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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 15 जनवरी, 2018

  • 15 Jan 2018
  • 11 min read

राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव – 2018

विविधता में एकता के विचार का समारोह मनाने के लिये संस्कृति मंत्रालय द्वारा 14 जनवरी, 2018 से कर्नाटक में “एक भारत श्रेष्ठ भारत” साँचे के तहत राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के सातवें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। “एक भारत श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम 31 अक्तूबर, 2016 को विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने हेतु आरंभ किया गया कार्यक्रम है। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य विविध संस्कृतियों के लोगों के बीच परस्पर समझ और संबंधों को बढ़ावा देना है ताकि इसके माध्यम से भारत की मज़बूत एकता एवं अखंडता सुनिश्चित की जा सके।
  • कर्नाटक के साथ उत्तराखंड राज्य की जोड़ी बनाई गई है। इस महोत्सव में शास्त्रीय कलाओं से लेकर लोक कलाओं तक कला के विविध रूपों, संगीत एवं नृत्य, थिएटर से लेकर साहित्य और दृश्य कलाओं की प्रचुरता को प्रदर्शित किया जाएगा।
  • वस्तुतः यह महोत्सव लोगों को स्थापित एवं उभरती कला प्रवाहों के सर्वश्रेष्ठ तत्त्वों का अनुभव करने का अवसर प्रदान करेगा।
  • इस महोत्सव का आयोजन बंगलूरू (14 से 16 जनवरी), हुबली-धारवाड़ (17 से 18 जनवरी) तथा मंगलूरू (19 से 20 जनवरी) में किया जाएगा। 

देश का पहला कृषि-कमोडिटी विकल्प
Country’s First Agri-commodity Options

केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में रविवार, 14 जनवरी, 2018 को देश भर से आए विभिन्न राज्यों के किसानों एवं किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations -FPOs) की उपस्थिति में ग्वार बीज (Guar Seed) में देश के प्रथम कृषि-वस्तु विकल्प (country’s First Agri-commodity Options)  का शुभारंभ किया गया। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • एन.सी.डी.ई.एक्स. (National Commodity and Derivatives Exchange Limited - NCDEX) द्वारा भारतीय किसानों के लिये कृषि-अर्थव्यवस्था को अधिक कुशल बनाने और कृषिगत उत्पादों के मूल्य में भारी मात्रा में वृद्धि करने के उद्देश्य से देश में पहली बार ग्वार बीज के संदर्भ में देश के पहले कृषि-वस्तु विकल्प को लॉन्च किया गया है।
  • ग्वार बीज विकल्प एक महत्त्वपूर्ण प्रतिरक्षा उपकरण (hedging tool) है।
  • हेजिंग के माध्यम से निवेशकों द्वारा शेयर बाज़ार या कमोडिटी बाज़ार में निवेश के दौरान जोखिमों को कम किया जाता है। 
  • एन.सी.डी.ई.एक्स. द्वारा विशिष्ट रूप से डिज़ाइन इस उपकरण को सेबी (Securities and Exchange Board of India -SEBI) द्वारा अनुमोदित किया गया है
  • इससे वस्तु-व्यापार में गंभीरता आने के साथ-साथ किसानों को उत्पाद के लिये बेहतर मूल्य की प्राप्ति का मार्ग सुनिश्चित किया जाएगा।
  • ऑप्शन एक डेरीवेटिव वित्तीय उपकरण है जो निश्चित समय के भीतर धारक को निश्चित मूल्य पर निश्चित स्टॉक की तय मात्रा बेचने अथवा खरीदने का अधिकार देते हैं।
  • पुट और कॉल, ऑप्शन्स ट्रेडिंग के दो प्रकार है। जहां पुट ऑप्शन धारक को प्रतिभूति बेचने का अधिकार देता है, वहीं कोई कॉल ऑप्शन प्रतिभूति खरीदने का अधिकार देता है।
  • हालाँकि पुट और कॉल ऑप्शन्स धारक को निश्चित दिनांक से पहले निश्चित मूल्य पर स्टॉक व्यापार करने के लिये बाध्य नहीं करते है।

राष्ट्रीय कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (National Commodity & Derivatives Exchange Limited-NCDEX)

  • यह एक व्यावसायिक रूप से प्रबंधित एक ऑन-लाइन मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज है।
  • एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में NCDEX को 23 अप्रैल, 2003 को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत निगमित (Incorporated) किया गया था।
  • NCDEX को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
  • NCDEX का मुख्यालय मुंबई में स्थित है और पूरे भारत में स्थित केंद्रों से अपने सदस्यों को सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • 31 मार्च, 2017 तक एक्सचेंज ने 25 कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स में व्यापार की पेशकश की, जिनमें 22 कृषि कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स, 1 बुलियन कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स और 2 मेटल कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट्स शामिल हैं।

रसोई के कचरे से रसोई गैस

हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसे बैक्टीरिया को विकसित किया गया है जो एक टन रसोई के कचरे से 50 किलोग्राम मीथेन गैस तैयार करने में सक्षम है। इस गैस का इस्तेमाल खाना पकाने तथा वाहन चलाने में किया जा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • यह बैक्टीरिया दो तरह से उपयोगी होगा। जहाँ एक ओर रसोई से निकले अवशिष्ट से तकरीबन 85-87 फीसदी मीथेन का निर्माण किया जा सकता है, वहीं दूसरी ओर इसके इस्तेमाल से इस समस्त प्रक्रिया से उत्सर्जित होने वाली हानिकारक गैसों की मात्रा को केवल 10 फीसदी तक सीमित किया जा सकेगा। 
  • जैविक कचरे से गैस बनाने में इस्तेमाल होने वाले बैक्टीरिया की सहायता से अभी तक मात्र 65 फीसदी मीथेन के साथ-साथ 35 फीसदी कार्बन डाईऑक्साइड गैस का निर्माण किया जाता था।
  • परंतु, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन द्वारा विकसित इस नए प्रकार के बैक्टीरिया की सहायता से कार्बन डाईऑक्साइड के निर्माण को 5 फीसदी के स्तर पर सीमित किया जा सकेगा। 
  • कॉरपोरेशन द्वारा स्मार्ट शहरों में इस प्रकार के संयंत्रों को स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। 
  • इस योजना के तहत कुछ इस तरह से इन प्लांटों को डिज़ाइन किया जाएगा जिससे कि प्लांट के आस-पास के क्षेत्र में बदबू न फैले।

मीथेन (METHANE)

  • मीथेन संतृप्त हाइड्रोकार्बन श्रेणी का सरलतम सदस्य है। इसका रासायनिक सूत्र (CH4) है।
  • यह रंगहीन, गंधहीन और स्वाद रहित गैस है। प्राकृतिक गैस में 87-92% मीथेन पाई जाती है।
  • दलदली भूमि से निकलने वाली गैस में उपस्थित होने के कारण इसे मार्श या पंक गैस भी कहते हैं।
  • मीथेन का उष्मीय मान पेट्रोल के ऊष्मीय मान की तुलना में बहुत अधिक होता है। इस कारण यह एक बहुमूल्य ईधन है।
  • कम उष्मीय मान वाली गैसों के उष्मीय मान को बढ़ाने के लिये इसका उपयोग किया जाता है।
  • रासायनिक रूप से यह निष्क्रिय गैस है। केवल क्लोरीन के साथ क्रियाशील होकर मेथिल क्लोराइड, मेथिलीन क्लोराइड, क्लोरोफॉर्म और कार्बन टेट्राक्लोरोइड बनते हैं। इसके पूर्ण दहन से कार्बन डाईऑक्साइड और जल बनते हैं।

जैव-प्रेरित रोबोट (Bio-inspired Robotics)

  • वैज्ञानिकों ने एक ऊतक-आधारित नरम रोबोट विकसित किया है जो एक स्टिंग्रे(Stingray) नामक मछली की बायोमैकेनिक्स की नकल करता है। 
  • यह जैव-प्रेरित रोबोटिक्स (Bio-inspired Robotics), पुनर्योजी चिकित्सा (Regenerative Medicine) और चिकित्सा निदान में प्रगति के नए द्वार खोल सकता है।
  • जैव-प्रेरित रचनाओं के निर्माण के लिये प्रकृति में पाई जाने वाली अवधारणाओं को सीखा जाता है और उन्हें वास्तविक दुनिया में लागू करने के लिये इनमे आवश्यक अभियांत्रिकी की जाती है।
  • स्टिंग्रे के शरीर की सरल सरंचना विशेषतया इनका सपाट आकार और इनके सिर से शुरू होकर इनकी पूंछ पर समाप्त होने वाले पार्श्व-पंख(side fins), इन्हें बायो-इलेक्ट्रोमैकेनिकल सिस्टम के नमूने के लिये एक आदर्श विकल्प बनाते है। 
  • 10 मिलीमीटर लंबा यह रोबोट चार परतों से बना है। ऊतक जीवित हृदय कोशिकाओं से बना है, संरचनात्मक समर्थन के लिये दो विशिष्ट प्रकार के जैव पदार्थ और लचीले इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल किया गया है।
  • जब इलेक्ट्रोड द्वारा हृदय कोशिकाओं को जैव-पदार्थ की परत पर संकुचित किया जाता है तो प्राकृतिक तर्ज़ पर रोबोटिक स्टिंग्रे अपने पंखों को "फ्लैप" करने में भी सक्षम है।
  • ऐसी जैव-प्रेरित युक्तिओं का विकास भविष्य में ऐसी रोबोटिक्स को संभव बना सकता है जिसमें जैविक ऊतक और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम दोनों शामिल हो।
  • इसका उपयोग ह्रदयाघात वाले रोगियों के हृदय की माँसपेशियों को मजबूत करने जैसे व्यक्तिगत चिकित्सा में किया जा सकता है।
  • जैव-प्रेरित रचनायएँ, बायोमिमिक्री (Biomimicry) से अलग है। जहाँ बायोमिमिक्री प्रकृति की प्रतिलिपि बनाने पर केंद्रित है, जबकि जैव-प्रेरित डिज़ाइन प्रकृति से सीखकर और ऐसी युक्तियों के विकास पर केंद्रित है जो प्रकृति में पाई जाने वाली प्रणाली की तुलना में सरल और अधिक प्रभावी हो।
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