लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भूगोल

इंटरस्टेलर स्पेस में लिथियम प्रचुरता

  • 22 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

इंटरस्टेलर स्पेस, बिग बैंग न्यूक्लियोसिंथेसिस, प्लेनेटरी एंगुलफमेंट

मेन्स के लिये:

बिग बैंग संकल्पना 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘भारतीय खगोल-भौतिकी संस्थान’ (Indian Institute of Astrophysics- IIA) के शोधकर्त्ताओं ने लीथियम से समृद्ध सैकड़ों विशाल तारों की खोज की है। 

मुख्य बिंदु:

  • शोधकर्त्ताओं ने तापमान एवं चमक का उपयोग करते हुए हजारों तारों की सापेक्ष स्थिति का विश्लेषण किया।  
  • IIA के वैज्ञानिकों द्वारा नासा के 'केपलर स्पेस टेलीस्कोप' से प्राप्‍त डेटा का उपयोग करके वायुमंडलीय कंपन का विश्लेषण किया गया।

शोध कार्य:

  • लीथियम से समृद्ध सैकड़ों विशाल तारों के निर्धारण के लिये वैज्ञानिकों ने बारंबारता, दबाव, गुरुत्वाकर्षण आदि के मॉडलों का अध्ययन किया। 
  • लीथियम समृद्ध तारों तथा अन्य तारों में अंतर स्थापित करने के वैज्ञानिकों ने तारों केंद्र/कोर में होने वाली हीलियम दहन प्रक्रिया को आधार बनाया।
    • हाइड्रोजन संलयन अभिक्रिया के कारण हीलियम का निर्माण होता है। 
  • हीलियम दहन अभिक्रिया की ग्रहों उपस्थिति यह बताती है कि इन ग्रहों में अन्य हल्के तत्त्व भी मौजूद हैं क्योंकि ड्यूटेरियम, हीलियम और लीथियम आदि हल्के तत्त्व बिग बैंग की घटना के दौरान बनने वाले प्रारंभिक पदार्थ थे

शोध के निष्कर्ष:  

  • शोध में यह बताया गया है लिथियम की अधिकता केवल हीलियम निर्माण/दहन वाले तारों में पाई जाती है।
  • इन विशाल तारों को लाल तारे यानी रेड क्लंप जाइंट (Red Clump Giants) के रूप में भी जाना जाता है।

शोध कार्य का महत्त्व:

  • यह खोज कई सिद्धांतों जैसे- ‘ग्रह उत्थान’ (Planet Engulfment) या बिग बैंग न्यूक्लियोसिंथेसिस (BBN) को खत्म करने या मान्यता प्रदान करने में मदद करेगी । 

इंटरस्टेलर स्पेस (Interstellar Space):

  • वैज्ञानिकों ने 'इंटरस्टेलर स्पेस' की शुरुआत को उस स्थान के रूप में परिभाषित किया है जहाँ सूर्य से आने वाली निरंतर प्रवाह सामग्री तथा चुंबकीय क्षेत्र, इसके आसपास के वातावरण को प्रभावित करते हैं। इसे हेलिओपॉज (Heliopause) भी कहा जाता है।

प्लेनेटरी एंगुलफमेंट (Planetary Engulfment)

  • प्रत्येक ग्रहीय प्रणाली में एक मेजबान या गेस्ट तारा होता है (जैसे- सूर्य सौर मंडल के ग्रहों के लिये मेजबान तारा है)। 
  • मेजबान तारा ‘सफेद बौना’ (White Dwarf) तारा बनने की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता है अत: अपनी स्थिरता के कारण मेजबान तारा ‘इंटरस्टेलर स्पेस’ में मौजूद तारों के वायुमंडल की रासायनिक संरचना में बदलाव ला सकता है। 

बिग बैंग संकल्पना और लिथियम:

  • लिथियम (Lithium- Li) बिग बैंग न्यूक्लियोसिंथेसिस (Big Bang Nucleosynthesis- BBN) से उत्‍पन्‍न तीन मौलिक तत्त्वों में से एक है। अन्‍य दो तत्त्व हाइड्रोजन (H) और हीलियम (He) हैं।

बिग बैंग न्यूक्लियोसिंथेसिस (BBN)

  • यह संकल्पना ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे हुई, इसके बारे में अग्रणी व्याख्या करती है। आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी सर्वमान्य सिद्धांत है। इसे 'विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना' भी कहा जाता है।
  • इस संकल्पना के अनुसार ब्रह्मांड की शुरुआत एक छोटे से एकक परमाणु (Singularity) के साथ हुई थी तथा उसके 13.7 बिलियन वर्षों के बाद हमें आज की ब्रह्मांडीय व्यवस्था देखने को मिलती है।
  • ब्रह्मांड के निर्माण के समय हल्के तत्त्वों की बहुतायत भी इस सिद्धांत को सत्यापित करती है। बिग बैंग के प्रारंभिक मिनटों में हल्के तत्त्वों (जैसे ड्यूटेरियम, हीलियम और लिथियम) का निर्माण हुआ जबकि हीलियम से भारी तत्त्वों का निर्माण बाद के क्रम में हुआ क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भारी तत्त्वों का निर्माण तारों के आंतरिक भागों या कोर में होता  है।
  • सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्मांड का लगभग 25% द्रव्यमान हीलियम से बना है जबकि 0.01% ड्यूटेरियम से तथा इससे भी कम लीथियम से निर्मित है।

स्रोत: PIB

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2