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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत में बेरोजगारी दर बढ़ने का अनुमान : वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट

  • 30 Jan 2018
  • 4 min read

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation-ILO) ने अपनी नवीनतम ‘वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक’ (World Employment and Social Outlook) रिपोर्ट में वर्ष 2017 तथा 2018 में भारत में बेरोजगारी दर में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है। पहले इसके 3.4% तक रहने का अनुमान लगाया गया था।

भारतीय संदर्भ 

  • वर्ष 2017 में देश में बेरोज़गारों की संख्या 17.8 मिलियन की बजाय 18.3 मिलियन तक रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
  • वर्ष 2018 में ILO के अनुमान के मुताबिक बेरोज़गारों  की संख्या 18.6 मिलियन रहने का अनुमान है, जबकि पहले इसी रिपोर्ट में बेरोज़गारों की संख्या 18 मिलियन रहने का अनुमान लगाया गया था।
  • प्रतिशत के संदर्भ में ILO ने सभी तीन वर्षों 2017, 2018 और 2019 के लिये भारत में बेरोज़गारी दर 3.5% पर स्थिर रहने का अनुमान लगाया है। 
  • एशिया पैसिफिक क्षेत्र में 2017 से 2019 के दौरान 23 मिलियन नई नौकरियाँ सृजित होंगी और भारत सहित अन्य दक्षिण एशियाई देशों में नए रोज़गार सृजित होंगे किंतु पूरे क्षेत्र में बेरोज़गारों की संख्या बढ़ेगी। 

वैश्विक संदर्भ

  • एशिया पैसिफिक क्षेत्र में बेरोज़गारों की संख्या वर्ष 2018 में 83.6 मिलियन तथा वर्ष 2019 में 84.6 मिलियन रहने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2017 में यह 82.9 मिलियन थी।
  • चीन में भी वर्ष 2018 में बेरोज़गारों की संख्या 37.6 मिलियन तथा 2019 में 37.8 मिलियन तक बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई है, जबकि 2017 में इसके 37.4 मिलियन रहने का अनुमान था।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक़ अनौपचारिकता की व्यापकता ने दक्षिण एशिया में कार्यशील गरीबी को कम करने की संभावनाओं को और कम करना जारी रखा है।
  • वैश्विक रूप से वर्ष 2018 में बेरोज़गारों की संख्या 192.3 मिलियन हो जाएगी, जबकि 2017 में यह 192.7 मिलियन थी।
  • रिपोर्ट में यह भी बताया गया है की मज़बूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद कम गुणवत्ता वाली नौकरियाँ सृजित हो रही हैं तथा वर्ष 2019 तक दक्षिण एशिया के 72% कामगारों के रोज़गार अतिसंवेदनशील अवस्था में रहेंगे।
  • ILO के अनुसार अतिसंवेदनशील रोज़गार (Vulnerable Employment) उन लोगों को संदर्भित करता है जो अत्यंत संकटकालीन परिस्थितियों में नियोजित हैं, उनके पास रोज़गार की औपचारिक व्यवस्था नहीं है और सामाजिक सुरक्षा के लिये किसी कार्यक्रम या योजना तक इनकी पहुँच नहीं है और इस प्रकार वे आर्थिक चक्र में खतरे की स्थिति में हैं। 
  • रिपोर्ट के अनुसार अतिसंवेदनशील रोज़गार दक्षिण एशिया में लगभग 72%, दक्षिण-पूर्व एशिया में 46% तथा पश्चिम एशिया में 31% श्रमिकों को प्रभावित करेगा और पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

अन्य तथ्य 

  • सरकार ने रोजंगार के आकड़ों पर बनी समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और अब नीति आयोग इस वर्ष सितंबर से रोज़गार के तिमाही आँकडे जारी करना शुरू करेगा। 
  • ये आँकडे परिवारों पर कराए गए सर्वेक्षणों पर आधारित होंगे और रोज़गार के आँकडे जुटाने के लिये यह व्यापक सर्वेक्षण का काम पहले ही शुरू कर दिया गया है।
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