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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 15 Nov, 2017

  • 15 Nov 2017
  • 6 min read

लो पॉवर वाटर फिल्टर

  • हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे ‘लो पॉवर वाटर फिल्टर’ (low power water filter) का निर्माण किया है, जो परंपरागत रूप से उपयोग किये जाने वाले ‘रिवर्स परासरण’ (reverse osmosis) के विपरीत नल के पानी का अलवणीकरण कर उसे पीने योग्य बना (200 पीपीएम आयनों से कम) सकता है।  
  • इस वाटर फिल्टर की जल को अलवणीकृत करने की दर और क्षमता अत्यधिक उच्च है। इसका एक ग्राम इलेक्ट्रोड 139 मिलीग्राम नमक (कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम और पोटैशियम  आयन) को 3 मिलीग्राम नमक प्रति मिनट की दर से हटा सकता है। इसकी इन लवणीकृत आयनों को हटाने की कुशलता अत्यधिक उच्च (लगभग 84%) है।


रसगुल्ले को मिला ‘जीआई’ टैग

  • हाल ही में चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री ने यह घोषणा की है कि रसगुल्ले का उद्भव स्थान पश्चिम बंगाल है न कि उड़ीसा। अतः रसगुल्ले को लेकर उड़ीसा के साथ हुए कई विवादों के पश्चात् पश्चिम बंगाल के रसगुल्ले को जीआई टैग दिया गया है। बंगाल ने ‘बांग्ला रसगुल्ला’ पेटेंट नाम को प्राप्त किया है।  
  • उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी इसी वर्ष आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध बंगनपल्ले आम और पश्चिम बंगाल के तुलापंजी चावल के साथ ही अन्य पाँच उत्पादों को भी ‘भौगोलिक संकेत’ (Geographical Indications- GI ) नामक टैग दिया गया है। 

जीआई टैग 

  • भौगोलिक संकेत को बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) के अंतर्गत शामिल किया जाता है। 
  • भौगोलिक संकेत प्राप्त उत्पाद एक ऐसा कृषि, प्राकृतिक अथवा विनिर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक वस्तुएँ) होता है, जिसे एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में ही उगाया जाता है। 
  • यह संकेत प्राप्त होने पर उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता सुनिश्चित होती है। भौगोलिक संकेत का टैग किसी उत्पाद की उत्पत्ति अथवा किसी विशेष क्षेत्र से उसकी उत्पत्ति को दर्शाता है, क्योंकि उत्पाद की विशेषता और उसके अन्य गुण उसके उत्पत्ति स्थान के कारण ही होते हैं। 
  • यह टैग किसानों और विनिर्माताओं को अच्छा बाज़ार मूल्य प्राप्त करने में सहायता करता है।


वैली ऑफ हनी

  • पूर्वी घाट में स्थित अराकु (Araku) घाटी नवंबर के दौरान पीले रंग के नाइजर फूलों से भर जाती है। यहाँ के किसान शहद की खेती करते हैं और इस कारण मधुमक्खियों को अच्छा वातावरण उपलब्ध कराया जाता है। 
  • जिस समय मधुमक्खियों का अस्तित्व खतरे में था, अराकु में मधुमक्खी पालनकर्ताओं द्वारा ‘मीठी क्रांति’ (sweet revolution) की गई थी। अराकु विशाखापत्तनम से 120  किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। 
  • पीले नाइजर फूल वाले क्षेत्रों में नीले डिब्बों को पंक्तियों में रख दिया जाता है। इनमें से प्रत्येक बॉक्स में लगभग एक लाख कार्यकारी मधुमक्खियाँ, 100 ड्रोन और एक रानी मक्खी होती है। 

महत्त्व

  • मधुमक्खियाँ जोकि संगठित समुदायों में रहती हैं, परागण तथा पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने हेतु किसानों के लिये अत्यधिक महत्त्व रखती हैं। हाल ही में पूर्वी घाट में मधुमक्खियों की संख्या में हुई वृद्धि के कारण फसलोत्पादन में वृद्धि हुई है। अनेक युवा मधुमक्खी पालन का कार्य आजीविका के स्रोत के रूप में कर रहे हैं। 


दुधवा नेशनल पार्क

  • हाल ही में दुधवा नेशनल पार्क के अधिकारियों द्वारा यह घोषणा की गई है कि पार्क में बड़ी बिल्लियों  की द्विवार्षिक गणना हेतु उन क्षेत्रों में 450 कैमरों को इनस्टॉल किया जाएगा, जहाँ बाघों की गतिविधियों को चिन्हित किया गया है। यह जनगणना कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी।
  • यह उत्तर प्रदेश का एक संरक्षित क्षेत्र है जिसका विस्तार लखीमपुर-खीरी और बहराइच ज़िले में है।
  • लखीमपुर-खीरी जनपद में स्थित दुधवा नेशनल पार्क नेपाल की सीमा से लगे तराई-भाभर क्षेत्र में स्थित है। इसका उत्तरी किनारा नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ है और इसके दक्षिण में सुहेली नदी बहती है।
  • इसका क्षेत्रफल 1,284.3 किलोमीटर (490.3 वर्ग किलोमीटर) है, जिसमें 190 वर्ग किलोमीटर का बफर ज़ोन है।
  • यह पार्क आम जनता के लिये प्रतिवर्ष 15 नवंबर को खुलता है और जून 15 को बंद हो जाता है।
  • इस पार्क में दलदल, घास के मैदान और घने वृक्ष हैं यह क्षेत्र मुख्यतः बारहसिंगा और बाघों की प्रजातियों के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ पक्षियों की भी विभिन्न प्रजातियाँ पायी जाती है। 
  • इस पार्क में विश्व के सबसे अच्छे साल के वृक्ष भी मौजूद हैं।
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