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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा

  • 09 Apr 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

2 अप्रैल को 8.5 टन वज़नी चीनी अंतरिक्ष स्टेशन तियांगोंग-1 अपनी कक्षा से बाहर हो गया और ताहिती के उत्तर-पश्चिम दिशा में दक्षिण प्रशांत महासागर में गिरकर नष्ट हो गया था। इस घटना के कारण तियांगोंग के पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों पर गिरने की अटकलों पर तो विराम लग गया किंतु अंतरिक्ष कचरे पर बहस को फिर से चर्चा में ला दिया है।

क्या है अंतरिक्ष कचरा?

  • पृथ्वी की कक्षा में भेजे जाने वाले कई मानव-निर्मित उपग्रह वहीं नष्ट हो जाते हैं और छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में  पृथ्वी की कक्षाओं में घूमते रहते हैं।
  • नासा द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, यह मलबा पृथ्वी के चारों ओर काफी तेज़ रफ़्तार से घूम रहा  हैं। इसमें मृत स्पेस क्राफ्ट, रॉकेट, उपग्रह प्रक्षेपण यानों के अवशेष, मिसाइल शार्पनेल व अन्य निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अवशेष शामिल हैं।

समस्या

  • अंतरिक्ष में बिखरा यह कचरा सिर्फ उपग्रहों की कक्षा में ही नहीं, बल्कि हमारे वायुमंडल के लिये भी काफी खतरनाक हो सकता है।  यदि कोई बड़ा टुकड़ा पूरी तरह नष्ट हुए बिना हमारे वायुमंडल में प्रवेश कर जाए तो विनाशक प्रभाव पैदा कर सकता है।
  • यह मलबा अंतरिक्ष में आण्विक अभिक्रिया के माध्यम से संचार व्यवस्था को भी बाधित करने में सक्षम हैं।
  • इसके अतिरिक्त यह मलबा उपग्रहों द्वारा प्रदत्त सेवाओं एवं उनके प्रक्षेपण को प्रभावित कर सकता हैं।
  • वर्तमान में अंतरिक्ष में मृत, कृत्रिम रूप से निर्मित वस्तुओं की 7,500 टन अनुमानित मात्रा मौजूद है।
  • अंतरिक्ष कचरे की गति लगभग 28,000 किमी. प्रति घंटा होती है जो कि किसी अंतरिक्ष यान को नष्ट करने के लिये काफी है।

क्या है TIANGONG-1?

  • TIANGONG-1 को सितंबर 2011 में लॉन्च किया गया था। इसे अंग्रेज़ी में ‘हैवेनली प्लेसेज़’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
  • यह चीन का पहला प्रोटोटाइप स्पेस लैब प्रोजेक्ट था। इसे पृथ्वी की कक्षा से तकरीबन 350 किलोमीटर ऊपर स्थापित किया गया था।
  • TIANGONG-1 एक तरह की रिसर्च लेबोरेटरी है जहाँ पर चीन अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजता था।
  • चीन ने इसका स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिये इस्तेमाल किया था। 
  • इस लैब को पहले दो साल की अवधि के लिये शुरू किया गया था, बाद में इसकी समय-सीमा को बढ़ा दिया गया।
  • इस दौरान इसके ज़रिये कई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्पेस-अर्थ रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष वातावरण संबंधी परीक्षण किये गए।
  • जून 2012 में चीन ने अपना Shenzhou 9 मिशन भी TIANGONG-1 पर ही भेजा था। इस मिशन पर पहली बार एक चीनी महिला अंतरिक्ष यात्री ‘लियू यांग’ को भेजा गया था। इस मिशन में दो अन्य अंतरिक्ष यात्री ‘जिंग हेईपेंग’ और ‘लि यू वैंग’ भी शामिल थे।
  • इसके बाद Shenzhou 10 को TIANGONG-1 पर भेजा गया। 
  • 2016 में चीन ने इस स्टेशन पर अपना नियंत्रण खो दिया था। नियंत्रण खोने के बाद चीन ने यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑफ़ आउटर स्पेस और इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रीस को-आर्डिनेशन कमिटी जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय कंसोर्टियम है (जिसका ISRO भी सदस्य है), को सूचित कर दिया था।
  • इन्होंने तियांगोंग के पृथ्वी पर गिरने तक इसको ट्रैक किया था हालाँकि इसके समुद्र में गिरने तक इसके अधिकांश भाग जलकर नष्ट हो चुके थे। 
  • Tiangong-2 प्रयोगशाला अभी भी परिचालन में है। इसे तभी लॉन्च कर दिया गया था जब चीन ने TIANGONG-1 पर नियंत्रण खो दिया था। 

ISRO और अंतरिक्ष कचरा

  • 3 अप्रैल को PSLV-C19 लॉन्च व्हीकल का चौथा चरण (इसने 2012 में रडार इमेजिंग सैटेलाइट RISAT-1 को लॉन्च किया था) मध्य अटलांटिक सागर के ऊपर जल कर नष्ट हो गया था।
  • इसरो ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों (Reusable Launch Vehicles) को विकसित करने की योजना बनाई है।
  • इसके तहत ISRO ने 2007 में एक अंतरिक्ष कैप्सूल रिकवरी प्रयोग और 2016 में टेक्नोलॉजी डेमन्स्ट्रेटर (RLV-TD) परीक्षण किया था।
  • दक्षिणी प्रशांत महासागर में किसी भी उपयुक्त तट से 1,500 वर्ग किमी. दूर तक के क्षेत्र में अब तक 260 से भी अधिक उपग्रह नीचे आ चुके है।

समाधान 

  • निष्क्रिय करना (Passivation) : एक अंतरिक्ष यान के Passivation का अर्थ है कि किसी मिशन के अथवा उपयोगिता के अंत में स्पेसक्राफ्ट में निहित किसी भी आंतरिक ऊर्जा स्रोत को हटा देना।
  • Design for Demise : स्पेसक्राफ्ट की ऐसी सामग्री के साथ डिज़ाइनिंग जो वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने पर जल जाता है।
  • डिओर्बिटिंग सिस्टम्स : अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के तहत किसी मिशन की अवधि के 25 वर्षों के भीतर उपग्रहों को नीचे लाना।
  • सर्विसिंग के लिये डिजाइन: टूटे-फूटे भागो की किसी रोबोट या अंतरिक्ष यात्री द्वारा मरम्मत करना। 
  • RemoveDEBRIS : यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के स्पेस सेंटर के नेतृत्व में एक अन्वेषण के तहत 2 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये SpaceX उड़ान को लॉन्च किया गया था।
  • मई में इसे पृथ्वी की निम्न-कक्षा में छोड़ दिया जाएगा, जहाँ यह एक छोटे से उपग्रह की सहायता से अंतरिक्ष मलबे को रिकैप्चर (पुनर्ग्रहण) कर लेगा। इसमें एक जाल के साथ लगे भालानुमा यंत्र द्वारा यह कार्य किया जाएगा।
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