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न्यूमोकोकल वैक्सीन

  • 20 Jan 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

न्यूमोकोकल वैक्सीन

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) द्वारा विकसित न्यूमोकोकल वैक्सीन ‘न्यूमोसिल’ (PNEUMOSIL) को आरंभिक स्तर पर स्वीकृति प्रदान कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • PNEUMOSIL एक संयुक्त वैक्सीन है जो एक कमज़ोर एंटीजन के प्रति मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का निर्माण करती है।
  • इस वैक्सीन की प्रभावकारिता का परीक्षण पहले से ही स्वीकृत न्यूमोकोकल वैक्सीन (Synflorix) के प्रति किया गया था।
  • वैक्सीन को तीसरे चरण के परीक्षण (मानव नैदानिक परीक्षण का अंतिम चरण) के परिणामों के आधार पर यह स्वीकृति दी गई। ध्यातव्य है कि तीसरे चरण का परीक्षण पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया में 2,250 बच्चों पर किया गया था। पहले और दूसरे चरण के परीक्षण भारत में किये गए थे।
  • निमोनिया पैदा करने वाले बैक्टीरिया (Streptococcus pneumoniae) के लगभग 90 सीरोटाइप हैं तथा इस रोग का सीरोटाइप एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है। इस न्यूमोकोकल वैक्सीन के लिये 10 सीरोटाइप को चुना गया है जो भारत सहित लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में निमोनिया के लिये व्यापक रूप से ज़िम्मेदार है।
  • नवंबर 2019 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नवजात शिशुओं में निमोनिया से होने वाली मौतों को कम करने के लिये साँस (Social Awareness and Action to Neutralise Pneumonia Successfully-SAANS) नामक अभियान की शुरुआत की।

न्यूमोकोकल वैक्सीन क्या है?

  • न्यूमोकोकल टीकाकरण एक विशिष्ट प्रकार के फेफड़ों के संक्रमण (निमोनिया) को रोकने की विधि है जो न्यूमोकोकस (Streptococcus pneumonia) नामक जीवाणु के कारण होता है।
  • न्यूमोकोकस बैक्टीरिया के 80 से अधिक प्रकारों में से 23 को वैक्सीन द्वारा उपचारित किया जाता है।
  • शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने के लिये इस वैक्सीन को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है और इससे एंटीबॉडी का उत्पादन होता है। यह एंटीबॉडी न्यूमोकोकस बैक्टीरिया से प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
  • यह न्यूमोकोकस बैक्टीरिया के अलावा अन्य रोगाणुओं के कारण होने वाले निमोनिया से सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।

न्यूमोकोकल वैक्सीन की आवश्यकता

  • वर्ष 2018 में निमोनिया के कारण भारत में 1,27,000 मौतें हुईं, जो विश्व में पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर के मामले में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
  • निमोनिया और डायरिया भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के सबसे प्रमुख कारणों में शामिल हैं।
  • वर्ष 2017 में न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन को भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme- UIP) के अंतर्गत शामिल किया गया था।

निमोनिया फेफड़े का एक संक्रमण है और सामान्यतया बैक्टीरिया एवं वायरस द्वारा सभी उम्र के लोगों में यह रोग उत्पन्न हो सकता है। टीकाकरण द्वारा बच्चों को इस रोग से सुरक्षित रखा जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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