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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 16 दिसंबर, 2017

  • 16 Dec 2017
  • 11 min read

पैलेडियम
(Palladium)

पैलेडियम एक चमकीली धातु है, जिसे रासायनिक सूत्र pd के नाम से संबोधित किया जाता है। इसका एटॉमिक नंबर 46 होता है। इस धातु को प्लैटिनम समूह में शामिल एस्ट्रोयड पलास के नाम पर यह नाम दिया गया है।
प्रमुख बिंदु

  • यह प्लैटिनम की भाँति चमकीला एवं हल्का होता है।
  • इसका मेल्टिंग पॉइंट भी काफी कम होता है। यही कारण है कि इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक, मेडिसन, आभूषण इत्यदि में किया जाता है। 
  • इसका मेल्टिंग पॉइंट कम होने के कारण इसे उत्प्रेरक के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसकी एक अन्य विशेषता यह है कि यह वाहनों से उत्सर्जित होने वाले धुएँ (हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड एवं नाइट्रोजन आदि) को कम नुकसानदायक कणों में परिवर्तित करने में भी सक्षम होता है। 
  • इस उत्प्रेरक की उपस्थिति में एग्जोस्ट से निकलने वाला धुँआ नाइट्रोजन, कार्बन तथा भाप में परिवर्तित हो जाता है।


कॉकलियर इम्प्लांट
Cochlear implant

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संगठनों, सार्वजनिक और कॉरपोरेट क्षेत्रों का आह्वान करते हुए दिव्यांगजनों की सहायता के लिये कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पूरा करने हेतु आगे आने की अपील की गई है। एक आकलन के अनुसार, देश में लगभग ऐसे 35 हज़ार बच्चे हैं, जिन्हें हर वर्ष कॉकलियर इम्प्लांट की आवश्यकता होती है।

  • भारत सरकार ने उपयोगकर्त्ता विकलांग व्यक्तियों के लिये उपकरणों की खरीद/फिटिंग  (ए.डी.आई.पी.) योजना के तहत 500 बच्चों को प्रायोजित करने का प्रावधान किया है, लेकिन वास्तविक रूप में जितनी  आवश्यकता है यह आपूर्ति उसकी तुलना में काफी कम है।
  • पी.आई.बी. द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, अभी तक ए.डी.आई.पी. योजना और सी.एस.आर. कोष के तहत 1000 से अधिक सफल कॉकलियर इम्प्लांट सर्जरियाँ की जा चुकी हैं।

कॉकलियर इम्प्लांट क्या है ?

  • यह एक इलेक्ट्रानिक उपकरण होता है, जिसके दो भाग (बाहरी और अंदरूनी) होते हैं। 
  • अंदरूनी भाग ई.एन.टी. चिकित्सक (कान, नाक और गले से संबंधित चिकित्सक) ऑपरेशन के ज़रिये सिर के भीतर लगा देते हैं। इस ऑपरेशन के बाद विशेषज्ञ और प्रशिक्षक लोग व्यक्ति को सुनने और बोलने का प्रशिक्षण देते हैं।
  • इस पूरी प्रक्रिया में माता-पिता की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि घर पर बच्चे को भाषा को सीखने, सुनने और बोलने की क्षमता विकसित करने में उनका योगदान अत्यंत अगम होता है। 
  • ए.डी.आई.पी. योजना के तहत 1 साल से 5 साल की आयु के बच्चे कॉकलियर इम्प्लांट के लिये पात्र होते हैं।

कॉकलियर इंप्लांट तकनीक से इन बच्चों को मदद मिलती है-

  • जो बच्चे दोनों कानों में गंभीर बधिरता से पीड़ित हों।
  • जिन्हें हियरिंग एड से अत्यंत कम या कोई लाभ न हो।
  • जो मानसिक रूप से अक्षम न हों या जिनके शारीरिक–मानसिक विकास में कोई खामी न हो।

पूर्वोत्‍तर विशेष बुनियादी ढाँचा विकास योजना
North East Special Infrastructure Development Scheme

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 90:10 की निधियन पद्धति वाली मौजूदा नॉन लेप्‍सेबल सेन्‍ट्रल पूल ऑफ रिर्सोसेज (Non Lapsable Central Pool of Resources - NLCPR) योजना को 5300.00 करोड़ रुपए के खर्च के साथ मार्च, 2020 तक जारी रखने की मंजू़री प्रदान की है। इसका उद्देश्य वर्तमान में चल रही परियोजनाओं को पूरा करना है।

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा केंद्रीय क्षेत्र की नई योजना ‘‘पूर्वोत्‍तर विशेष बुनियादी ढाँचा विकास योजना’’ (North East Special Infrastructure Development Scheme” - NESIDS) को केंद्र सरकार की शत-प्रतिशत सहायता के साथ 2017-18 से शुरू करने को भी मंजू़री दी गई है, ताकि मार्च, 2020 तक विनिर्दिष्‍ट क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के सृजन से संबंधित अंतरों को कम किया जा सके।

एन.ई.एस.आई.डी.एस. की विशेषताएँ
इस नई योजना में निम्‍नलिखित क्षेत्रों के अंतर्गत बुनियादी ढाँचे के सृजन को शामिल किया गया है।

  • जलापूर्ति, विद्युत, सम्‍पर्क और विशेषकर पर्यटन को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं से संबंधित भौतिक बुनियादी ढाँचा।
  • शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के सामाजिक क्षेत्रों का बुनियादी ढाँचा। 

एन.ई.एस.आई.डी.एस.  के लाभ

  • एन.ई.एस.आई.डी.एस. की नई योजना के अंतर्गत सृजित की जाने वाली परिसम्‍पत्तियों से न केवल क्षेत्र में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल और शिक्षा सुविधाएँ मज़बूत होंगी, बल्कि इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्‍थानीय युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

सामुद्रिक विज्ञान के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्र
International Training Centre for Operational Oceanography

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने यूनेस्को के श्रेणी-2 केन्द्र (Category-2 Centre (C2C) के रूप में हैदराबाद में परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण केन्द्र (International Training Centre for Operational Oceanography) स्थापित करने को मंज़ूरी दी है।
उद्देश्य 

  • इसका उद्देश्य हिंद महासागर के किनारों (Indian Ocean Rim - IOR), भारतीय और अटलांटिक महासागर से जुड़े अफ्रीकी देशों, यूनेस्को के ढाँचे के अंतर्गत लघु द्वीपीय देशों के लिये क्षमता निर्माण की दिशा में प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना करना है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • परिचालनगत सामुद्रिक विज्ञान मछुआरों, आपदा प्रबंधन, ज़हाजरानी, बंदरगाह, तटीय राज्यों, नौसेना, तट रक्षक, पर्यावरण, दैनिक परिचालन को सुचारू रूप से चलाने के लिये अपतटीय उद्योगों जैसे विभिन्न क्षेत्रों को सूचनाएँ उपलब्ध कराने की दिशा में एक कारगर गतिविधि है।
  • यह भारत को हिन्द महासागर की सीमाओं से जुड़े दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी देशों सहित इसके अंतर्गत आने वाले अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने और रिश्तों को सुधारने में भी मदद करेगा।
  • यह केंद्र समुद्री और तटीय स्थिरता से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालने की दिशा में दुनिया भर में तकनीकी और प्रबंधन क्षमता को बनाने की आवश्यकता को पूरा करेगा।
  • साथ ही यह समुद्र से जुड़े प्राकृतिक खतरों से कुशलतापूर्वक निपटने के लिये भी पर्याप्त माहौल तैयार करेगा।
  • यह केंद्र समुद्र वैज्ञानिक अनुसंधान क्षमता निर्माण से जुड़े सतत् विकास लक्ष्य-14 (Sustainable Development Goal-14) को प्राप्त करने में भी अहम् योगदान दे सकता है, जो लघु द्वीपीय विकासशील राष्ट्रों और सबसे कम विकसित देशों को मदद करने के भारत के वादे को भी पूरा करेगा।
  • सी2सी छात्रों और अन्य प्रतिभागियों के कौशल में विकास करने के प्रति कृतसंकल्प है, जिससे देश के भीतर और बाहर रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

वर्तमान स्थिति

  • वर्तमान में यह केंद्र हैदराबाद में भारतीय समुद्री सूचना सेवा केन्द्र (Indian Centre for Ocean Information Services - INCOIS) पर उपलब्ध स्टेट ऑफ द आर्ट सुविधा के साथ परिचालनगत है। 
  • केंद्र सरकार द्वारा इस क्षेत्र में आवश्यक क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, ज्ञान साझा करने तथा सूचनाओं के आदान-प्रदान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहायता मुहैया करने का प्रयास किया जाएगा।
  • भारत यूनेस्को की कार्य योजना के प्रभाव और दृश्यता को बढ़ाकर यूनेस्को और इसके अंतर - सरकारी सामुद्रिक विज्ञान आयोग (Intergovernmental Oceanography Commission - IOC) के लिये एक महत्त्वपूर्ण स्रोत का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
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