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डेली न्यूज़

कृषि

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 13 जून 2018

  • 13 Jun 2018
  • 7 min read

ऊर्जा कुशल अचल संपत्ति उद्योग के लिये पहला उत्कृष्टता केंद्र

चर्चा में क्यों?
भारत में ऊर्जा कुशल अचल संपत्ति उद्योग को बढ़ावा देने के लिये, महिंद्रा लाइफस्पेस डेवलपर्स और TERI ने ऊर्जा कुशल अचल संपत्ति उद्योग के लिये अपनी तरह का पहला उत्कृष्टता केंद्र (CoE) लॉन्च करने की घोषणा की है। 

प्रमुख बिंदु

  • उत्कृष्टता केंद्र का उदेश्य बाज़ार में उपयोग के लिये तैयार, मापनीय और ऊर्जा कुशल सामग्री और तकनीक हेतु एक मज़बूत और सुसंगत डाटाबेस विकसित करना है।
  • यह ‘हरित’ विकास को बढ़ावा देने के लिये केंद्र और राज्य के मंत्रालयों के लिये नीति तैयार करने की दिशा में भी काम करेगा जो भारत के अचल संपत्ति उद्योग में बदलाव ला सकता है और इस प्रकार देश में कार्बन उत्सर्जन की समस्या से निपटने में भी मदद मिल सकती है।
  • उत्कृष्टता केंद्र द्वारा किये गए शोध, डेवलपरों को अधिक-से-अधिक हरित भवनों का निर्माण करने में सहायता प्रदान करेंगे।
  • अचल संपत्ति और भवन निर्माण सामग्री उद्योगों को डाटाबेस, दिशा-निर्देश और मापदंड उपलब्ध कराने से पूर्व शोध के निष्कर्षों को व्यावहारिक तौर पर परखा जाएगा।
  • शोध के निष्कर्ष सार्वजनिक डोमेन पर उपलब्ध रहेंगे।
  • यह प्रयास किया जाएगा कि शोध के निष्कर्षों या उत्पादों और सिफारिशों का डेवलपर, वास्तुकार और निजी भवन निर्माता बड़े पैमाने पर उपयोग करें। 
  • भारत में वर्तमान समय में पाँच प्रतिशत से भी कम उर्जा कुशल निर्माण सामग्री उपलब्ध है; यह उत्कृष्टता केंद्र भारत में हरित भवनों को बढ़ावा देने के लिये अत्याधुनिक शोध तकनीक, उपकरण और काम-काज का आकलन कर सकने वाले उपाय अपनाने की दिशा में काम करेगा।
  • यह संयुक्त शोध पहल, भारत के अचल संपत्ति क्षेत्र में ओपेन सोर्स और विज्ञान आधारित समाधान को विकसित करेगा।
  • यह CoE वृहद शहरी साझेदारी वाला एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करेगा जो भारत के शहरों एवं कस्बों को ‘हरित स्वरूप’ में परिवर्तित करने की क्षमता प्रदान करेगा।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण शाक-सब्जियाँ हो जाएंगी दुर्लभ

चर्चा में क्यों?
हाल में शोधकर्त्ताओं द्वारा चेतावनी दी गई है कि यदि कृषि के विकसित नए तरीकों तथा फसलों की अनुकूल किस्मों को नहीं अपना जाएगा तो ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में सब्जियाँ दुर्लभ हो सकती हैं।

प्रमुख बिंदु

  • नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस शताब्दी के अंत तक कम पानी और गरम हवा के कारण स्वस्थ आहार के लिये आवश्यक लगभग एक-तिहाई सब्जियों की पैदावार कम हो जाएगी।
  • वर्ष 2100 तक तापमान में 7.2 फारेनहाइट (4 सेल्सियस) की वृद्धि होने की उम्मीद है यदि ऐसा हुआ तो सब्जियों की औसत पैदावार 31.5 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
  • तापमान में वृद्धि के कारण दक्षिणी यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के बड़े हिस्से विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
  • यह निष्कर्ष वर्ष 1975 से अब तक सब्जियों और फलियों की उपज और पौष्टिक सामग्री पर पर्यावरणीय प्रदर्शन के प्रभाव की जाँच के 174 अध्ययनों की व्यवस्थित समीक्षा पर आधारित है।

क्रेडिट इन्हान्समेंट फंड

चर्चा में क्यों?
सरकार बीमा और पेंशन फंड द्वारा बुनियादी ढांचे में निवेश की सुविधा के लिये 500 करोड़ रुपए के क्रेडिट एन्हांसमेंट फंड का अनावरण करने के लिये तैयार है।

प्रमुख बिंदु

  • वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट में पहली बार इस फंड की घोषणा की गई थी।
  • यह फंड आधारभूत संरचना कंपनियों द्वारा जारी किये गए बॉण्ड की क्रेडिट रेटिंग को अपग्रेड करने और पेंशन तथा बीमा फंड जैसे निवेशकों से निवेश की सुविधा प्रदान करने में मदद करेगा। 
  • इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL) द्वारा प्रायोजित फंड की प्रारंभिक राशि 500 करोड़ होगी, और यह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में काम करेगा।
  • योजना के अंतर्गत CEF में IIFCL हिस्सेदारी 22.5 प्रतिशत होगी।
  • एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (AIIB) ने फंड में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी को स्वीकृति दी है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा भारतीय जीवन बीमा निगम ने भी इस फंड में हिस्सेदारी लेने की स्वीकृति दी है।

भवानी नदी

चर्चा में क्यों?
कोयम्बटूर ज़िले में लगातार हो रही बारिश के कारण भवानी नदी के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ की चेतावनी जारी की गई है।

भवानी नदी के बारे में

  • यह तमिलनाडु की दूसरी सबसे लंबी नदी है। 
  • यह पलक्कड़ ज़िले के माध्यम से केरल में प्रवेश करती है। 
  • यह नदी केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क से गुज़रती है।
  • भवानी, कावेरी की सहायक नदी है जो  तमिलनाडु के पश्चिमी घाटों की नीलगिरि पहाड़ियों के दक्षिण-पश्चिम किनारे से उत्पन्न होती है। 
  • यह तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में बहती है।
  • पश्चिम और पूर्वी वारागर नदियों समेत बारह प्रमुख सहायक नदियाँ दक्षिणी नीलगिरि की ढलानों से अपवाहित होने वाली भवानी नदी में शामिल हो जाती हैं।
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