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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति पर मंत्रालय की रिपोर्ट

  • 02 Apr 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री द्वारा राज्यसभा में यह बताया गया कि देश के कुल 25,650 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (Primary Health Centres-PHCs) में से 15,700 (61.2%) में केवल एक ही डॉक्टर उपलब्ध है और 1,974 (7.69%) PHCs में तो एक भी डॉक्टर नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग 20,000 -30,000 आबादी के लिये बनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • देश के कुल पीएचसी के 61% से भी अधिक PHCs में एक ही डॉक्टर उपलब्ध है।
  • भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (IPHS) के दिशा-निर्देशों के मुताबिक प्रत्येक 24x7 PHC में तीन नर्सों, एक लैब टेक्नीशियन और एक फार्मासिस्ट तथा वांछनीय तीसरे डॉक्टर के अलावा कम-से-कम दो डॉक्टर होने चाहिये।
  • किंतु वास्तविक स्थिति में 9,183 (35.8%) PHCs में एक भी लैब टेक्नीशियन नहीं है और 4,744 (18.4%) PHCs में एक भी फार्मासिस्ट नहीं है।
  • 600 से ज़्यादा PHC वाले बड़े राज्यों में गुजरात इस सूची में सबसे ऊपर है जहाँ इसके सभी 1,392 PHCs में प्रत्येक में एक ही डॉक्टर है।
  • कर्नाटक में 2,359 में से 1973 PHCs में सिर्फ एक ही डॉक्टर है। एक डॉक्टर के साथ कार्यरत PHC के संदर्भ में कर्नाटक 83.6% PHC के साथ पाँचवें स्थान पर है और 81.7% के साथ केरल छठे स्थान पर है।
  • प्रतिशत के संदर्भ में गुजरात के बाद सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और मिजोरम राज्यों का स्थान है जहाँ एक डॉक्टर के साथ कार्यरत PHCs की संख्या 84%से 87% के बीच है।
  • हालाँकि सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और मिज़ोरम में भी PHC की संख्या कम है।
  • तमिलनाडु और महाराष्ट्र अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हैं।
  • तमिलनाडु में 1,362 में से केवल 14.4% और महाराष्ट्र  में 1814 में से 23.8% PHCs ही एक डॉक्टर के साथ कार्यरत हैं।

क्यों आवश्यक है PHCs का सुदृढ़ीकरण?

  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के लिये स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ने हेतु पहले स्तर के संपर्क बिंदु का कार्य करते हैं।
  • स्वास्थ्य सुविधाएँ नागरिकों के जितनी अधिक नज़दीक होंगी, उतनी ही ये मरीज़ों के लिये वहनीय और पहुँच के दायरे में होंगी।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक और पुनर्वासात्मक (Preventive, Promotive, Curative and Rehabilitative) स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के मूल स्तंभ हैं।
  • एक पूर्णतः कार्यात्मक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अधिकांश स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है और केवल जटिल मामलों को ही द्वितीयक या तृतीयक सुविधाओं के लिये रेफर किया जाना चाहिये।
  • कुछ मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार पर्याप्त सुरक्षा और बचाव उपायों का अभाव तथा राजनीतिक हस्तक्षेप डॉक्टरों को ग्रामीण इलाकों में काम करने से हतोत्साहित करने वाले मुख्य कारण हैं।
  • इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का सुचारु संचालन टेलीमेडिसिन के अनुप्रयोग से सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • ऐसे स्थान जहाँ पर दूरी स्वास्थ्य सुविधाओं की डिलीवरी में एक निर्णायक कारक है वहाँ पर दूरसंचार प्रौद्योगिकी के उपयोग से स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को उपलब्ध कराना टेलीमेडिसिन कहलाता है। 
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