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जैव विविधता और पर्यावरण

प्रवासी पक्षी और चिल्का झील

  • 01 Mar 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

ओडिशा में (चिल्का झील के निकट) तापमान बढ़ने के कारण चिलिका झील और भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के आसपास से प्रवासी पक्षियों ने अन्य वर्षों की तुलना में पहले  (फरवरी में) ही इन स्थानों को छोड़ना शुरू कर दिया है।

  • इन क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों का आगमन सामान्यतः नवंबर माह में शुरू होता है और मार्च के मध्य या अप्रैल की शुरुआत में ये पक्षी तब वापस जाते हैं जब तापमान लगभग 39 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रवासी प्रजातियाँ:  हर वर्ष सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षी एशिया के सबसे बड़े खारे पानी के लैगून चिल्का झील तथा भारत के दूसरे सबसे बड़े मैंग्रोव जंगल भितरकनिका( प्रथम सुंदरबन, पश्चिम बंगाल में स्थित ) में आते हैं।
    • पक्षियों की ये प्रजातियाँ साइबेरिया, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, हिमालयी क्षेत्र और मध्य यूरोप से उड़ान भरकर भारत आते हैं।
  • समय-पूर्व प्रस्थान का कारण:
    • क्षेत्र का गर्म होना: वर्ष 2015 से वर्ष 2019 के दौरान फरवरी महीने में भुवनेश्वर (चिल्का झील से 35 किलोमीटर की दूरी पर) का औसत तापमान 34-35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। 
    • घटता जल स्तर: बढ़ रहे तापमान के साथ झील के जल स्तर में गिरावट के कारण भी पक्षियों द्वारा समय-पूर्व प्रस्थान किया गया है।
  • चिल्का झील:
    • चिल्का एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है।
    • शीतकाल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने वाला सबसे बड़ा मैदान होने के साथ ही यह पौधों और जानवरों की कई संकटग्रस्त प्रजातियों का निवास स्थान है।
    • वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का पहला भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
    • चिल्का में प्रमुख आकर्षण इरावदी डॉलफिन (Irrawaddy Dolphins) हैं जिन्हें अक्सर सातपाड़ा द्वीप के पास देखा जाता है।
    • लैगून क्षेत्र में लगभग 16 वर्ग किमी. में फैला नलबाना द्वीप (फारेस्ट ऑफ रीडस) को वर्ष 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।
    • कालिजई मंदिर- यह मंदिर चिल्का झील में एक द्वीप पर स्थित है।
  • भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान:
    • भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान ओडिशा के समृद्ध जैव विविधता स्थलों में से एक है जो  अपने मैंग्रोव, प्रवासी पक्षियों, कछुओं, एस्टुरीन मगरमच्छों और अनगिनत लताओं के लिये प्रसिद्ध है।
    • भितरकनिका में 3 संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं जिनमें भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान (Bhitarkanika National Park), भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य (Bhitarkanika Wildlife Sanctuary) और गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य (Gahirmatha Marine Sanctuary) शामिल हैं।
    • भितरकनिका ब्राह्मणी, बैतरणी, धामरा तथा महानदी नदी प्रणालियों के मुहाने पर स्थित है।
    • यह देश के 70% एस्टुरीन या खारे पानी के मगरमच्छों का निवास स्थान है जिसके संरक्षण का कार्य वर्ष 1975 में शुरू किया गया था।

भारत में प्रवासी प्रजातियाँ:

  • भारत कई प्रवासी जानवरों और पक्षियों का अस्थायी निवास स्थान है।
  • इनमें से अमूर फाल्कन्स (Amur Falcons), बार-हेडेड गीज़ (Bar-Headed Geese), ब्लैक-नेक्ड क्रेन (Black-Necked Cranes), मरीन टर्टल (Marine Turtles), डूगोंग (Dugongs), हंपबैक व्हेल (Humpback Whales) आदि शामिल हैं।
  • भारतीय उपमहाद्वीप प्रमुख पक्षी फ्लाईवे नेटवर्क का भी हिस्सा है, अर्थात मध्य एशियाई फ्लाईवे (Central Asian Flyway- CAF) आर्कटिक और भारतीय महासागरों के मध्य के क्षेत्रों को कवर करता है।
  • भारत ने मध्य एशियाई फ्लाईवे (Central Asian Flyway) के तहत प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan) भी शुरू की है क्योंकि भारत प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय’ (Convention on Migratory Species-CMS) का एक पक्षकार है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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