लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 06 मार्च, 2018

  • 06 Mar 2018
  • 10 min read

अराकू घाटी में विकसित कॉफी के लिये GI टैग की मांग 

प्रमुख बिंदु

  • कॉफी बोर्ड ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्‍तनम जिले में स्थित अराकू घाटी के जनजातीय समुदायों द्वारा विकसित की जाने वाली अरेबिका कॉफी हेतु भौगोलिक संकेतक टैग के पंजीकरण के लिये आवेदन किया है।
  • अराकू घाटी क्षेत्र में उत्‍पादित होने वाली अरेबिका कॉफी एक उत्‍तम गुणवत्‍ता वाली विशेष कॉफी के रूप में अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लोकप्रिय है।
  • केंद्र सरकार कॉफी बोर्ड के ज़रिये ‘एकीकृत कॉफी विकास परियोजना’ क्रियान्वित कर अराकू घाटी में कॉफी उत्‍पादन को बढ़ावा दे रही है।
  • इस योजना में पुनर्रोपण एवं विस्तार, जल संचयन एवं सिंचाई के बुनियादी ढाँचे का निर्माण और कॉफी एस्टेट के परिचालन हेतु मशीनीकरण के लिये वित्‍तीय सहायता प्रदान करना शामिल है। 
  • कॉफी बोर्ड द्वारा हर साल आयोजित की जाने वाली ‘फ्लेवर ऑफ इंडिया-द फाइन कप अवार्ड’ प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये कॉफी उत्‍पादकों को प्रोत्‍साहित भी किया जाता है। 

भारत में कॉफ़ी की किस्में 

  • भारत में कॉफ़ी की दो किस्मों-अरेबिका एवं रोबस्टा की खेती की जाती है। 
  • अरेबिका मृदु कॉफ़ी है पर इसकी फलियाँ अधिक खुशबूदार होने के कारण रोबस्टा फलियों की तुलना में इसका बाज़ार मूल्य अधिक है। रोबस्टा की तुलना में अरेबिका उच्च अक्षांशों में उगाई जाती हैं।
  • 15 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच का ठंडा और सम तापमान अरे‍बिका के लिये उपयुक्त है जबकि रोबस्टा के लिये 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ गर्म और उन्नत तापमान उपयुक्त है।
  • परंपरागत रूप से भारत में कॉफ़ी की कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु राज्यों के पश्चिमी घाट क्षेत्र में कृषि होती है। अब यह आंध्र प्रदेश और ओडिशा के गैर- परंपरागत क्षेत्रों के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में भी तेज़ी से बढ़ रही है।

पोंगाला उत्सव (PONGALA FESTIVAL)

पोंगाला दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख महोत्सव है जिसे केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम स्थित अट्टकल भगवती मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष उत्सव 2 मार्च से शुरू हुआ था।

प्रमुख बिंदु

  • दस दिनों तक चलने वाला पोंगाला उत्सव मलयालम महीने ‘मकरम-कुंभम’ के अनुसार शुरू होता है। 
  • पोंगाला इस उत्सव पर बनाई जाने वाली एक खिचड़ी को कहा जाता है जिसे चावल, गुड़ और नारियल से बनाया जाता है।
  • इस उत्सव में अधिकतर महिलाएँ ही सम्मिलित होती हैं। इसलिये इस मंदिर को महिलाओं का सबरीमाला भी कहा जाता हैं।
  • 2009 में इस उत्सव को महिलाओं की सबसे बड़ी धार्मिक भागीदारी के चलते गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया था।  
  • इस उत्सव में 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा ‘कुथियोट्टम’ नामक एक पारंपरिक नृत्य भी किया जाता है। हाल ही में केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा इस मामलें का स्वत: संज्ञान लेने पर यह चर्चा में रहा।
  • स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार पोंगाला त्योहार तमिल महाकाव्य 'सिलप्पादिकारम’ (Silappadhikaram) की नायिका कन्नगी की स्मृति में मनाया जाता है जिसने अपने पति कोवलन के साथ हुए अन्याय का बदला लेने के लिये मदुरई शहर को शाप देकर नष्ट कर दिया था।  

पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये पहलें

पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के तहत अब तक 5600 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की जा चुकी है। वहीं, प्रसाद योजना के अंतर्गत अब तक 23 परियोजनाओं के लिये 687.92 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है । 

प्रमुख बिंदु 

  • तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन पर राष्ट्रीय मिशन (PRASAD) का उद्देश्य पहचाने गए तीर्थ और विरासत स्थलों का समग्र विकास करना है।
  • प्रसाद योजना के तहत अजमेर, अमरावती, अमृतसर, द्वारका, गया, कामाख्या, कांचीपुरम, केदारनाथ, मथुरा, पटना, पुरी, वाराणसी और वेलांकनी शहरों को शामिल किया गया है।
  • थीम आधारित पर्यटक परिपथों के एकीकृत विकास के लिये स्वदेश दर्शन योजना शुरू की गई है।
  • इस योजना के तहत 13 थीम आधारित पर्यटन सर्किट की पहचान की जा चुकी है जिनमें उत्तर-पूर्वी भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालयी सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, रेगिस्तान सर्किट, जनजातीय सर्किट, पर्यावरणीय सर्किट, वन्यजीवन सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और धरोहर सर्किट शामिल हैं|
  • पर्यटन मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान देश के विभिन्न स्थलों और पर्यटन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये अतुल्य भारत 2.0 अभियान शुरू किया है।
  • इसमें महत्वपूर्ण और संभावित बाजारों के रूप में विदेशों में आध्यात्मिक, चिकित्सा और स्वास्थ्य पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जायेगा। इसके अलावा सामान्य प्रमोशनल गतिविधियों की बजाय अब बाज़ार केंद्रित प्रचार योजनाओं और कंटेंट के साथ पर्यटन को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में भारत के स्थान

  • केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत स्वायत्त संगठन संगीत नाटक अकादमी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत से संबंधित मामलों के लिये नोडल कार्यालय है जो यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में नामांकन के लिये दस्तावेज़ तैयार करने का भी कार्य करता है।
  • मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible cultural heritage-ICH) के यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में अब तक भारत के 13 तत्त्व शामिल किये जा चुके हैं।

अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत (ICH) क्‍या है?

  • विरासत सिर्फ स्‍मारकों या कलात्मक वस्‍तुओं के संग्रहण तक ही सीमित नहीं होता है। इसमें उन परंपराओं एवं प्रभावी सोचों को भी शामिल किया जाता है जो पूर्वजों के माध्यम से अगली पीढ़ी को प्राप्‍त होती हैं। जैसे- मौखिक रूप से चल रही परंपराएं, कला प्रदर्शन, धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक उत्‍सव और परंपरागत शिल्‍पकला आदि।
  • यह अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत अपनी प्रकृति के अनुरूप क्षणभंगुर है और इसे संरक्षण प्रदान करने के साथ-साथ समझने की भी आवश्‍यकता है क्‍योंकि वैश्‍वीकरण के इस बढ़ते दौर में सांस्‍कृतिक विविधताओं को अक्षुण्‍ण रखना एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

भारत के ICH तत्त्व

  1. कुटियट्टम, संस्‍कृत रंगमंच (2008)
  2. वैदिक मंत्रोच्चारण की परंपरा (2008)
  3. रामलीला – रामायण का परंपरागत मंचन (2008)
  4. रम्मन : गढ़वाल हिमालय का धार्मिक उत्सव और पारंपरिक रंगमंच (2009)
  5. छऊ नृत्य (2010) 
  6. राजस्थान का कालबेलिया लोकगीत और नृत्य (2010)
  7. केरल का पारंपरिक रंगमंच और नृत्‍य नाटक मुदियेत्‍तू (Mudiyettu) (2010)
  8. लद्दाख का बौद्ध मंत्रोचार : पार-हिमालयी लद्दाख क्षेत्र, जम्‍मू और कश्‍मीर में पवित्र बौद्ध पाठों का आख्‍यान (2012)
  9. संकीर्तन : मणिपुर का अनुष्‍ठानिक गायन, ढोल वादन और नृत्‍य (2013)
  10. जांडियाला गुरु (पंजाब) के ठठेरों की पीतल और तांबे के बर्तन बनाने की पारंपरिक कला (2014) 
  11. नवरोज़-पारसी नववर्ष (2016) 
  12. योग (2016)
  13. कुम्भ मेला (2017)
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2