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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सामाजिक क्षेत्रों के लिये नीति आयोग का त्रि-वर्षीय एक्शन प्लान

  • 26 Aug 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

नीति आयोग द्वारा वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक की समयावधि के लिये एक त्रि-वर्षीय एक्शन प्लान का सुझाव पेश किया गया है। इस एक्शन प्लान के दस्तावेज़ों में नीति आयोग द्वारा देश की अर्थव्यवस्था (economy), न्यायपालिका (judiciary), विनियामक संरचना (regulatory structure) तथा सामाजिक क्षेत्रों (social sectors) में सुधार के लिये एक विस्तृत योजना की रुपरेखा प्रस्तुत की गई है।

मुख्य बिंदु

  • नीति आयोग के इस त्रि-वर्षीय एक्शन प्लान के अंतर्गत वर्णित आर्थिक लक्ष्यों को सख्ती से प्राप्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था को अधिक से अधिक लाभान्वित किया जा सके।
  • इस एक्शन प्लान के अनुसार, भारत में इन तीन वर्षों के अंदर 8% से अधिक विकास दर हासिल करने की अच्छी संभावनाएँ मौजूद हैं, जिसके फलस्वरूप आगामी दशक में देश में गरीबी की दर में भी बड़े पैमाने पर कटौती होने की संभावना है। 

लक्षित सुधार क्या - क्या हैं?

ध्यातव्य है कि इस कार्य योजना के अंतर्गत देश के सभी नागरिकों के लिये समृद्धि सुनिश्चित करने हेतु कई प्रकार के सुधारों को चिन्हित किया गया  है। इन प्रस्तावित सुधारों में से कुछ महत्त्वपूर्ण सुधार निम्नानुसार हैं - 

  • भविष्यगत प्राथमिकताओं (future priorities) के लिये केंद्र सरकार के खर्चों (central government expenditure) को सूचीबद्ध किया जाना।
  • उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त आवंटन को स्थानांतरित करना।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास, रक्षा, रेलवे, सड़कों और पूंजीगत व्यय की अन्य श्रेणियों के संबंध में वर्ष 2019-20 तक व्यय का विस्तार करना ।
  • भ्रष्टाचार और काले धन को समाप्त करना।
  • नागरिक सेवाओं और चुनाव प्रक्रिया में सुधार के अलावा 'कर' आधार में वृद्धि करना।
  • मानव संसाधनों की उपलब्धता और प्रदर्शन को व्यवस्थित करके न्यायिक प्रणाली में सुधार करना।
  • विवादों के शीघ्रतम समाधान के लिये न्यायपालिका की बुनियादी व्यवस्था को मज़बूत करना और उसकी दक्षता में सुधार के लिये आई.सी.टी का व्यापक उपयोग करना।
  • सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट समूहों जैसे कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिये शिक्षा, कौशल विकास एवं स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के संबंध में बदलाव लाना।
  • इसके अतिरिक्त पर्यावरण की स्थिरता को नियंत्रित करने वाली विनियामक संरचना को मज़बूत और सुदृढ़ बनाना इत्यादि के संबंध में सुधारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

वर्तमान स्थिति

  • वर्तमान में देश को शहरीकरण की बेह्टर सुविधाओं एवं स्वच्छ चुनौतियों, किफायती आवासों की उपलब्धता, बुनियादी ढाँचे के विकास, सार्वजनिक परिवहन तथा स्वच्छ भारत योजना को बढ़ावा देने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 
  • दरअसल, समस्या यह है कि इन सभी चुनौतियों को पार करने के लिये सरकार के पास न तो पर्याप्त मात्रा में फण्ड ही मौजूद है और न ही कोई सटीक व्यवस्थित तंत्र।
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