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शासन व्यवस्था

निकोटीन जहर के रूप में वर्गीकृत

  • 20 Aug 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

कर्नाटक राज्य ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध के प्रवर्तन को मज़बूत करने के लिये निकोटीन (Nicotine) को कर्नाटक जहर (पॉजिशन एंड सेल) नियम, 2015 [Karnataka Poisons (Possession and Sale) Rules, 2015] के तहत एक जहरीले पदार्थ के रूप में वर्गीकृत किया है।

  • अत्यधिक जहरीले रसायन जो हवा में गैस या वाष्प के रूप में बहुत कम मात्रा में भी उपस्थित होने से जीवन के लिये खतरनाक हो सकते हैं, उन्हें वर्ग A के तहत अधिसूचित किया जाता है।
    • इसके अंतर्गत साइनोजेन (Cyanogen), हाइड्रोसाइनिक एसिड (Hydrocyanic Acid), नाइट्रोजन परॉक्साइड (Nitrogen Peroxide), फॉसजीन (Phosgene) आदि आते हैं।
    • इस संबंध में एक गजट अधिसूचना पिछले महीने प्रकाशित हुई थी तथा नए नियमों को अब कर्नाटक जहर (पॉजिशन एंड सेल) नियम, 2019 [Karnataka Poisons (Possession and Sale) Rules, 2019] कहा जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, निकोटीन एक अत्यधिक विषैला और लिपोफिलिक कोलीनर्जिक एल्कालॉइड (Lipophilic Cholinergic Alkaloid) है जो पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र (Parasympathetic Nervous System) को प्रभावित करता है।
  • वर्तमान में निकोटीन में कोई पोषक गुण नहीं पाया जाता है तथा इसके गंभीर स्वास्थ्य खतरों और संभावित रूप से जहरीली/विषैली प्रकृति के कारण यह खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 2,3 एवं 4 के तहत भोजन में उपयोग के लिये निषिद्ध है।
  • उल्लेखनीय है कि निकोटीन विषाक्तता के लिये अभी तक कोई भी ज्ञात एंटीडोट (Antidote) नहीं है।
  • इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट छोटी सी बैटरी से चलने वाले उपकरण हैं जो धूम्रपान करने वालों को तंबाकू के समान अनुभव प्रदान करने के लिये तरल निकोटीन (Liquid Nicotine) को वाष्पित करते हैं।

निकोटीन

  • निकोटीन एक प्लांट एल्कलॉइड (Alkaloid) है जिसमें नाइट्रोजन पाया जाता है।
  • यह तंबाकू के पौधे सहित कई अन्य पौधों में भी पाया जाता है साथ ही इसे कृत्रिम रूप से भी उत्पादित किया जा सकता है।
  • निकोटीन में शामक (Sedative) एवं उत्तेजक (Stimulant) दोनों गुण पाए जाते हैं।
  • निकोटीन का उपयोग ई-सिगरेट में एक प्रत्यक्ष पदार्थ के रूप में किया जाता है इसमें निकोटीन की मात्रा लगभग 36 मिलीग्राम तक होती है। हालाँकि सिगरेट में भी 1.2 से 1.4 मिलीग्राम तक निकोटीन होता है।
  • तंबाकू उत्पादों को चबाने या सूंघने से आमतौर पर धूम्रपान की तुलना में शरीर में अधिक निकोटीन प्रवेश करता है।
  • हालाँकि कर्नाटक राज्य सरकार ने जून 2016 में ई-सिगरेट की बिक्री और उत्पादन पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अभी भी यहाँ पर निकोटीन कार्ट्रिज तथा ई-सिगरेट की अवैध बिक्री एवं तस्करी बड़े पैमाने पर जारी है।
  • ई-सिगरेट को अक्सर सिगरेट पीने में कटौती करने या पूरी तरह से धूम्रपान करने के तरीके के रूप में विपणन किया जाता है, इसे धूम्रपान छोड़ने के लिये सहायक के रूप में भी बेचा जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट/ई-सिगरेट

  • ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलिवरी सिस्टम (Electronic Nicotine Delivery System- ENDS) एक बैटरी संचालित डिवाइस है, जो तरल निकोटीन, प्रोपलीन, ग्लाइकॉल, पानी, ग्लिसरीन के मिश्रण को गर्म करके एक एयरोसोल बनाता है, जो एक असली सिगरेट जैसा अनुभव प्रदान करता है।
  • यह डिवाइस पहली बार वर्ष 2004 में चीनी बाज़ारों में ‘तंबाकू के स्वस्थ विकल्प’ के रूप में बेची गई थी।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वर्ष 2005 से ही ई-सिगरेट उद्योग एक वैश्विक व्यवसाय बन चुका है। वर्तमान में इसका बाज़ार लगभग 3 अरब डॉलर का है।
  • ई-सिगरेट ने अधिक लोगों को धूम्रपान शुरू करने के लिये प्रेरित किया है, क्योंकि इसका प्रचार-प्रसार ‘हानिरहित उत्पाद’ के रूप में किया जा रहा है। किशोरों के लिये ई-सिगरेट धूम्रपान शुरू करने का एक प्रमुख साधन बन गया है।
  • भारत में 30-50% ई-सिगरेट्स ऑनलाइन बिकती हैं और चीन इसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्त्ता देश है। भारत में ई-सिगरेट की बिक्री को अभी तक उचित तरीके से विनियमित नहीं किया जा सका है। यही कारण है कि बच्चे और किशोर इसे आसानी से ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
  • पंजाब राज्य ने ई-सिगरेट को अवैध घोषित किया है। राज्य का कहना है कि इसमें तरल निकोटीन का प्रयोग किया जाता है, जो वर्तमान में भारत में अपंजीकृत ड्रग के रूप में वर्गीकृत है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ई-सिगरेट पीने वाले लोगों में श्वसन और जठरांत्र संबंधी रोग हो जाते हैं।
  • स्वास्थ्य विभाग के एक अध्ययन के अनुसार, ई-सिगरेट युवा पीढ़ी को पारंपरिक सिगरेट का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
  • ऐसे चॉकलेट जिसमें निकोटीन की दो मिलीग्राम मात्रा पाई जाती है, को नशामुक्ति में मदद करने की अनुमति दी गई है। ई-सिगरेट निर्माता अपनी बिक्री के लिये इस क्लॉज का दुरुपयोग करते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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