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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-स्वीडन आभासी शिखर सम्मेलन

  • 08 Mar 2021
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के और स्वीडन के प्रधानमंत्री ने एक आभासी शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों तथा आपसी हित के अन्य क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

  • इस शिखर सम्मेलन ने दोनों देशों को अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर चर्चा करने और महामारी के साथ-साथ आपसी महत्त्व के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों, सतत् विकास, लैंगिक समानता, आतंकवाद और आपदा लचीली अवसंरचना सहित अन्य मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने का अवसर प्रदान किया।

Sweden

प्रमुख बिंदु

शिखर सम्मेलन की हाइलाइट्स:

  • आर्थिक सहयोग:
    • दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत-स्वीडन सहयोगात्मक औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम (India-Sweden Collaborative Industrial Research & Development Programme) के तहत स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटीज़, परिवहन प्रणाली, स्वच्छ प्रौद्योगिकियाँ और डिजिटलाइजेशन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के क्षेत्र में दूसरी बार संयुक्त औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास के निर्णय का स्वागत किया।
    • दोनों देशों द्वारा वर्ष 2021 के दौरान स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान तथा वेस्ट टू वेल्थ यानि अपशिष्ट से धन के विषयवस्तु सहित चक्रीय अर्थव्यवस्था पर द्विपक्षीय अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने की महत्त्वाकांक्षा की पुष्टि की गई।
  • अन्य क्षेत्रों में सहयोग:
    • इस आभासी सम्मेलन के दौरान AIIMS-जोधपुर में भारत-स्वीडन हेल्थ हब के निर्माण का स्वागत किया गया।
    • दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने हाइड्रोजन अनुसंधान और इसके संभावित अनुप्रयोगों (अर्थात् ऊर्जा और अन्य प्रमुख उद्योगों में) के संदर्भ में हुई प्रगति का उल्लेख किया।
  • बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग:
    • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) में शामिल होने के स्वीडन के फैसले का स्वागत किया।
    • स्वीडन ने वर्ष 2021-2022 के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत के आठवें कार्यकाल पर बधाई दी।
    • दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council- UNSC) में तत्काल सुधार के महत्त्व के विचार का समर्थन किया, जिसके तहत UNSC के विस्तार का उद्देश्य न केवल बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता को बनाए रखना है बल्कि मानवता के समक्ष विद्यमान विभिन्न गंभीर चुनौतियों का सामना करना भी है।
    • भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के लिये स्वीडन को समर्थन हेतु धन्यवाद दिया।
    • साथ ही भारत ने यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग संगठन (OSCE) की अध्यक्षता प्राप्त करने को लेकर स्वीडन को बधाई दी।
  • जलवायु कार्रवाई:
    • सम्मेलन के दौरान पेरिस समझौते में अमेरिका के पुन:प्रवेश का स्वागत किया गया, जो कि यूनाइटेड किंगडम के ग्लासगो में आयोजित होने वाली COP26 से पूर्व वैश्विक जलवायु कार्रवाई को नई गति प्रदान करेगा।
    • इस दौरान भारत-स्वीडन संयुक्त पहल- लीडरशिप ग्रुप ऑन इंडस्ट्री ट्रांजिशन- में देशों बढ़ती सदस्यता का उल्लेख किया गया।
      • इसे सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के दौरान न्यूयॉर्क में लॉन्च किया गया था।
    • वैश्विक पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिये आर्कटिक परिषद के सदस्यों के मध्य सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की गई।
  • सुरक्षा
    • गोपनीय सूचना के आदान-प्रदान और पारस्परिक सुरक्षा पर वर्ष 2019 के सामान्य सुरक्षा समझौते को अंतिम रूप देने का स्वागत किया गया, जिससे सभी रक्षा क्षेत्रों में एक व्यापक साझेदारी सक्षम हो सकेगी।
    • भारतीय प्रधानमंत्री ने स्वीडिश रक्षा फर्मों को ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम’ में हिस्सा लेने के लिये आमंत्रित किया (विशेष तौर पर तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश के दो रक्षा उत्पादन गलियारों में निवेश हेतु)।

भारत-स्वीडन संबंध 

  • राजनीतिक संबंध: पहला भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2018 में आयोजित किया गया था।
    • स्वीडन के राजा और रानी ने दिसंबर, 2019 में भारत का शाही दौरा किया था।
  • आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध: वर्तमान में दोनों देशों के बीच लगभग 2 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है। चीन और जापान के बाद, भारत एशिया में स्वीडन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
    • भारत द्वारा स्वीडन में निर्यात की जाने वाली मुख्य वस्तुओं में शामिल हैं- वस्त्र एवं सहायक सामग्री; कपड़े का धागा,धातु निर्माण से संबंधित वस्तु; वाहन; सामान्य औद्योगिक मशीनरी और उपकरण आदि।
    • स्वीडन से भारत में आयात होने वाली मुख्य वस्तुओं में शामिल हैं- कागज़ की लुगदी, वाहन, कागज बोर्ड, सामान्य औद्योगिक मशीनरी और उपकरण आदि।
  • यूरोपीय संघ का सदस्य होने के नाते, स्वीडन यूरोपीय संघ (EU) और यूरोपीय संघ के देशों के साथ भारत की साझेदारी को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • दोनों देशों के बीच निकट संबंध लोकतांत्रित मूल्यों, कानून के शासन, बहुलवाद, समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को और मज़बूत करेंगे।

प्रथम भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन

  • यह अप्रैल, 2018 में आयोजित किया गया था।
  • इसका उद्देश्य भारत और पाँच नॉर्डिक देशों- स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, आइसलैंड और डेनमार्क के बीच सहयोग को और अधिक मज़बूत करना था।
  • भारत के लिये नॉर्डिक का महत्त्व
    • सुरक्षा, आर्थिक विकास और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख मुद्दों पर वार्ता।
    • भारत सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और शिक्षाविदों के बीच एक मज़बूत सहयोग के माध्यम से नवाचार के लिये नॉर्डिक दृष्टिकोण को अपना सकता है।
    • स्वच्छ प्रौद्योगिकी, समुद्री समाधान, बंदरगाह आधुनिकीकरण, खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य, जीवविज्ञान और कृषि जैसे क्षेत्रों में, नॉर्डिक समाधान उपयोगी हो सकते हैं।

लीडरशिप ग्रुप ऑन इंडस्ट्री ट्रांजिशन

  • लीडरशिप ग्रुप ऑन इंडस्ट्री ट्रांजिशन (LeadIT) उन देशों और कंपनियों का एक समूह है, जो पेरिस समझौते को प्राप्त करने हेतु कार्रवाई के लिये प्रतिबद्ध हैं।
  • इसे सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में स्वीडन और भारत द्वारा लॉन्च किया गया था और यह विश्व आर्थिक मंच द्वारा समर्थित है।
  • इस समूह के सदस्य इस धारणा का समर्थन करते हैं कि वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करने के उद्देश्य से, ऊर्जा-गहन उद्योग निम्न कार्बन लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में प्रगति कर सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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