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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

फ्लू से बचाव हेतु एक नई वैक्सीन का विकास

  • 09 Oct 2017
  • 7 min read

संदर्भ 

उल्लेखनीय है कि मौसमी फ्लू के उपचार हेतु ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेंनर इंस्टिट्यूट (Jenner Institute) द्वारा वैसीटेक (जो जेंनर इंस्टिट्यूट की बायोटेक कंपनी है) के सहयोग से एक नई वैक्सीन को विकसित किया गया है। इस वैक्सीन का चिकित्सकीय परीक्षण ब्रिटेन के बर्कशायर और ऑक्सफोर्डशायर नामक शहरों के 65 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के लगभग 2,000 लोगों पर किया जाएगा। विदित हो कि इस नई वैक्सीन से ‘ए’, ‘बी’ व ‘सी’ प्रकार के फ्लू वायरसों से बचाव किया जा सकता है।

क्या है इन्फ्लुएंजा?

  • इन्फ्लुएंजा अथवा फ्लू एक वायरल मौसमी श्वसन रोग (viral seasonal respiratory disease) है, जिसके प्रति वृद्ध और युवा अधिक संवेदनशील होते हैं। 
  • वस्तुतः इन्फ्लुएंजा वायरसों को ए, बी, सी, व डी चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। ‘ए’ और ‘बी’  प्रकार के वायरसों से मौसमी महामारियाँ होती हैं जबकि ‘सी’ से श्वसन संबंधी हल्की बीमारी होती है, परन्तु महामारी नहीं होती। इन्फ्लुएंजा ‘डी’ मवेशियों को प्रभावित करता है। 
  • दरअसल, विश्व भर में प्रतिवर्ष लगभग एक बिलियन लोग इन्फ्लुएंजा वायरस से पीड़ित होते हैं तथा इसके कारण प्रतिवर्ष 250,000 से 500,000 लोगों की मृत्यु होती है। इसका शिकार मुख्यतः 65 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के लोग होते हैं। 

इस प्रोजेक्ट पर कितने समय तक कार्य किया गया?

  • इस वैक्सीन को विकसित करने के लिये 10 वर्षों तक कार्य किया गया। वैसीटेक के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने 150 से अधिक विषयों पर पाँच अध्ययन भी किये हैं, जिनमें से लगभग सभी प्रख्यात पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हो चुके हैं। 

यह नई वैक्सीन क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • शोधकर्त्ताओं का विश्वास है कि नई वैक्सीन की “डिफरेंट मैकेनिज्म” (Different Mechanism) फ्लू से बचाव करने में मददगार साबित होगी तथा इसकी गंभीरता और समयावधि को कम कर देगी।
  • शोधकर्त्ताओं का प्रयास है कि विश्व स्तर पर इन्फ्लुएंजा नामक रोग के प्रभाव को कम किया जाए, क्योंकि यह विश्व भर में प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। यदि यह वैक्सीन उचित तरीके से कार्य करती है तो इन्फ्लुएंजा से होने वाली मौतों के आँकड़ों में निश्चित तौर पर गिरावट आएगी।
  • अब तक वैज्ञानिक इस वैक्सीन का परीक्षण उन सभी क्षेत्रों में कर चुके हैं, जहाँ वर्तमान में कथित लाभों के कारण इन्फ्लुएंजा के लिये  टीकाकरण उपलब्ध नहीं है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह वैक्सीन विश्व की एक बड़ी आबादी के स्वास्थ्य के लिये एक वरदान अथवा गेमचेंजर साबित होगी।

 ‘डिफरेंट मैकेनिज्म’ (different mechanism) क्या है 

  • सूक्ष्मदर्शी से देखने पर यह फ्लू वायरस एक ‘गोलाकार पिन कुशन’ (a spherical pin cushion) के समान दिखाई देता है, जिसके चारों ओर अनेक पिन लगे होते हैं। 
  • दरअसल, वर्तमान में फ्लू के लिये जितनी भी वैक्सीन उपलब्ध हैं वे प्रतिरक्षा तंत्र को उत्तेजित करने के लिये फ्लू कोशिकाओं के बाहर मौजूद ‘सतही प्रोटीनों’ (surface proteins ) का उपयोग करती हैं, जिसके कारण स्वयं ही एंटीबॉडी उत्पन्न हो जाती हैं। परन्तु इनकी एक कमी यह है कि प्रतिवर्ष जैसे ही फ्लू का वायरस बदलता है, सतही प्रोटीन (hemagglutinin और neuraminidase) भी बदल जाते हैं।
  • वर्तमान में उपलब्ध वैक्सीन 65 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के लोगों में केवल 30% से 40% ही प्रभावी हैं, क्योंकि उनका प्रतिरक्षा तंत्र उम्र के बढ़ने के साथ-साथ कमज़ोर होता जाता है। 

भारत में इन्फ्लुएंजा की स्थिति क्या है? इससे  निपटने में यह नई वैक्सीन किस प्रकार सहायक सिद्ध हो सकती है?

  • केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान (सी.आर.आई) भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के राष्ट्रीय इन्फ्लुएंजा केंद्रों में से एक है।
  • भारत में फ्लू से काफी अधिक संख्या में लोग पीड़ित होते हैं। इस वर्ष  1 अक्टूबर, 2017 तक ही इसके 36,000 मामले प्रकाश में आ चुके हैं, जबकि इस रोग से पीड़ित 2,000 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है।
  • यह नई वैक्सीन प्रतिरक्षा तंत्र को उत्तेजित करेगी, ताकि एंटीबॉडी के बजाय इन्फ्लुएंजा विशिष्ट टी-कोशिकाओं (शरीर की स्वतः रक्षा करने वाली कोशिकाएँ) में वृद्धि की जा सके। प्रत्येक मनुष्य में पहले से ही कुछ इन्फ्लुएंजा विशिष्ट टी-कोशिकाएँ होती हैं, परन्तु उनकी संख्या काफी कम होती है। अतः वे शरीर का बचाव करने में सक्षम नहीं होती हैं।
  • पूर्व के शोधों में यह पाया गया है कि टी-कोशिकाएँ एक से अधिक प्रकार के फ्लू वायरस से लड़ने में सहायता कर सकती हैं और इससे अधिक लोगों का बचाव किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इससे फ्लू की समयावधि और गंभीरता को भी कम किया जा सकता है।
  • यद्यपि मानक वैक्सीन का प्रभाव केवल 4-6 महीनों के लिये ही रहता है तथापि यह नई वैक्सीन कुछ वर्षों तक अवश्य प्रभावी रहेगी। 

निष्कर्ष

  • यदि यह नई वैक्सीन सुरक्षा और प्रतिरक्षा के सभी मानदंडों पर खरी उतरती है, तो यह एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि होगी तथा इससे सभी देशों को इन्फ्लुएंजा की विश्वस्तरीय समस्या से अपना बचाव करने में सहायता मिलेगी।
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