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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 10 जनवरी, 2018

  • 10 Jan 2018
  • 9 min read

प्रवासी सांसद सम्मेलन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली में प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन, ‘उभरता भारत-प्रवासी सांसदों की भूमिका’ का उद्घाटन किया गया। नीति आयोग द्वारा तैयार 2020 तक के लिये कार्य एजेंडा में प्रवासियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

  • विश्व के 20 से अधिक लोकतंत्रों के भारतीय मूल के सांसदों का यह सम्मेलन श्रेष्ठ संसदीय व्यवहारों को साझा करने तथा अपने अनुभवों से एक-दूसरे को समृद्ध बनाने के लिये है।
  • इस सत्र में प्रतिष्ठित प्रवासी सांसदों ने अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि कैसे अभी तक शांति और सौहार्द्र के ज़रिये भारत में अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और पुरखों की मान्यताओं को अपनाए हुए हैं। 
  • प्रधानमंत्री द्वारा विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों की समस्याओं पर निरंतर रूप से नज़र रखने के लिये विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की सराहना भी की गई। 
  • इस सम्मेलन में 23 देशों से भारतीय मूल के तकरीबन 140 से अधिक सांसदों व मेयरों द्वारा भाग लिया गया। 

प्रवासी भारतीय दिवस

  • प्रवासी भारतीय दिवस, भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 9 जनवरी को मनाया जाता है। 16वें भारतीय प्रवासी दिवस का आयोजन सिंगापुर में किया जा रहा है। 
  • ध्यातव्य है कि सन् 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए थे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन को एक नई दिशा देकर हमेशा के लिये भारतीयों का जीवन बदल दिया था। 
  • दरअसल, भारत सरकार द्वारा इस दिवस को मनाने की शुरुआत सन् 2003 में, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल के दौरान हुई। 
  • इस अवसर पर प्रायः तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दौरान किसी भ देश में अपने कार्यक्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल करने वाले भारतवंशियों का सम्मान किया जाता है तथा उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान प्रदान किया जाता है। 

उद्देश्य

  • प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्देश्य है- 
  • प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों का उत्सव मनाना। 
  • उनकी सफलताओं पर गर्व करना। 
  • अप्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, भावनाओं की अभिव्यक्ति तथा देशवासियों के साथ मिलने-जुलने और संपर्क बनाने हेतु एक मंच उपलब्ध कराना।
  • विश्व के सभी देशों में रह रहे अप्रवासी भारतीयों को एक नेटवर्क से संबद्ध करना।
  • विदेशों में रह रहे भारतीय श्रमजीवियों की कठिनाइयों के विषय में जानना त‍था उन्हें दूर करने के प्रयास करना।
  • निवेश के अवसरों में वृद्धि करना।

ब्रह्मांड का सबसे छोटा सितारा

कैम्ब्रिज के वैज्ञानिकों द्वारा ब्रह्मांड के सबसे छोटे तारे की खोज की गई है। इस तारे का नाम ईबीएलएम जे 0555-57 है। यह तारा तकरीबन 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।

  • यह शनि ग्रह की तुलना में आकार में बड़ा है। 
  • इसकी कक्षा में पृथ्वी के आकार के ग्रह होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। 
  • साथ ही इन ग्रहों में पानी की उपस्थिति के भी संभावना है। 
  • पृथ्वी की तुलना में इसकी सतह पर गुरुत्वाकर्षण बल तकरीबन 300 गुना अधिक शक्तिशाली है। 
  • हाइड्रोजन नाभिक का संलयन हीलियम में करने के लिये पर्याप्त भार होने के साथ-साथ इसका आकार जितना छोटा हो सकता है, उतना है।
  • इस अध्ययन को एस्ट्रोनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स नामक एक जर्नल में प्रकाशित किया गया है।  

 विश्व का सबसे पुराना जीवाश्म

हाल ही में, पीएलओएस बायोलॉजी नामक एक जर्नल में प्रकाशित एक शोधपत्र में विश्व के सबसे पुराने जीवाश्म के संबंध में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया।

  • इस शोधपत्र के अनुसार, 1.2 बिलियन वर्ष पुराने लाल शैवाल के सबसे पुराने ज्ञात जीवाश्म की खोज की गई है।
  • भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा 1.6 अरब वर्ष पुराने लाल जीवाश्म की खोज की गई है।
  • इस जीवाश्म को उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के क्षेत्रों से प्राप्त किया गया है।
  • यह एक फॉस्फोरेट चट्टान के अन्दर सायनोबैक्टीरिया के जीवाश्म में अंत:स्थापित है।
  • परन्तु इस संदर्भ में सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस जीवाश्म में डीएनए मौजूद नहीं है।
  • यही कारण है कि इस जीवाश्म की वास्तविक उम्र का निर्धारण नहीं किया जा सका है, लेकिन इसके अंतर्गत लाल शैवाल के लिये आकारिकी और संरचनात्मक  समानता अवश्य परिलक्षित होती है। 

नई ऑनलाइन विक्रेता पंजीयन प्रणाली

भारतीय रेल की अनुसंधान इकाई-अनुसंधान, डि‍ज़ाइन व मानक संगठन (आरडीएसओ, मुख्‍यालय लखनऊ) द्वारा नई ऑनलाइन विक्रेता पंजीयन प्रणाली का शुभारंभ किया गया है। नई प्रणाली के अंतर्गत पंजीयन के लिये कई बदलाव किये गए हैं, जैसे- आम लोगों की जानकारी तक पहुँच, निश्चित समयावधि में प्रक्रिया पूर्ण करना, प्रक्रियाओं को सरल बनाना, पूरे साल भर पंजीयन की सुविधा, आर.डी.एस.ओ. वेबसाइट पर जानकारियों की उपलब्‍धता, सभी स्‍तरों पर निरंतर निगरानी, ऑनलाइन आँकड़ों का निरंतर अपडेशन, वेबसाइट के उपयोग में आसानी आदि। 

नई प्रणाली की मुख्‍य विशेषताएँ इस प्रकार है :-

  • पंजीयन की किसी भी गतिविधि के लिये विक्रेता को आरडीएसओ कार्यालय आने की आवश्‍यकता नहीं है।
  • पंजीयन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं के लिये समयावधि निश्चित की गई है। यदि विलंब होता है, तो प्रणाली सभी संबंधित अधिकारियों को फ्लैश के माध्‍यम से सूचना देती है।
  • दस्‍तावेज़ों की जाँच तथा पंजीयन से संबंधित अन्‍य जाँच समानांतर किये जाने की व्यवस्था की गई है। इससे समय की बचत होगी। पहले जाँच प्रक्रिया में ही 8 से 11 महीने लगते थे।
  • इस प्रणाली के तहत प्रक्रियाओं को सरल और उपयोग में आसान बनाया गया है। अब विक्रेता पंजीयन के लिये न केवल ऑनलाइन पंजीयन शुल्‍क जमा कर सकता है, दस्‍तावेज़ जमा कर सकता हैं, तकनीकी जानकारियाँ प्राप्‍त कर सकता है, बल्कि आरडीएसओ से ऑनलाइन बातचीत भी कर सकता है।
  • पूरी प्रक्रिया की एकीकृत निगरानी के लिये एक डैशबोर्ड की व्‍यवस्‍था की गई है।
  • आरडीएसओ द्वारा सभी 600 से अधिक वस्‍तुओं व सेवाओं के लिये अभिरुचि-पत्र आमंत्रित किये गए हैं। इसके लिये कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। 
  • उद्योग जगत और विक्रेताओं के लिये यह सुविधा प्रदान की गई है कि वे रेलवे के लिये नए उत्‍पाद व नई तकनीक विकसित करें। 
  • नए विक्रेता पूरे वर्ष के किसी भी दिन, किसी भी वस्‍तु के लिये पंजीयन कर सकते हैं। इससे लघु व मध्‍यम उद्यमों को व्‍यापार के बड़े अवसर मिलेंगे और इस प्रकार रोज़गार के अवसरों का सृजन संभव होगा।
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