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केन-बेतवा लिंक परियोजना

  • 24 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों द्वारा केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken Betwa Link Project- KBLP) को लागू करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं, जो नदियों को आपस में जोड़ने के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan) की पहली परियोजना है।

  • इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को लागू करने के लिये दोनों राज्यों द्वारा  विश्व जल दिवस (22 मार्च) के अवसर पर केंद्र के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु:

केन-बेतवा लिंक परियोजना (KBLP):

  • केन-बेतवा लिंक परियोजना (Ken-Betwa Link Project- KBLP) नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना है, इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु मध्य प्रदेश की केन नदी के अधिशेष जल को बेतवा नदी में हस्तांतरित करना है।
    • यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के झाँसी, बांदा, ललितपुर और महोबा ज़िलों तथा मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर ज़िलों में फैला हुआ है।
  • इस परियोजना में 77 मीटर लंबा और 2 किमी. चौड़ा दौधन बांँध (Dhaudhan Dam) एवं  230 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण कार्य शामिल है।
  • केन-बेतवा देश की 30 नदियों को जोड़ने हेतु शुरू की गई नदी जोड़ो परियोजनाओं (River Interlinking Projects ) में से एक है।
  • राजनीतिक और पर्यावरणीय मुद्दों के कारण परियोजना में देरी हुई है।

नदियों को जोड़ने का लाभ:

  • सूखे की घटनाओं में कमी लाना: नदियों को आपस में जोड़ने से बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखे की पुनरावृत्ति का समाधान होगा।
  • किसानों को लाभ: इससे किसानों की आत्महत्या की दर पर अंकुश लगेगा और सिंचाई के स्थायी साधन प्रदान करके तथा भूजल पर अत्यधिक निर्भरता को कम करके उनके लिये स्थायी आजीविका सुनिश्चित करेगा।
  • विद्युत उत्पादन: बहुउद्देशीय बांँध के निर्माण से न केवल जल संरक्षण में तेज़ी आएगी, बल्कि 103 मेगावाट जल-विद्युत का उत्पादन भी होगा और 62 लाख लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति की जा सकेगी।
  • जैव विविधता का जीर्णोद्धार: कुछ विचारकों का मानना है कि पन्ना टाइगर रिज़र्व (Panna Tiger Reserve) के जल संकट वाले क्षेत्रों में बांँधों का निर्माण होने से इस रिज़र्व के जंगलों का जीर्णोद्धार होगा जो इस क्षेत्र में जैव विविधता को समृद्ध करेगा।

मुद्दे: 

  • पर्यावरण: कुछ पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण संबंधी चिंताओं जैसे- पन्ना बाघ अभयारण्य के महत्त्वपूर्ण बाघ आवास क्षेत्र का हिस्सा इस परियोजना में आता है, के कारण राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) और अन्य उच्च अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करने में हो रही देरी के कारण यह परियोजना अटकी हुई है।
  • आर्थिक: परियोजना के कार्यान्वयन और रखरखाव के साथ एक बड़ी आर्थिक लागत जुड़ी हुई है, जो परियोजना के कार्यान्वयन में देरी के कारण बढ़ रही है।
  • सामाजिक: परियोजना के कार्यान्वयन से उत्पन्न विस्थापन के कारण पुनर्निर्माण और पुनर्वास के साथ-साथ इसमें सामाजिक लागत भी शामिल होगी।

केन और बेतवा नदी: 

  • केन और बेतवा नदियों का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश में है, ये यमुना की सहायक नदियाँ हैं।
  • केन नदी उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में यमुना नदी में मिलती है तथा बेतवा नदी से यह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले में मिलती है।
  •  राजघाट, पारीछा और माताटीला बाँध  बेतवा नदी पर निर्मित हैं।
  • केन नदी पन्ना बाघ अभयारण्य से होकर गुज़रती है।

नदियों को आपस में जोड़ने हेतु राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना:

  • नेशनल रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट (NRLP) जिसे औपचारिक रूप से ’नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान’ के रूप में जाना जाता है, का उद्देश्य अंतर-बेसिन जल हस्तांतरण परियोजनाओं के माध्यम से जल 'अधिशेष' बेसिन, जहाँ जल की मात्रा अधिक है, से जल की कमी वाले 'बेसिन' में जल का हस्तांतरण करना है, ताकि सूखे आदि की समस्या से निपटा जा सके।
  • राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (National Water Development Agency- NWDA) द्वारा सुसंगत या औचित्यपूर्ण रिपोर्ट ( feasibility reports- FRs) तैयार करने हेतु 30 लिंक्स (प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 16 और हिमालयी क्षेत्र में 14) की पहचान की है।
  • NPP को अगस्त 1980 में जल-अधिशेष बेसिन से जल की कमी वाले बेसिन में जल को स्थानांतरित करने हेतु तैयार किया गया था।

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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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