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एनडीपीएस (संशोधन) विधेयक, 2021

  • 08 Dec 2021
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

NDPS अधिनियम, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, लोकसभा

मेन्स के लिये:

भारत में नशीली दवाओं के नियंत्रण से संबंधित प्रावधान और संबंधित मुद्दे   

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस’ (NDPS) संशोधन विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया गया।

  • यह विधेयक नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस अधिनियम,1985 (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985) में संशोधन करेगा। 

नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम, 1985 

  • यह अधिनियम मादक औषधि और मनोदैहिक पदार्थों से संबंधित निर्माण, परिवहन और खपत जैसे कार्यों को नियंत्रित करता है। 
  • अधिनियम के तहत, कुछ अवैध गतिविधियों का वित्तपोषण जैसे कि भांग की खेती, मादक औषधि का निर्माण या उनसे जुड़े व्यक्तियों को शरण देना एक प्रकार का अपराध है। 
  • इस अपराध के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को 10 से 20 वर्ष का कठोर और कम-से-कम 1 लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया जाएगा। 
  • यह नशीले पदार्थों और मनोदैहिक पदार्थों के अवैध व्यापार से अर्जित या उपयोग की गई संपत्ति को ज़ब्त करने का भी प्रावधान करता है।
  • यह कुछ मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान करता है जब एक व्यक्ति बार-बार अपराधी पाया जाता है।
  • इस अधिनियम के तहत वर्ष 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का भी गठन किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • विधेयक के बारे में:
    • वर्ष 2014 के संशोधन अधिनियम में प्रारूपण त्रुटि को ठीक करने के लिये यह विधेयक इस वर्ष (2021) की शुरुआत में प्रख्यापित एक अध्यादेश का स्थान लेगा।
      • वर्ष 2014 के संशोधन से पहले, अधिनियम की धारा 2 के खंड (viii-a) में उप-खंड (i) से (v) शामिल थे, जिसमें ‘अवैध यातायात’ शब्द को परिभाषित किया गया था।
    • वर्ष 2014 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था और ऐसी अवैध गतिविधियों की परिभाषा के खंड संख्या को प्रतिस्थापित कर दिया गया था।
      • हालाँकि इन अवैध गतिविधियों के वित्तपोषण के लिये दंड हेतु धारा (27A) में संशोधन नहीं किया गया था और परिभाषा के प्रारंभिक खंड संख्या को संदर्भित करना जारी रखा था।
    • अध्यादेश द्वारा नए खंड संख्या के संदर्भ को प्रतिस्थापित करने के लिये दंड की धारा में संशोधन किया गया।
      • हाल के एक फैसले में त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने माना है कि 'जब तक एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27 A में उचित रूप से संशोधन करके उचित विधायी परिवर्तन नहीं होता है, तब तक एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 के खंड (viii-a) के उप-खंड (i) से (v) को निष्क्रिय कर दिया गया है।

NDPS अधिनियम की धारा 27A:

  • धारा 27A के तहत शामिल प्रावधान के मुताबिक, धारा 2 के खंड (viiia) के उप-खंड (i) से (v) में निर्दिष्ट किसी भी गतिविधि में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल कोई भी व्यक्ति अथवा उपरोक्त किसी भी गतिविधि में संलग्न किसी व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करने वाला कोई भी व्यक्ति अधिनियम के तहत दंड का पात्र होगा।
  • ऐसे व्यक्ति को कठोर कारावास की सज़ा दी जाएगी, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी और जिसे बीस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही उस व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो कि एक लाख रुपए से कम नहीं होगा, किंतु यह दो लाख रुपए से अधिक भी नहीं होगा।
    • हालाँकि निर्णय में दिये गए कारणों के आधार पर दो लाख रुपए से अधिक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

धारा 27A के निष्क्रिय होने का कारण

  • इसके मुताबिक, धारा 2 (viii-a) के उप-खंड (i) से (v) के तहत उल्लिखित अपराध धारा 27A के माध्यम से दंडनीय होंगे।
  • हालाँकि धारा 2 (viii-a) के उप-खंड (i) से (v), जिसे अपराधों की सूची माना जाता है, वर्ष 2014 के संशोधन के बाद मौजूद नहीं है।
  • अतः यदि धारा 27A किसी रिक्त सूची या गैर-मौजूद प्रावधान को दंडनीय बनाती है, तो यह कहा जा सकता है कि यह वस्तुतः निष्क्रिय है।
  • विधेयक के उद्देश्य:
    • नशे के शिकार लोगों को नशे की लत से बाहर निकालने में मदद करना।
    • मादक दवाओं और मनोदैहिक पदार्थों के निर्माण, परिवहन और खपत आदि को विनियमित करते हुए व्यक्तिगत उपयोग के लिये सीमित मात्रा में दवाओं के प्रयोग को अपराध की श्रेणी से हटाना।
  • विधेयक से संबंधित चिंताएँ:
    • नया प्रावधान 01 मई, 2014 से भूतलक्षी प्रभाव से लागू होगा।
    • यह विधेयक अनुच्छेद-20 के तहत शामिल मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसके तहत किसी व्यक्ति को उस अपराध के लिये दंडित किया जा सकता है जिसके लिये अपराध किये जाने के समय कोई कानून मौजूद नहीं था।
      • अनुच्छेद-20 किसी भी अभियुक्त या दोषी करार दिये गए व्यक्ति, चाहे वह देश का नागरिक हो या या विदेशी या कंपनी व परिषद का कानूनी व्यक्ति हो; को अपराध के लिये तब तक दोषी नहीं ठहराया जाएगा, जब तक कि ऐसे किसी कृत्य के समय, (जो व्यक्ति अपराध के रूप में आरोपित है) किसी प्रवृत्त विधि का अतिक्रमण नहीं किया हो।

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नशीली दवाओं की लत से निपटने की संबंधी पहल

  • नार्को-समन्वय केंद्र: नार्को-समन्वय केंद्र (NCORD) का गठन नवंबर 2016 में किया गया था और ‘नारकोटिक्स नियंत्रण के लिये राज्यों को वित्तीय सहायता’ योजना को पुनर्जीवित किया गया था।
  • ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली: ‘नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो’ को एक नया सॉफ्टवेयर यानी ‘ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली’ (SIMS) विकसित करने के लिये धन उपलब्ध कराया गया है जो नशीली दवाओं के अपराध और अपराधियों का एक पूरा ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगा।
  • नेशनल ड्रग एब्यूज़ सर्वे: सरकार ‘एम्स’ के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रुझानों को मापने हेतु राष्ट्रीय नशीली दवाओं के दुरुपयोग संबंधी सर्वेक्षण भी कर रही है।
    • प्रोजेक्ट सनराइज़: इसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2016 में भारत में उत्तर-पूर्वी राज्यों में बढ़ते एचआईवी प्रसार से निपटने के लिये शुरू किया गया था, खासकर ड्रग्स का इंजेक्शन लगाने वाले लोगों के बीच।
  • NDPS अधिनियम: यह व्यक्ति को किसी भी मादक दवा या मनोदैहिक पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग करने से रोकता है।
    • NDPS अधिनियम में अब तक तीन बार 1988, 2001 और 2014 में संशोधन किया गया है।
    • यह अधिनियम पूरे भारत के साथ-साथ भारत के बाहर के सभी भारतीय नागरिकों और भारत में पंजीकृत जहाज़ो एवं विमानों पर कार्यरत सभी व्यक्तियों पर भी लागू होता है।
  • नशा मुक्त भारत: सरकार ने 'नशा मुक्त भारत' या ड्रग मुक्त भारत अभियान शुरू करने की भी घोषणा की है जो सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों पर केंद्रित है।

स्रोत: द हिंदू

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