा, लिबास, खान-पान और रहन-सहन है। वर्ष 1991 में बकरवालों को आदिवासी का दर्ज़ा दिया गया।
  • 2011 की जनगणना के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में गुर्जर बकरवाल की कुल आबादी लगभग 12 लाख के करीब है, अर्थात् कुल जनसंख्या का 11 प्रतिशत। 
  • माल-मवेशी बेचकर बसर करने वाले बकरवाल लोग आमतौर पर भेड़ बकरी, घोड़े और कुत्तों को पालते हैं। 
  • बकरवाल समुदाय के लोग आज भी 'बार्टर सिस्टम' के माध्यम से अपनी ज़रूरतों का सामान खरीदते है। इन लोगों के बैंक में खाते नहीं होते और न ही बैंकिंग सिस्टम में इनका विश्वास होता है। 
  • आज भी बड़ी संख्या में बकरवाल समुदाय के लोग अशिक्षित हैं। हालाँकि इनकी सहयता के लिये सरकार ने बड़ी संख्या में मोबाइल स्कूलों का इंतजाम किया है, तथापि इस संबंध में कोई कामयाबी हासिल नहीं हुई है। 
  • देश की सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले गुर्जर बकरवाल समुदाय के लोग देश की रक्षा में लगातार अपना योगदान देते रहे हैं। 

प्राकृतिक गैस कारोबार के लिये गैस एक्सचेंज

भारत सरकार ने इस साल अक्तूबर तक प्राकृतिक गैस की खरीद फरोख्त के लिये एक बड़ा एक्सचेंज (गैस विनिमय बाज़ार) शुरू करने की योजना बनाई है। इससे भारतीय गैस का एक मानक मूल्य तय हो सकेगा और इसकी खपत को बढ़ावा मिल सकेगा। 

  • तेल एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने इसके लिये एक सलाहकार की नियुक्ति हेतु बोलियाँ आमंत्रित की हैं जो भारतीय गैस विनिमय बाज़ार की स्थापना तथा उसकी नियामकीय रूपरेखा आदि के बारे में सलाह देगा।
  • देश में प्राकृतिक गैस की खपत को बढ़ावा देने के लिये सरकार एक गैस कारोबार केन्द्र अथवा एक्सचेंज स्थापित करने पर विचार कर रही है। वर्तमान में प्राकृतिक गैस के कई तरह के फार्मूलों पर आधारित मूल्य की बजाय इस एक्सचेंज के ज़रिये प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बाजार आधारित प्रणाली के तहत हो सकेगी।
  • वर्तमान में घरेलू स्तर पर उत्पादित गैस का मूल्य सरकार तय करती है। यह दर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और रूस में प्रचलित गैस के मूल्यों के आधार पर तय की जाती है जो गैस के शुद्ध निर्यातक हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund - IMF) एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है। 

  • यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है।
  • आईएमएफ का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. संयुक्त राज्य अमेरिका में है। आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (Special Drawing Rights) कहलाती है। 
  • ध्यातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं वित्त के लिये कुछ देशों की मुद्रा का प्रयोग किया जाता है, इसे ही एसडीआर कहते हैं।
  • एसडीआर के अंतर्गत यू.एस. डॉलर, पाउंड स्टर्लिंग, जापानी येन, यूरो तथा चीन की रेंमिन्बी शामिल है।
  • आईएमएफ का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी को कम करना, रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।
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