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भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून (संशोधन) विधेयक, 2020

  • 24 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून (संशोधन) विधेयक-2020,  सार्वजनिक निजी भागीदारी, क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी विधेयक, 2014

मेन्स के लिये:

सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोकसभा द्वारा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 [Indian Institutes of Information Technology (IIIT) Laws (Amendment) Bill, 2020] पारित कर दिया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) द्वारा प्रस्तुत यह विधेयक-2020, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून अधिनियम-2014 और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) अधिनियम, 2017 के प्रमुख प्रावधानों में संशोधन करता है। 
  • वर्ष 2020 का यह विधेयक IIITs को उनके नवीन और गुणवत्ता बढ़ाने के तरीकों के माध्यम से देश में सूचना और प्रौद्योगिकी के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित करेगा। 
  • यह विधेयक सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership-PPP) के माध्यम से सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला और रायचूर में पाँच भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों को वैधानिक दर्जा प्रदान करेगा।

सार्वजनिक निजी भागीदारी

(Public Private Partnership-PPP):

  • PPP समझौता, किसी भी परियोजना के लिये सरकार या उसकी किसी वैधानिक संस्था और निजी क्षेत्र के बीच हुआ लंबी अवधि का समझौता है। 
  • इस समझौते के तहत शुल्क लेकर ढाँचागत सेवा प्रदान की जाती है। इसमें आमतौर पर दोनों पक्ष मिलकर एक स्पेशल पर्पज़ व्हीकल (Special Purpose Vehicle-SPV) गठित करते हैं, जो परियोजना पर अमल करने का कार्य करता है।

पृष्ठभूमि:

  • सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये IIITs की परिकल्पना की गई है। 
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 26 नवंबर, 2010 को 20 नए IIITs को सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public Private Partnership-PPP) के तहत स्थापित करने की योजना को स्वीकृत किया गया था। 
  • 15 IIITs पहले से ही IIIT (PPP) अधिनियम-2017 के तहत शामिल हैं, जबकि शेष 5 को अधिनियम की अनुसूची के तहत शामिल किया जाना है। 

लाभ:

  • उद्योग और अर्थव्यवस्था की उभरती कुशल तकनीकी जनशक्ति ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए इन सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों से प्रशिक्षित कर्मचारी प्राप्त होने की उम्मीद है। 

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2014 

(Indian Institutes of Information Technology Act, 2014):

  • इस अधिनियम का उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के अंदर वैश्विक मानकों के अनुरूप मानव संसाधन की गुणवत्ता में सुधार के लिये IIITs स्थापित करना था।
  • वर्ष 2014 का अधिनियम पहले से स्थापित चार IIITs (उत्तर प्रदेश-1, तमिलनाडु-1 और मध्य प्रदेश-2) को ‘स्वायत्त और वैधानिक’ संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान करता है। 
  • इन संस्थानों का उद्देश्य ‘सूचना प्रौद्योगिकी और संबंधित क्षेत्रों में निर्देश प्रदान करना, सूचना प्रौद्योगिकी में अनुसंधान तथा नवाचार का संचालन करना, बुनियादी ढाँचे को स्थापित करना व बनाए रखना’ है। 

भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों की उपलब्धियाँ:

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2017 में क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-1000 (QS World University Rankings-1000) में 14 एवं वर्ष 2020 में 24 भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान शामिल थे।
  • वर्ष 2013 में टाइम्स हायर एजुकेशन ग्लोबल-1000 (Times Higher Education Global-1000) में 03 एवं वर्ष 2020 में 36 भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान शामिल थे।

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग

(QS World University Rankings):

  • QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग की स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी।
  • QS एक ऐसा वैश्विक मंच है जो महत्त्वाकांक्षी पेशेवरों को उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को प्रोत्साहित करने हेतु एक प्रमुख वैश्विक कैरियर तथा शिक्षा नेटवर्क प्रदान करता है
  • QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय रैंकिंग का प्रकाशन करता है।

स्रोत: पीआईबी

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