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भारत में जनसंख्या स्थिरता: NFHS-5

  • 23 Dec 2020
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के हालिया आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि कुल प्रजनन दर (TFR) में गिरावट के कारण भारत की जनसंख्या में स्थिरता आ रही है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2005 और वर्ष 2016 के बीच आयोजित NFHS-3 और NFHS-4 के दौरान देश भर के 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में से 12 में आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों (गर्भनिरोधक गोलियाँ, कंडोम, अंतर्गर्भाशयी उपकरण) के उपयोग में गिरावट देखी गई थी।
    • हालाँकि NFHS-5 में इस स्थिति में सुधार हुआ है और कुल 12 में से 11 राज्यों में आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों के प्रयोग में बढ़ोतरी हुई है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5

  • कुल प्रजनन दर (TFR): किसी एक विशिष्ट वर्ष में प्रजनन दर का अभिप्राय प्रजनन आयु (जो कि आमतौर पर 15 से 49 वर्ष की मानी जाती है) के दौरान एक महिला से जन्म लेने वाले अनुमानित बच्चों की औसत संख्या को दर्शाता है।
    • पिछले आधे दशक की समयावधि में अधिकांश भारतीय राज्यों में TFR में गिरावट दर्ज की गई है, विशेषकर शहरी महिलाओं में। इसका अर्थ है कि भारत की जनसंख्या में स्थिरता आ रही है।
    • सिक्किम में सबसे कम TFR (औसतन 1.1) दर्ज किया गया, जबकि बिहार में प्रति महिला औसत TFR 3 दर्ज किया गया।
    • सर्वेक्षण में शामिल 22 राज्यों में से 19 राज्यों में कुल प्रजनन दर (TFR) को प्रतिस्थापन स्तर से कम पाया गया।
      • प्रतिस्थापन स्तर का अभिप्राय उस कुल प्रजनन दर से होता है, जिस पर एक पीढ़ी बिना पलायन के स्वयं को दूसरी पीढ़ी के साथ प्रतिस्थापित कर लेती है अर्थात् हम कह सकते हैं कि इस अवस्था में मरने वाले लोगों का स्थान भरने के लिये उतने ही बच्चे पैदा हो जाते हैं।
      • यह स्तर अधिकतर देशों में प्रति महिला लगभग 2.1 है, हालाँकि यह मृत्यु दर में परिवर्तन के साथ कुछ अलग हो सकता है।
  • गर्भ निरोधक का उपयोग
    • समग्र तौर पर भारत के अधिकांश राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में गर्भनिरोधक प्रचलन दर (CPR) में बढ़ोतरी देखी गई है, और यह दर हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक है।

निहितार्थ

  • इन आँकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि भारत के अधिकांश राज्यों में कुल प्रजनन दर (TFR) प्रतिस्थापन स्तर पर पहुँच गई है। 
  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आधुनिक गर्भ निरोधकों के उपयोग में वृद्धि को इंगित करता है, साथ ही एक महिला से जन्म लेने वाले औसत बच्चों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की जा रही है।

जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित उपाय

  • प्रधानमंत्री की अपील: वर्ष 2019 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देश से अपील करते हुए जनसंख्या नियंत्रण को देशभक्ति के एक रूप के तौर पर प्रस्तुत किया था।
  • मिशन परिवार विकास: केंद्र सरकार ने 7 उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों के 146 ज़िलों (जिनमें कुल प्रजनन दर 3 से अधिक है) में गर्भ निरोधकों और परिवार नियोजन सेवाओं की पहुँच को लगातार बढ़ाने के लिये वर्ष 2017 में मिशन परिवार विकास की शुरुआत की थी।
  • राष्ट्रीय परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना (NFPIS): इस योजना को वर्ष 2015 में लॉन्च किया गया था और इसके तहत लाभार्थियों की मृत्यु और नसबंदी की विफलता की स्थिति में बीमा प्रदान किया जाता है।
  • नसबंदी करने वालों के लिये मुआवज़ा योजना: योजना के तहत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2014 से नसबंदी कराने वाले लाभार्थियों की मज़दूरी के नुकसान की भरपाई की जाती है।

अंतर्विरोध

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आँकड़ों से यह सिद्ध होता है कि देश की जनसंख्या में स्थिरता आ रही है, जबकि सरकार द्वारा ‘जनसंख्या विस्फोट’ के मद्देनज़र सरकार लोगों से जनसंख्या कम करने की अपील कर रही है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण

  • यह पूरे देश भर में व्यापक पैमाने पर आयोजित किया जाने वाला एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण है, जिसे कई राउंड्स में पूरा किया जाता है।
    • सर्वेक्षण का पहला चरण 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के आँकड़े प्रदर्शित करता है, जबकि शेष 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (चरण- II) में कार्य प्रगति पर है।
  • इसका आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रबंधन में किया जाता है, जहाँ मुंबई स्थित अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है।

आगे की राह

  • भारत की जनसंख्या पहले ही 125 करोड़ के आँकड़े को पार कर चुकी है और उम्मीद है कि आने वाले कुछ दशकों में भारत, विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन को भी पीछे छोड़ देगा।
  • कई जानकारों का मानना है कि बच्चों की संख्या पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित कोई भी नीति भारत के तकनीकी क्रांति को आगे बढ़ाने के लिये आवश्यक शिक्षित युवाओं की कमी की संख्या को और भी गंभीर कर देगा।
    • ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ के कारण चीन के समक्ष मौजूद समस्याएँ (जैसे- लैंगिक असंतुलन) भारत के सक्षम भी उत्पन्न हो सकती हैं।
  • NFHS-5 के आधार पर मौजूदा कार्यक्रमों को मज़बूत करने और नीतिगत हस्तक्षेप के लिये नई रणनीतियों को विकसित किया जा सकता है।
  • नीति निर्माताओं को हालिया NFHS-5 आँकड़ों के आधार पर वर्तमान नीतियों और कार्यक्रमों में आवश्यक परिवर्तन करना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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