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भारतीय विरासत और संस्कृति

पूम्पुहार- एक चोलकालिक बंदरगाह शहर

  • 03 Feb 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

पूम्पुहार शहर

मेन्स के लिये:

पूम्पुहार शहर की ऐतिहासिक प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

तमिलनाडु में एक विलुप्त चोलकालिक बंदरगाह शहर पूम्पुहार का डिजिटल रूप से पुनर्निर्माण के लिये ‘प्रोजेक्ट डिजिटल पूम्पुहार’ (Project Digital Poompuhar) का प्रारंभ किया जाएगा।

मुख्य बिंदु:

  • यह पुनर्निर्माण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) के एक कंसोर्टियम द्वारा डिजिटल रूप से किया जाएगा।
  • पूम्पुहार परियोजना के तहत DST ने इस प्राचीन शहर के इतिहास का पता लगाने के लिये 13 शिक्षाविदों और अनुसंधान संस्थानों का एक नेटवर्क स्थापित किया है।
  • इनमें ‘स्कूल ऑफ मरीन साइंसेज़’ (School of Marine Sciences), ‘अलगप्पा यूनिवर्सिटी’ (Alagappa University), ‘एकेडमी ऑफ मरीन एजुकेशन एंड ट्रेनिंग यूनिवर्सिटी’ चेन्नई (Academy of Marine Education and Training University in Chennai), ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी’(National Institute of Ocean Technology) आदि शामिल हैं।

पूम्पुहार शहर:

The-Site

  • DST के अनुसार, संगम तमिल साहित्य की रचनाओं में इस शहर के बारे में यह विवरण है कि यह शहर दक्षिणी तमिलनाडु में स्थित मौजूदा पूम्पुहार शहर से 30 किमी. की दूरी पर स्थित था।
  • यह शहर समुद्र के बढे हुए जल-स्तर या ‘कडालकोल’ की घटना के कारण डूब गया था।

डिजिटल पुनर्निर्माण संबंधी प्रक्रिया:

  • इस अध्ययन में निम्नलिखित प्रक्रियाएँ अपनाई जाएंगी-
    • सुदूर संचालित वाहनों द्वारा पानी के नीचे सर्वेक्षण और फोटोग्राफी करना।
    • समुद्र तल की ड्रिलिंग (Drilling) करना।
    • समय श्रंखला विकास और विलुप्त होने से संबंधित व्यापक जानकारी सामने लाने के लिये रिमोट सेंसिंग-आधारित भू-वैज्ञानिक अध्ययन करना।
    • भूमि उपखंड, समुद्र जलस्तर में वृद्धि, कावेरी के प्रवास, बाढ़, सुनामी, चक्रवात और कटाव जैसी- पिछली 20,000 वर्षों की भूगर्भीय प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।

पूम्पुहार शहर के पुनर्निर्माण का उद्देश्य:

  • तमिल साहित्य, पुरातत्व (Archaeology), इतिहास, पुरालेख (Epigraphy), भू-विज्ञान और पानी के नीचे की खोज करने संबंधी कई अध्ययनों के बावजूद अभी तक पूम्पुहार से संबंधित निम्नलिखित तथ्यों की पुष्टि नहीं हो सकी है-
    • प्रारंभिक स्थापना संबंधी निश्चित स्थान
    • इसकी आयु
    • इसकी उत्तरोत्तर स्थिति
    • वर्तमान में कावेरी नदी के मुहाने पर स्थित होने के साथ-साथ समय के साथ स्थानिक विकास।
    • इसके विलुप्त होने के कारण और अवधि
  • इस पुनर्निर्माण संबंधी परियोजना के माध्यम से इन सभी तथ्यों का उत्तर प्राप्त किया जा सकेगा।
  • इन अध्ययनों से प्राप्त जानकारी डिजिटल रूप से पूम्पुहार के जीवन इतिहास को पहचानने में सहायता करेगी।
  • DST के अनुसार ऐसा ही एक परियोजना गुजरात के द्वारका में संचालित की जा रही है।

अन्य तथ्य:

  • पूम्पुहर का पुनर्निर्माण DST की ‘भारतीय डिजिटल विरासत पहल’ (Indian Digital Heritage project) का हिस्सा है।
  • इस परियोजना के तहत एक 'डिजिटल हंपी' (Digital Hampi) नामक प्रदर्शनी वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित की जा रही है।
  • भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रहों द्वारा किये गए शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है कि इस शहर की स्थापना लगभग 15,000 साल पहले वर्तमान शहर से लगभग 30 किमी़ दूर कावेरी के डेल्टा में हुई थी।
  • लगभग 3,000 वर्ष पहले कावेरी नदी के मुहाने पर वर्तमान स्थान पर स्थापित हुआ।
  • यह शहर समुद्र जलस्तर में निरंतर वृद्धि और डेल्टा के जलमग्न होने के कारण कई परिवर्तनों के बाद अपनी वर्तमान स्थिति पर स्थापित हुआ।
  • अन्य अध्ययनों में एक बंदरगाह जैसी संरचना के साथ-साथ समुद्र की दीवारों और एक पुल जैसी संरचना की खोज की गई।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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