लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

सुरक्षा

अब अंतरिक्ष से होगी देश की सीमाओं की निगरानी

  • 18 Jan 2019
  • 5 min read

संदर्भ

  • सीमा प्रबंधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर कार्यबल की रिपोर्ट गृह मंत्रालय ने मंजूर की।
  • गृह मंत्रालय ने सीमा प्रबंधन के सुधार में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिये क्षेत्रों की निशानदेही करने के लिये एक कार्यबल गठित किया था।
  • कार्यबल का नेतृत्व संयुक्त सचिव (सीमा प्रबंधन) ने किया और इसके सदस्यों में सीमा प्रहरी बलों, अंतरिक्ष विभाग तथा सीमा प्रबंधन प्रभाग के प्रतिनिधि शामिल थे।
  • गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बलों, इसरो, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और रक्षा मंत्रालय सहित सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया।

कहाँ इस्तेमाल होगी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी?


अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के लिये निम्नलिखित क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है:

  • द्वीप विकास
  • सीमा सुरक्षा
  • संचार और नौवहन
  • GIS और संचालन आयोजना प्रणाली
  • सीमा संरचना विकास
  • सैटेलाइट से होगा बॉर्डर मैनेजमेंट

बॉर्डर मैनेजमेंट में सैटेलाइट अहम भूमिका निभा सकते हैं और एशिया में भारत के पास कुछ सर्वोत्तम सैटेलाइट्स हैं। रक्षा सेनाएँ काफी समय से अंतरिक्ष तकनीक इस्तेमाल करती रही हैं, लेकिन सीमा सूरक्षा बलों को IB, RAW और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन जैसी केंद्रीय एजेंसियों से मिलने वाली गुप्त सूचनाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर घाटी जैसे इलाकों में कमज़ोर संचार प्रणाली की शिकायतें भी सामने आती रहती हैं। ऐसे में रियल टाइम इनफॉर्मेशन वाली सैटलाइट तकनीक से ऐसी समस्याओं से आसानी से निपटा जा सकता है।

परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ

  • सीमा प्रहरी बलों की क्षमता बढ़ाने के लिये रिपोर्ट में कई सुझाव दिये गए हैं।
  • परियोजना को समय पर पूरा करने के लिये लघु, मध्यम और दीर्घकालीन योजना का प्रस्ताव किया गया है।
  • इसे पाँच वर्षों में पूरा करने के लिये इसरो और रक्षा मंत्रालय की मदद ली जाएगी।
  • लघुकालीन आवश्यकताओं के तहत सीमा प्रहरी बलों के लिये हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी और संचार के लिये बैंडविड्थ की व्यवस्था की जाएगी।
  • मध्यम अवधि की आवश्यकता के मद्देनज़र इसरो एक उपग्रह लॉन्च कर रहा है, जिसका इस्तेमाल केवल गृह मंत्रालय करेगा।
  • दीर्घकालीन अवधि के तहत गृह मंत्रालय नेटवर्क अवसंरचना विकसित करेगा ताकि अन्य एजेंसियाँ उपग्रह संसाधनों को साझा कर सकें।
  • दूरदराज़ के इलाकों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को उपग्रह संचार की सुविधा दी जाएगी।

सैटेलाइट से मिलेगी हर पल की जानकारी 


सैटेलाइट यानी अंतरिक्ष से निगरानी का उद्देश्य सीमा की पहरेदारी करने वाले सैन्य बलों को पाकिस्तानी और चीनी सैनिकों की पल-पल की गतिविधियों के बारे जानकारी देना है। इससे पूरे इलाके को समझने और दूर-दराज़ के इलाकों में प्रभावी संचार स्थापित करने में भी मदद मिलेगी। अलग सैटेलाइट बैंडविड्थ से संकट के समय पड़ोसी देशों की ओर से सीमा पर तैनात किये जाने वाले सैनिकों एवं युद्ध सामग्री से जुड़ी क्षमताओं का आकलन भी किया जा सकेगा।

चीन द्वारा समय-समय पर किया जाने वाला सीमा अतिक्रमण और पाकिस्तान की सेना द्वारा युद्धविराम का लगातार किया जाने वाला उल्लंघन और सीमापार से होने आतंकी घुसपैठ के मद्देनज़र गृह मंत्रालय का यह कदम निश्चित ही देश की सीमाओं को और सुरक्षित बनाने में मदद करेगा। सीमा सुरक्षा बल, इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस और सशस्त्र सीमा बल जैसे सीमा पर तैनात सैन्य बलों की निगरानी क्षमता में वृद्धि होने के साथ उनकी मारक क्षमता में भी बढोतरी होगी। निगरानी व्यवस्था के इस विकल्प से सीमा पर अग्रिम मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बलों की संचार, निगरानी, खुफिया और जासूसी क्षमताओं को अभेद्य बनाने में भी मदद मिलेगी।


स्रोत: PIB

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2