लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 4 मई, 2018

  • 04 May 2018
  • 9 min read

व्‍यू पेंशन पासबुक

अपने सदस्‍यों अथवा हितधारकों को विभिन्‍न तरह की ई-सेवाएँ मुहैया कराने वाली कर्मचारी भविष्‍य नि‍धि संगठन (EPFO) ने ‘उमंग एप’ के ज़रिये एक नई सेवा शुरू की है। ‘व्‍यू पेंशन पासबुक’ विकल्‍प को क्लिक करने पर संबंधित पेंशनभोगी को पीपीओ नंबर और अपने जन्‍म दिवस को दर्ज करना पड़ता है।

  • इन जानकारियों का सफल सत्‍यापन हो जाने के बाद संबंधित पेंशनभोगी के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा।
  • इस ओटीपी को दर्ज करने के बाद ‘पेंशनर पासबुक’ संबंधित पेंशनभोगी के विवरण जैसे कि उसका नाम, जन्‍मदिन और उसके खाते में डाली गई पिछली पेंशन रकम से संबंधित जानकारियाँ दर्शाने लगेंगी।
  • वित्त वर्ष के हिसाब से संपूर्ण पासबुक विवरण डाउनलोड करने की सुविधा भी उपलब्‍ध है।

उमंग एप के ज़रिये पहले से ही उपलब्‍ध ई-सेवाएँ

  • ईपीएफओ की जो अन्‍य ई-सेवाएँ उमंग एप के ज़रिये पहले से ही उपलब्‍ध हैं उनमें कर्मचारी केन्द्रित सेवाएँ (ईपीएफ पासबुक को देख पाना, क्‍लेम करने की सुविधा, क्‍लेम पर नज़र रखने की सुविधा), नियोक्‍ता केन्द्रित सेवाएँ (प्रतिष्‍ठान की आईडी के ज़रिये भेजी गई रकम का विवरण प्राप्‍त करना, टीआरआरएन की ताज़ा स्थिति से अवगत होना), सामान्‍य सेवाएँ (प्रतिष्‍ठान को सर्च करें, ईपीएफओ कार्यालय को सर्च करें, अपने क्‍लेम की ताज़ा स्थिति से अवगत हों, एसएमएस के ज़रिये खाते का विवरण प्राप्‍त करना, मिस्‍ड कॉल देकर खाते का विवरण प्राप्‍त करना), पेंशनभोगियों को दी जाने वाली सेवाएँ (जीवन प्रमाण को अद्यतन करना) और ई-केवाईसी सेवाएँ (‘आधार’ से जोड़ना) शामिल हैं।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस

दुनिया के किसी भी देश के उदय और उसके विकास में पत्रकारों की बहुत अहम भूमिका होती है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय में भी लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अक्सर पत्रकारों की स्वतंत्रता के संबंध में सवाल खड़े होते हैं, पिछले कुछ समय से तो यह मुद्दा निरंतर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। प्रेस की स्वतंत्रता को मद्देनज़र रखते हुए प्रत्येक वर्ष 3 मई को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस का आयोजन किया जाता है।

  • यूनेस्को की जनरल कॉन्फ्रेंस के सुझाव के बाद वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस की शुरुआत की गई, इसके कुछ समय बाद 3 मई को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस को प्रेस की स्वतंत्रता के मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्त्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा में दिवंगत हुए पत्रकारों को श्रद्धांजलि देने के रूप में मनाया जाता है। 
  • पिछले कुछ वक्त से पत्रकारों पर हमलों के मामलों में वृद्धि हुई है, इस कारण प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं। विश्व में पत्रकारों की हत्या के मामले में 57 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई हैं। पत्रकारों पर हमले के मामलों में अफगानिस्तान शीर्ष पर है।

बदलता मलेरिया का पैटर्न

हाल ही में विज्ञान पत्रिका ‘प्लस वन’ में प्रकाशित एक अध्ययन पत्र में यह बात सामने आई है कि भारत में मलेरिया के पैटर्न में परिवर्तन आ रहा है। इस शोध पत्र के अनुसार, आमतौर पर भारत में पी (प्लाज्मोडियम) विवैक्स के मामले दर्ज किये जाते थे जो कि मलेरिया का हल्का रूप होता है और इसका आसानी से इलाज भी हो जाता है, लेकिन अब बड़ी संख्या में पी (प्लाज्मोडियम) फल्सिपरम के मामले सामने आ रहे हैं। यह मलेरिया का एक भयंकर एवं घातक रूप है।

  • मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के ज़रिये फैलता है और यह प्लाज्मोडियम परजीवी की चार अलग प्रजातियों/प्रकारों के कारण होता है - पी विवैक्स, पी फल्सिपरम, पी मलेरिए और पी ओवले। इन चारों में पी फल्सिपरम मलेरिया का सबसे घातक रूप होता है।
  • भारत में मलेरिया के पैटर्न व वितरण को समझने के लिये आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research – ICMR) नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ (एनआइआरटीएच), जबलपुर के वैज्ञानिकों द्वारा देश भर में अलग-अलग मलेरिया संक्रमणों की मैपिंग की जा रही है।
  • इस शोध के दौरान यह पाया गया कि मलेरिया के संक्रमण के संबंध में मिश्रित संक्रमण का अनुपात सबसे अधिक पाया गया अर्थात् रोगी दो या दो से अधिक मलेरिया परजीवी प्रजातियों से संक्रमित थे।
  • इसके अतिरिक्त एक और बात चिंता का विषय बन गई है। पहले जो मलेरिया प्रजाति किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित थी, अब वह अन्य क्षेत्रों में भी दिखाई दे रही है। 
  • पहले यह प्रजाति (पी मलेरिए) केवल ओडिशा तक ही सीमित थी, लेकिन अब इसका प्रसार पूरे देश में हो रहा है और सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि न तो इस प्रजाति की पहचान का कोई तरीका ही उपलब्ध है और न ही उपचार के कोई परिभाषित दिशा-निर्देश ही मौजूद हैं। 
  • भारत की योजना 2030 तक देश को मलेरिया मुक्त बनाना है, लेकिन मलेरिया के पैटर्न में आने वाले इस परिवर्तन ने इस लक्ष्य की प्राप्ति को बेहद कठिन बना दिया है।
  • इस समस्या के समाधान के लिये बेहद ज़रूरी है कि मिश्रित मलेरिया एवं पी मलेरिए के डायग्नोसिस और उपचार के तरीकों के विषय में और अधिक शोध की जानी चाहिये। साथ ही, इस संबंध में जल्द-से-जल्द परिभाषित दिशा-निर्देश जारी किये जाने चाहिये। 

रोबो जगत में पिछड़ा भारत

इंटरनेशनल फेडरेडशन ऑफ रोबोटिक्स के अनुसार, रोबोट कामगारों के मामले में भारत काफी पिछड़ा हुआ है। वर्तमान समय में रोबोट का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। दुनिया भर में औद्योगिक उत्पादन से लेकर क्वालिटी कंट्रोल और सेवाओं के निष्पादन तक में रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।

  • इस श्रेणी में दक्षिण कोरिया का शीर्ष स्थान है। वर्ष 2016 में यहाँ प्रति दस हज़ार कामगारों पर 631 औद्योगिक रोबोट थे। इनका प्रयोग मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण क्षेत्रों में किया जा रहा था।
  • इसके बाद सिंगापुर का स्थान आता है। यहाँ प्रति दस हज़ार कामगारों पर 488 औद्योगिक रोबोट हैं। 90 फीसदी रोबोट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में किया जा रहा है।
  • मोटर वाहन उद्योगों के क्षेत्र में रोबोट्स का इस्तेमाल सबसे अधिक जर्मनी और जापान द्वारा किया जाता है, यहाँ रोबोट का घनत्व प्रति दस हज़ार कामगारों पर 300 से अधिक है।
  • विश्व में जापान औद्योगिक रोबोटों (52 प्रतिशत वैश्विक आपूर्ति) का प्रमुख निर्माता है।
  • इन सबके इतर भारत की स्थिति बहुत अलग है। एक अनुमान के अनुसार, 2020 तक देश में 6,000 औद्योगिक रोबोट का प्रयोग किया जाने लगेगा।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2