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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन

  • 10 Jun 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मालाबार नौसैनिक अभ्यास, व्यापक रणनीतिक साझेदारी 

मेन्स के लिये:

 भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंध, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और भारत 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में  भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों के बीच पहले वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में दोनों देशों के बीच ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ (Comprehensive Strategic Partnership) के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 जून, 2020 को एक वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
  • इस अवसर पर दोनों देशों की तरफ से ‘हिंद-प्रशांत समुद्री सहयोग के लिये साझा दृष्टिकोण’ (Shared Vision for Maritime Cooperation in the Indo-Pacific) नामक एक संयुक्त दस्तावेज़ जारी किया गया।

  • इस सम्मेलन में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
  • साथ ही दोनों देशों के बीच प्रधानमंत्री स्तर की बैठकों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की गई।

समझौते:  

  • ‘म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट’ (Mutual Logistics Support Agreement- MLSA):
    • इस शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सैन्य अभ्यास और साझा गतिविधियों में वृद्धि के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में सहयोग को व्यापक तथा मज़बूत बनाने पर सहमति व्यक्त की। 

    • इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों की सेनाएँ एक दूसरे के सैन्य अड्डों का परस्पर प्रयोग कर सकेंगी।

    • इससे पहले भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ वर्ष 2016 में ऐसे ही एक समझौते 'लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट' (Logistics Exchange Memorandum of Agreement- LEMOA) पर हस्ताक्षर कर चुका है।

    • साथ ही भारत द्वारा कुछ अन्य देशों फ्राँस, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के बीच ऐसे ही समझौते पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं। 
  • व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership- CSP):
    • इस सम्मेलन में दोनों देशों के बीच वर्ष 2009 की द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में स्थापित किया गया है। 
    • इसके तहत दोनों देशों द्वारा ‘2+2 वार्ताओं’ को सचिव स्तर से आगे ले जाते हुए मंत्री स्तर तक बढ़ाया गया है।
    • इसके बाद अब दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा मंत्री कम-से-कम हर दूसरे वर्ष मिलकर रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
      • वर्तमान में भारत और क्वाड के अन्य दो सदस्यों (USA और जापान) के साथ पहले से ही मंत्रिस्तरीय 2+2 वार्ता की व्यवस्था लागू है।
    • भारत ने अब तक यूनाइटेड किंगडम, इंडोनेशिया, वियतनाम और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ CSP समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया तीन देशों चीन, इंडोनेशिया और सिंगापुर के साथ CSP समझौते का हिस्सा है। 
  • ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष: 
    • दोनों पक्षों ने COVID-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने और अन्य साझा प्राथमिकताओं पर भी कार्य करने के लिये ‘ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक अनुसंधान कोष’ (Australia-India Strategic Research Fund- AISRF) के तहत सहयोग बढ़ाने पर बल दिया।
      • AISRF की स्थापना वर्ष 2006 में की गई थी, यह कोष भारत और ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों को महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान कार्यों पर सहयोग हेतु सहायता प्रदान करता है।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग: 
    • इस सम्मेलन में दोनों पक्षों के बीच ‘साइबर और साइबर-सक्षम महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी सहयोग पर रूपरेखा व्यवस्था’ (Framework Arrangement on Cyber and Cyber-enabled Critical Technology Cooperation) समझौते के तहत डिजिटल अर्थव्यवस्था, साइबर सुरक्षा और अन्य महत्त्वपूर्ण एवं नवीन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने पर सहमति व्यक्त की।
  • महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिजों का खनन और प्रसंस्करण:   
    • दोनों पक्षों के बीच महत्त्वपूर्ण और सामरिक खनिजों के खनन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। 
    • इस समझौते के तहत दोनों देशों ने खनिजों के अन्वेषण और निष्कर्षण के लिये आवश्यक नवीन तकनीकों के क्षेत्र में सहयोग करने की सहमति व्यक्त की है। 
  • कृषि क्षेत्र में सहयोग:
    • इस सम्मेलन में दोनों पक्षों ने भारत और ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्त्व को स्वीकार किया।
    • दोनों पक्षों ने फसलों की कटाई के बाद होने वाले नुकसान और कृषि लागत को कम करने के लिये अनाज के प्रबंधन जैसे मुद्दों पर संयुक्त कार्यवाही करने की बात कही।
    • साथ ही इस सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों के बीच ‘जल संसाधन प्रबंधन पर एक समझौता ज्ञापन’ (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किया गया।
  • व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता:     
    • इस सम्मेलन के दौरान दोनों देशों ने वर्ष 2015 से स्थगित भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (Comprehensive Economic Cooperation Agreement- CECA) पर वार्ता को पुनः शुरू किये जाने पर सहमति व्यक्त की।

अन्य समझौते: 

  • लोक प्रशासन और शासन सुधार के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर।
  • व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर।

द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लाभ:

  • COVID-19 महामारी के दौरान भी भारत और ऑस्ट्रेलिया द्वारा द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन को विलंबित न करने का निर्णय दोनों देशों के मज़बूत संबंधों और परस्पर सहयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • रक्षा क्षेत्र में हुए महत्त्वपूर्ण समझौते न सिर्फ दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग में वृद्धि करेंगे बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में दोनों पक्षों की समान विचारधारा को भी मज़बूती प्रदान करेगा जिससे इस क्षेत्र में चीन की आक्रामकता को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।
  • खनिज पदार्थों से जुड़े समझौते के माध्यम से भारत को ऑस्ट्रेलिया से दुर्लभ मृदा धातुओं (Rare Earth Metals) की आपूर्ति संभव हो सकेगी।
  • हालाँकि इस सम्मेलन में हाल के दिनों में चीन की बढ़ती आक्रामकता और ‘मालाबार नौसैनिक अभ्यास’ में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने पर कोई चर्चा नहीं की गई।

आगे की राह:

  • इस सम्मेलन के दौरान भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा क्षेत्र में हुआ समझौता दोनों देशों के 'एक खुले, स्वतंत्र, समावेशी और क़ानून आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र’ की विचारधारा को मज़बूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • वर्तमान में दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों की मज़बूती का लाभ उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया से आने वाले निवेश में वृद्धि किये जाने का प्रयास किया जाना चाहिये।    

स्रोत: द हिंदू

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