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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

राष्ट्रीय दुग्ध सुरक्षा तथा गुणवत्ता सर्वेक्षण

  • 23 Oct 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, राष्ट्रीय दुग्ध सुरक्षा और गुणवत्ता सर्वेक्षण 2018 एफ्लाटॉक्सिन-एम1

मेन्स के लिये:

स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, पशुपालन का अर्थशास्त्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (The Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) ने राष्ट्रीय दुग्ध सुरक्षा तथा गुणवत्ता सर्वेक्षण (National Milk Safety and Quality Survey) 2018 की रिपोर्ट जारी की।

प्रमुख बिंदु:

  • सर्वेक्षण में परीक्षण किये गए दुग्ध के नमूनों में से लगभग 93% दुग्ध को उपभोग के लिये सुरक्षित पाया गया तथा शेष 7% नमूनों में एफ्लाटॉक्सिन-एम1 (Aflatoxin-M1), एंटीबायोटिक्स जैसे दूषित पदार्थों की उपस्थिति पाई गई।
  • सर्वेक्षण में दुग्ध को काफी हद तक सुरक्षित पाया गया है, हालाँकि मिलावट की तुलना में संदूषण एक अधिक गंभीर समस्या बनकर उभरा है।
  • दुग्ध (कच्चे और प्रसंस्कृत दोनों) के नमूनों में वसा तथा सॉलिड नॉट फैट (solid not fat- SNF) की मात्रा मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई। दुग्ध में वसा तथा SNF का अनुपात व्यापक रूप से मवेशियों की प्रजातियों और नस्ल के साथ-साथ उनके भोजन तथा चारे की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।
    • SNF मक्खन और पानी के अलावा दूध में पाए जाने वाले वे घटक हैं जिसमें कैसीन, लैक्टोज, विटामिन और खनिज आदि पदार्थ शामिल होते हैं जो दुग्ध में पोषक तत्त्वों की मात्रा को बनाए रखते हैं।
  • सर्वेक्षण में पाया गया कि दुग्ध में अमोनियम सल्फेट (Ammonium Sulphate) स्वाभाविक रूप से विद्यमान है तथा यह पूर्ण रूप से सुरक्षित है। वस्तुतः देखा गया है कि कई देशों द्वारा किन्हीं खाद्य पदार्थों में अमोनियम सल्फेट को एक योजक के रूप में प्रयोग करने की अनुमति दी जाती है।
  • कच्चे दुग्ध की तुलना में प्रसंस्कृत दुग्ध (Processed Milk) में एफ्लाटॉक्सिन-एम1 की समस्या अधिक प्रभावी रूप से पाई गई है।
    • दुग्ध में एफ्लाटॉक्सिन-एम1 का स्रोत चारा तथा भूसा है जिसके लिये वर्तमान में देश में कोई विनियमन नहीं है।
    • तमिलनाडु, दिल्ली तथा केरल शीर्ष तीन राज्यों में एफ्लाटॉक्सिन-एम1 की मात्रा सर्वाधिक पाई गई।
  • इसके अतिरिक्त प्रसंस्कृत दुग्ध में वसा, SNF, माल्टोडेक्सट्रिन (Maltodextrin) तथा चीनी जैसे दूषित पदार्थों की उपस्थिति संभावित मात्रा से अधिक पाई गई।

राष्ट्रीय दुग्ध सुरक्षा और गुणवत्ता सर्वेक्षण 2018

(National Milk Safety and Quality Survey):

  • यह तरल दुग्ध की सुरक्षा और गुणवत्ता का आकलन करने के लिये अपनी तरह का पहला व्यापक सर्वेक्षण है जिसे FSSAI ने एक तृतीय-पक्ष एजेंसी के माध्यम से किया है।
  • सर्वेक्षण में मई 2018 से अक्तूबर 2018 तक सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इसके तहत कवर किया गया है।
  • यह सर्वेक्षण दोनों संगठित (खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसर) तथा गैर-संगठित (स्थानीय डेयरी फार्म, दुग्ध विक्रेता और दुग्ध मंडियों) क्षेत्रों को कवर करता है।

एफ्लाटॉक्सिन-एम1 (Aflatoxin-M1, AFM1):

  • एफ़्लाटॉक्सिन कुछ कवकों द्वारा उत्पादित वे विषाक्त पदार्थ हैं जो आमतौर पर मक्का, मूँगफली, कपास के बीज जैसी अन्य कृषि फसलों में पाए जाते हैं।
  • इनकी प्रकृति कार्सिनोजेनिक (Carcinogenic) होती हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) के अनुसार, 1 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम या इससे अधिक के एफ्लाटॉक्सिन सांद्रतायुक्त वाले भोजन के सेवन से एफ़्लैटॉक्सिकोसिस (Aflatoxicosis) होने का संदेह होता है जिसमें पीलिया, सुस्ती तथा मितली जैसे लक्षण प्रकट होते हैं, जिससे अंततः मृत्यु भी हो सकती है।
  • इसके अतिरिक्त दुग्ध में AFM1 की उपस्थिति से बच्चों में बौनापन (Stunting) की समस्या उत्पन्न होती है।

स्रोत: द हिंदू

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