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भारतीय अर्थव्यवस्था

रिज़र्व बैंक के लघु वित्तीय बैंक संबंधी दिशा निर्देश

  • 06 Dec 2019
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

RBI, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक

मेन्स के लिये:

बैंकिंग विनियमन संबधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने लघु वित्त बैंकों के लिये नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

RBI

प्रमुख बिंदु:

  • रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लघु वित्त बैंकों (Small Finance Bank-SFB) के लिये ‘कभी भी’ (ऑन टैप बेसिस) लाइसेंस हेतु आवेदन करने की सुविधा पर दिशा-निर्देश जारी किये है।
  • इसके तहत न्यूनतम आवश्यक पूंजी को बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
  • रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंक जो कि ऐच्छिक रूप से लघु वित्त बैंक में परिवर्तित होना चाहते हैं, उनके लिये आवश्यक पूंजी की सीमा 100 करोड़ रुपए निर्धारित की है।
    • उल्लेखनीय है कि ऐसे निकायों को परिचालन आरंभ होने के अगले 5 वर्षों में अपने निवल मूल्य को बढाकर 200 करोड़ रुपए करना होगा।
  • निर्देश के अनुसार, लघु वित्त बैंकों को कारोबार शुरू करते ही अनुसूचित बैंक का दर्जा दिया जाएगा और इन्हें बैंकिंग आउटलेट्स खोलने की सामान्य अनुमति प्राप्त होगी।
  • लघु वित्त बैंक के प्रवर्तकों को परिचालन शुरू होने के बाद से अगले 5 वर्षों तक बैंक की भुगतान योग्य इक्विटी पूंजी का न्यूनतम 40 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखना होगा।
  • दिशा-निर्देश के अंतर्गत 5 वर्षों तक सफलतापूर्वक परिचालन करने वाले भुगतान बैंकों को ही लघु वित्त बैंक के लाइसेंस योग्य माना गया है।
  • लघु वित्त बैंकों द्वारा 500 करोड़ के निवल मूल्य का लक्ष्य प्राप्त करने के 3 वर्षों के भीतर स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होना अनिवार्य है।
  • बैंकिंग तथा वित्त क्षेत्र में वरिष्ठ स्तर पर कम-से-कम 10 साल का अनुभव रखने वाले नागरिकों/पेशेवरों को भी लघु वित्त बैंक खोलने की पात्रता दे दी गई है।
  • किसी भारतीय नागरिक के स्वामित्त्व वाली निजी क्षेत्र की ऐसी कंपनी या सोसायटी जिसने कम-से-कम पाँच सफलतापूर्वक परिचालन किया है, भी लघु वित्त बैंक की प्रवर्तक बन सकती हैं।

भुगतान बैंक:

  • रिज़र्व बैंक ने वर्ष 2014 में नाचिकेत मोर समिति की सिफारिश पर भुगतान बैंकों से संबंधित दिशा-निर्देश जारी किये।
  • भुगतान बैंकों का मुख्य उद्देश्य वित्‍तीय समावेशन को बढ़ावा देना, लघु बचत खाते उपलब्‍ध कराना, प्रवासी श्रमिक वर्ग, निम्‍न आय अर्जित करने वाले परिवारों, लघु कारोबारों, असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वालों को भुगतान/विप्रेषण सेवाएँ प्रदान करना है।
  • भुगतान बैंक मांग जमा राशियों को स्‍वीकार कर सकता है तथा प्रारंभ में भुगतान बैंक प्रति व्‍यक्तिगत ग्राहक की अधिकतम 100,000 रुपए की शेष राशि रख सकता है।
  • एटीएम/डेबिट कार्ड जारी कर सकता है लेकिन क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकता।

स्रोत- द हिंदू

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