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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कृषि पर भारत-यूरोपीय संघ की बैठक

  • 08 Jul 2021
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नैनो-यूरिया,  जैविक खेती

मेन्स के लिये:

भारत-यूरोपीय संघ के मध्य संबंध, सतत् कृषि विकास हेतु यूरोपीय संघ की विभिन्न पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और यूरोपीय आयोग (European Commission) के कृषि सदस्य के बीच एक आभासी बैठक आयोजित की गई।

  • इस बैठक के दौरान जुलाई 2020 में आयोजित भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के बाद से भारत-यूरोपीय संघ (EU) के संबंधों में आई मज़बूती को रेखांकित किया गया।
  • इससे पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक में हिस्सा लिया था।

European-Union

प्रमुख बिंदु

बैठक संबंधी मुख्य बिंदु

  • यूरोपीय यूनियन कॉमन एग्रीकल्चरल पाॅॅलिसी (CAP):
    • वर्ष 1962 में लॉन्च की गई यह नीति कृषि एवं समाज तथा यूरोप तथा उसके किसानों के बीच एक साझेदारी के रूप में कार्य करती है।
    • यह यूरोपीय संघ के सभी देशों के लिये एक समान नीति है और इसे यूरोपीय संघ के बजटीय प्रावधानों के माध्यम से यूरोपीय स्तर पर प्रबंधित और वित्त पोषित किया जाता है।
    • इसका उद्देश्य किसानों का समर्थन करना, कृषि उत्पादकता में सुधार करना, किफायती भोजन की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करना, यूरोपीय संघ के किसानों की सुरक्षा करना, जलवायु परिवर्तन से निपटना और प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी प्रबंधन आदि सुनिश्चित करना है।
  • यूरोपीय संघ ‘फार्म टू फोर्क’ रणनीति:
    • यह रणनीति ‘यूरोपीय ग्रीन डील’ का एक प्रमुख हिस्सा है और इसका उद्देश्य खाद्य प्रणालियों को निष्पक्ष, स्वस्थ एवं पर्यावरण के अनुकूल बनाना है। साथ ही यह स्थायी एवं सतत् खाद्य प्रणाली में ट्रांज़िशन में तेज़ी लाने की दिशा में भी कार्य करता है।
    • यूरोपीय संघ द्वारा ‘कॉमन एग्रीकल्चरल पाॅॅलिसी’ (CAP) के साथ-साथ ‘फार्म टू फोर्क’ रणनीति में सुधार किया गया है, ताकि कृषि को अधिक स्थायी और सतत् बनाया जा सके।
    • यूरोपीय संघ ने वर्ष 2030 तक यूरोपीय संघ के 25 प्रतिशत क्षेत्र को जैविक कृषि के तहत लाने का भी लक्ष्य रखा है।

Farm-to-fark

  • G20 कृषि मंत्रियों की बैठक 2021:
    • यह ‘G20 लीडर्स समिट 2021’ के हिस्से के रूप में आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठकों में से एक है, जिसकी मेज़बानी अक्तूबर 2021 में इटली द्वारा की जाएगी।
    • यह मुख्यतः तीन व्यापक एवं परस्पर संबद्ध स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करेगी- आम लोग, पृथ्वी और समृद्धि।
    • भारत और यूरोपीय संघ दोनों द्वारा इस शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय सहयोग की उम्मीद की जा रही है।
  • संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन 2021
    • संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव ने सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा के दृष्टिकोण को साकार करने और दुनिया में कृषि-खाद्य प्रणालियों में सकारात्मक बदलाव हेतु रणनीति विकसित करने के लिये पहले संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन के आयोजन का आह्वान किया है, जिसे सितंबर 2021 में आयोजित किया जाएगा।
    • यूरोपीय संघ और भारत इस सम्मेलन के दौरान भी अपने सहयोग को मज़बूत करने का प्रयास करेंगे।

भारत का रुख: 

  • छोटे किसानों का दबदबा:
    • इसके 70% ग्रामीण परिवार अभी भी अपनी आजीविका हेतु मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं, 82% किसान छोटे और सीमांत हैं।
  • किसानों की आय बढ़ाने हेतु हाल में किये गए प्रयासों पर चर्चा :
    • ग्रामीण क्षेत्रों में फार्म गेट (Farm Gate) और कृषि विपणन बुनियादी ढाँचे (Agriculture Marketing Infrastructure) के विकास के लिये एक लाख करोड़ रुपए के कोष के साथ कृषि अवसंरचना कोष की स्थापना।
    • कृषि उपज के विपणन में छोटे और सीमांत किसानों की सहायता हेतु 10000 किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Produce Organizations (FPOs) के गठन की योजना।
  • कृषि को टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल बनाने हेतु पहलों पर चर्चा:
  • ट्राईसाइक्लाज़ोल की अधिकतम अवशिष्ट सीमा (MRL):
    • चावल की फसल में इस्तेमाल होने वाले ट्राईसाइक्लाज़ोल की अधिकतम अवशिष्ट सीमा ( Maximum Residual Limit- MRL) तय करने का मुद्दा उठाया गया जो भारत के लिये  चिंता का विषय रहा है और यूरोपीय संघ को होने वाले भारत के बासमती चावल के निर्यात को प्रभावित कर रहा है।
      • MRL अच्छी कृषि पद्धतियों (Good Agricultural Practices- GAP) के अनुसार, कीटनाशकों के उपयोग के परिणामस्वरूप फसल या खाद्य वस्तुओं पर कीटनाशक हेतु  अधिकतम सांद्रता है, जिसे पीपीएम (ppm) में व्यक्त किया जाता है।
      • ट्राईसाइक्लाज़ोल (Tricyclazole) एक कवकनाशी है जिसका उपयोग राइस ब्लास्ट (Rice Blast) को  नियंत्रण करने हेतु किया जाता है लेकिन इसे यूरोपीय संघ में उपयोग के लिये अनुमोदित नहीं किया गया है।

यूरोपीय आयोग

यूरोपीय आयोग के विषय में:

  • यह यूरोपीय संघ (European Union) का एक कार्यकारी निकाय है। यह विधायी प्रक्रियाओं के प्रति उत्तरदायी  है। यह विधानों को प्रस्तावित करने, निर्णयों को लागू करने, यूरोपीय संघ की संधियों को बरकरार रखने और यूरोपीय संघ के दिन-प्रतिदिन के कार्यों के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार है।
    • यूरोपीय संघ 27 देशों का एक समूह है जो एक समेकित आर्थिक और राजनीतिक ब्लॉक के रूप में कार्य करता है।
  • इस आयोग को महानिदेशालय (Directorates General) के रूप में विभाजित किया गया है, जिसकी तुलना एक महानिदेशक के नेतृत्व वाले विभागों या मंत्रालयों से की जा सकती है।

संरचना:

  • आयोग 28 सदस्य देशों के साथ एक कैबिनेट सरकार के रूप में कार्य करता है। प्रति सदस्य देश से एक सदस्य आयोग में शामिल होता है। इन सदस्यों का प्रस्ताव सदस्य देशों द्वारा ही दिया जाता है जिसे यूरोपीय संसद द्वारा अंतिम स्वीकृति दी जाती है। 
  • 28 सदस्य देशों में से एक को यूरोपीय परिषद द्वारा अध्यक्ष पद हेतु प्रस्तावित और यूरोपीय संसद द्वारा निर्वाचित किया जाता है। 

आगे की राह 

  • भारत सुरक्षा नज़रिये से नहीं तो भू-आर्थिक रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संलग्न होने के लिये यूरोपीय संघ के देशों को प्रोत्साहित कर सकता है।
    • यह क्षेत्रीय बुनियादी ढाँचे के सतत् विकास के लिये बड़े पैमाने पर आर्थिक संसाधन जुटा सकता है, राजनीतिक प्रभाव को नियंत्रित कर सकता है और भारत-प्रशांत वार्ता को आकार देने हेतु अपनी महत्त्वपूर्ण सॉफ्ट पावर का लाभ उठा सकता है।
  • भारत और यूरोपीय संघ एक मुक्त व्यापार सौदे पर बातचीत कर रहे हैं, जो कि वर्ष 2007 से लंबित है।
    • अतः भारत और यूरोपीय संघ के बीच घनिष्ठ भागीदारी के लिये दोनों को व्यापार समझौते को जल्द-से-जल्द अंतिम रूप देना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी.

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