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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत बॉण्ड ETF

  • 06 Dec 2019
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत बॉण्ड ETF, कॉर्पोरेट बॉण्ड की विशेषताएँ

मेन्स के लिये:

भारत बॉण्ड ETF का का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, CPSEs, CPSUs ,CPFIs तथा अन्य सरकारी संगठनों के लिये पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर ETF कितना प्रभावी है?

चर्चा में क्यों

4 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने भारत बॉण्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) को बनाने और लॉन्च करने की योजना को मंज़ूरी दे दी है।

ETF Bonds

प्रमुख बिंदु

  • भारत बॉण्ड ETF देश का पहला कॉर्पोरेट बॉण्ड ETF होगा।
  • इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) और उपक्रमों (CPSUs), केंद्रीय सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों (CPFIs) तथा अन्य सरकारी संगठनों के लिये पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर लाया गया है।

भारत बॉण्ड ETF की विशेषताएं:

  • ETF CPSE/CPSU/CPFI और अन्य सरकारी संगठनों के बॉण्ड (शुरुआत में सभी AAA- रेटेड बॉण्ड ) के बॉण्डस की बास्केट होगा।
    • विनिमय पर व्यापार योग्य।
    • 1,000 रुपये की छोटी ईकाई।
    • पारदर्शी एनएवी (दिनभर एनएवी का सामयिक लाइव)।
    • पारदर्शी पोर्टफोलियो (वेबसाइट पर रोजाना प्रकाशन)।
    • कम लागत (0.0005%)।

भारत बॉण्ड ETF का ढांचाः

  • प्रारंभ में भारत बॉण्ड ETF को दो परिपक्वता अवधियों- 3 वर्ष और 10 वर्ष के लिये ज़ारी किया जाएगा।
  • CPSEs और अन्य सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं द्वारा ज़ारी किये जाने के कारण सुरक्षित, विनिमय और व्यापार योग्य होने की वजह से ये बॉण्ड तरल और सुनिश्चित कर लाभ की सुविधा के कारण निवेश का बेहतर विकल्प सिद्ध होंगे।
  • बॉण्ड यूनिट का मात्र 1,000 रुपए का आकार भारत में बॉण्ड बाज़ार को सुदृढ़ करने में सहायक होगा। यह बॉण्ड बाज़ारों में भाग नहीं लेने वाले निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।

लाभ

  • बॉण्ड जारीकर्त्ताओं को ETF से CPSE/CPSU/CPFI और अन्य सरकारी संगठनों को बैंक वित्तपोषण के अलावा उनकी ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने का एक अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध होगा।
  • यह इन संस्थाओं के खुदरा और व्यक्तिगत रूप से उच्च संपति वाले निवेशकों की भागीदारी के माध्यम से उनके निवेशक आधार का विस्तार करेगा, जिससे उनके बॉण्ड की मांग में वृद्धि हो सकती है। इससे सरकारी संगठनों के लिये ऋण लेने की लागत में कमी आएगी।

स्रोत- द हिंदू

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