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बिजली-अधिशेष राष्ट्र बनने से चूका भारत

  • 20 Apr 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारत एक बार फिर बहुत ही कम अंतर से बिजली-अधिशेष राष्ट्र (Power Surplus Nation) बनने से चूक गया।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2018-19 में पीक पॉवर डेफिसिट (Peak Power Deficit) 0.8 फीसदी और कुल ऊर्जा घाटा 0.6 फीसदी रहने के कारण भारत ने बिजली-अधिशेष राष्ट्र बनने का मौका गँवा दिया।
  • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority- CEA)) ने 2018-19 के लिये अपनी ‘लोड जेनरेशन बैलेंसिंग रिपोर्ट’ (Load Generation Balancing Report- LGBR) में क्रमशः कुल ऊर्जा और पीक पॉवर के आँकड़ों में 4.6 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना व्यक्त की थी। इससे यह संकेत मिल रहा था कि इस वित्तीय वर्ष में भारत एक बिजली-अधिशेष देश होगा।
  • CEA ने वर्ष 2017 में भी अपने ‘लोड जेनरेशन बैलेंसिंग रिपोर्ट’ में अनुमान लगाया था कि भारत 2017-18 में एक शक्ति-अधिशेष राष्ट्र बन जाएगा।
  • लेकिन 2017-18 में भी पीक पॉवर डेफिसिट 2.1 प्रतिशत और पूरे देश में कुल बिजली घाटा 0.7 प्रतिशत था।
  • CEA के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, 2018-19 में पीक आवर्स के दौरान 177.02 गीगावॉट मांग के मुकाबले 175.52 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) की आपूर्ति की गई थी जिस कारण 1.49 गीगावॉट या 0.8 प्रतिशत की कमी रह गई।
  • आँकड़ों से पता चलता है कि 2018-19 के दौरान 1,274.56 बिलियन यूनिट्स (बीयू) की मांग के मुकाबले 1,267.29 बिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति की गई, जिससे 7.35 बिलियन यूनिट या 0.6 प्रतिशत की कुल बिजली या ऊर्जा की कमी हुई।
  • मार्च में 108.66 बीयू की मांग के मुकाबले 108.19 बीयू बिजली की आपूर्ति की गई थी। अत: मार्च 2019 के दौरान कुल ऊर्जा घाटा 0.4 प्रतिशत था।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति बिजली खरीदने में डिस्कॉम के अक्षम नहीं होने के कारण है। इस साल जनवरी तक उनका कुल बकाया 40,698 करोड़ रुपए था
  • भारत एक शक्ति-अधिशेष राज्य हो सकता है क्योंकि इसकी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता लगभग 177 गीगावॉट की मांग के मुकाबले 356 गीगावॉट है
  • बिजली उत्पादन को दोगुना किया जा सकता है बशर्ते वितरण कंपनियाँ (डिस्कॉम) अपने बकाए का भुगतान शीघ्र करें।

पीक पॉवर डेफिसिट (Peak Power Deficit)

  • पीक डिमांड, पीक लोड या ऑन-पीक ऊर्जा क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली शब्दावलियाँ हैं।
  • यह एक ऐसी अवधि को दर्शाती है जिसमें औसत आपूर्ति स्तर की तुलना में अधिक एवं निरंतर बिजली प्रदान करने की उम्मीद की जाती है।
  • इसी अवधि में उर्जा मांग की तुलना में उर्जा आपूर्ति की कमी पीक पॉवर डेफिसिट कहलाती है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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