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सुरक्षा

पोस्ट-मिलिटेंसी एडवर्स लिस्ट

  • 19 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

दूसरे देशों में रह रहे सिख समुदाय के 312 ऐसे लोग जो ‘पोस्ट-मिलिटेंसी एडवर्स लिस्ट’ (Post-Militancy Adverse List) में शामिल थे, को इस सूची से हटा दिया गया है। अब ये लोग भारतीय वीज़ा की प्राप्ति के लिये वैध माने जाएंगे।

off the blacklist

पोस्ट-मिलिटेंसी एडवर्स लिस्ट के बारे में

  • इसे वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू-स्टार और वर्ष 1985 में कनिष्क बम विस्फोट के बाद तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा बनाया गया था।
  • इस सूची में शामिल अधिकांश लोग गैर-निवासी सिख थे, जो USA, ब्रिटेन, जर्मनी और कनाडा में रहते थे।
  • दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय मूल के सिख समुदाय के लोगों से संबंधित इस सूची को खुफिया सूचनाओं/आगतों के आधार पर गृह मंत्रालय की देखरेख में रखा जा रहा था।
  • खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार की गई यह सूची दूसरे देशों में स्थित भारत के सभी उच्चायोगों के पास उपलब्ध होती थी, जो इसमें शामिल लोगों के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्याें के लिये भी भारतीय वीजा प्राप्ति में रुकावट थी।
  • उल्लेखनीय है कि यह सूची न केवल खालिस्तानी उग्रवादियों से संबंधित है बल्कि कोई भी व्यक्ति जो अवैध तरीके से भारत में घुसने की कोशिश करता है अथवा वीज़ा नियमों का उल्लंघन करता है, उसे इस सूची में डाल दिया जाता है।

पृष्ठभूमि/संदर्भ

  • 1980 के दशक में जब सिख उग्रवाद अपने चरम पर था, तब इस समुदाय के कई सदस्य भारत-विरोधी प्रोपगेंडा एवं गतिविधियों के दुष्प्रभाव में आ गए थे।
  • तत्कालीन सरकार की कठोर कार्रवाई एवं भारत में वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के मद्देनज़र कुछ सिख समुदाय के लोगों ने भारत से भागकर दूसरे देशों में शरण ले ली तथा विदेशी राष्ट्रीयता हासिल कर ली।
  • पंजाब के प्रमुख दलों द्वारा लंबे समय से इस सूची से लोगों का नाम हटाने के लिये प्रयास किया जा रहा था और कहा जा रहा था कि ऐसे सभी सिखों जो 1980 और 1990 के दशक में खासकर ऑपरेशन ब्लू-स्टार एवं सिख विरोधी दंगों की वज़ह से भटक गए थे, को भी पंजाब तथा दरबार साहिब जाने का अधिकार होना चाहिये।
  • अगस्त 2016 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा था कि ‘‘सरकार ने ब्लैकलिस्ट में शामिल भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के मामलों की समीक्षा की है और इसमें से 225 लोगों का नाम हटाने का फैसला किया है।’’
  • वर्तमान में भी सरकार द्वारा 314 लोगों की इस सूची की समीक्षा के उपरांत 312 लोगों को इससे हटा दिया गया है, जबकि दो लोग शेष बचे हैं, जो वीज़ा ओवरस्टेइंग (Visa overstaying) से संबद्ध हैं।
  • वर्ष 2016 के पंजाब विधानसभा चुनावों के पहले इस ब्लैकलिस्ट से कुछ नामों को हटाया गया था।

प्रभाव

  • इस समीक्षा के माध्यम से संदर्भित सिख विदेशी नागरिकों को अब भारत आने, अपने परिवार के सदस्यों से मिलने एवं उनसे जुड़ने का मौका मिलेगा।
  • सूची से हटाए जाने के बाद ये सभी लोग अब दीर्घकालिक भारतीय वीज़ा प्राप्त करने के लिये पात्र होंगे।
  • ये लोग दो साल की अवधि का सामान्य वीज़ा आवेदन के पश्चात् भारत के प्रवासी नागरिक (OCI) कार्डधारक के रूप में पंजीकरण हेतु आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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